हड़प्पा सभ्यता की मोहरें | Seals of Harappan Civilization
पुरातत्वविदों को हड़प्पा के पुरास्थलों से मुख्य रूप से वर्गाकार मुहरे प्राप्त हुई हैं। वहीं त्रिकोणीय, आयताकार और वृत्ताकार मोहरों के उपयोग के साक्ष्य मिले हैं। इन मोहरों का निर्माण मुख्य रूप से नदी तल पर पाए जाने वाले मुलायम पत्थर, स्टेटाइट से किया जाता था। इसके अतिरिक्त मोहरों का निर्माण अगेट, चर्ट, तांबा, कांचाभ (फायंस) और टेराकोटा से किया जाता था। सोने और हाथी दाँत से मोहर निर्माण के साक्ष्य भी मिलते हैं।
Archaeologists have found mainly square seals from Harappan sites. There has been evidence of the use of triangular, rectangular and circular seals. These seals were mainly made of a soft stone, statite found on the river bed. In addition, seals were made from agate, chert, copper, fins and terracotta. There is also evidence of seal making from gold and ivory.
"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। अधिकांश मोहरों पर चित्राक्षर लिपि का प्रयोग किया गया है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। यह लिपि दाएँ से बाएँ लिखी गयी है। वहीं द्विदिशात्मक लेखन शैली का प्रयोग भी किया गया है। इस लिपि में एक पंक्ति में बाएँ से दाएँ और दूसरे पंक्ति में दाएँ से बाएँ लिखा जाता है। इन मोहरों पर पशुओं का अंकन मिलता है, जिसे सतहों पर उत्कीर्ण एक किया गया है। इन मोहरों पर कूबड़दार बैल, रूपांकन, गैंडा, बाघ, हाथी, भैंस, बकरी, बायसन, साकिन, मास्कोर और मगरमच्छ जानवरों के चित्र अंकित मिलते हैं। मोहरों के एक ओर चित्रांकन लिपि में लिखा गया है, वहीं दूसरी ओर मानव और पशु की आकृतियाँ बनी हैं। इसके अतिरिक्त दोनों ओर चित्रांकन लिपि में भी लिखा गया है। कुछ मोहरों पर तीसरे पृष्ठ पर भी लिखा गया है। इस लेखन को मुद्रालेख कहा जाता है। इन मोहरों पर कहीं पर भी गाय की आकृति नहीं मिली है।
Most of the stamps have been used in Chitrashit script, which is yet to be read. This script is written from right to left. At the same time, bidirectional writing style has also been used. In this script it is written from left to right in one line and from right to left in another line. These seals bear animal markings, which have been engraved on the surfaces. These seals bear images of humpback bulls, motifs, rhinoceros, tigers, elephants, buffaloes, goats, bisons, sakins, muscars and crocodiles. On one side of the seals are written in pictographic script, while on the other side human and animal figures are made. Apart from this, pictograms are also written on both sides. On some stamps it is written on the third page as well. This writing is called currency. The figure of a cow has not been found anywhere on these seals.
इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें। मुख्य रूप से इन मोहरों का प्रयोग व्यवसाय प्रयोजनों के लिए किया जाता था। इसके अतिरिक्त ये संचार के लिए भी उपयोग की जाती थी। मेसोपोटामिया से विभिन्न मोहरों की खोज और लोथल जैसे पुरास्थलों से प्राप्त मोहरों से यह स्पष्ट हो जाता है कि तत्कालीन समय में मोहरों का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था। हड़प्पा के पुरास्थलों में कुछ शवों के पास से मोहरें प्राप्त हुई हैं। इन मोहरों पर एक छेद बना हुआ है। शायद ये मोहरें ताबीज के रूप में प्रयोग की जाती थी। ये मोहरें शायद उसे मृत व्यक्ति की विशिष्ट पहचान होती थीं।
Primarily these seals were used for business purposes. Apart from this, it was also used for communication. The discovery of various seals from Mesopotamia and the seals found at sites like Lothal makes it clear that the seals were used for commercial purposes in those times. Seals have been found near some dead bodies in Harappan sites. There is a hole in these seals. Perhaps these seals were used as amulet. These seals may have given him the unique identity of the dead person.
इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें। कुछ मोहरों पर गणितीय आकृतियाँ भी प्राप्त हुई हैं। शायद ये मोहरें शैक्षणिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनायी जाती थीं। कुछ मोहरों पर स्वास्तिक की डिजाइन की आकृति भी प्राप्त हुई है।
Mathematical figures have also been found on some seals. Perhaps these seals were made for the fulfillment of educational purposes. The shape of the swastika design has also been found on some seals.
प्रमुख मोहरें- पशुपति की मोहर, यूनिकॉर्न वाली मोहर
Key Seals- Pashupati's Seal, Unicorn Seal
पशुपति वाली मोहर- यह मोहर मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है। स्टेटाइट से निर्मित इस मुहर में पालथी लगाकर बैठे मनुष्य या देवता दिखाई देते हैं। इस आकृति में उन्हें तीन सींग वाला मुकुट पहने हुए दिखाया गया है। यह आकृति चारों ओर से पशुओं से घिरी है। इन्हें पशुपति देवता कहा गया है। इस देवता के बाएँ ओर हाथी और बाघ बने हैं तथा दाएँ ओर गैंडा और भैंस बने हैं। इस आकृति के नीचे दो हिरण बने हैं।
Pashupati's seal- This seal is found from Mohenjodaro. In this seal made of statite, a man or a deity is seen sitting on a pedestal. In this figure he is shown wearing a three-horned crown. This figure is surrounded by animals from all sides. He is called Pashupati Devta. Elephants and tigers are made on the left side of this deity and on the right side there are rhinoceros and buffalo. Below this figure are two deer.
इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें। आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
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धन्यवाद।।
R F Temre
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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