मौर्य काल की दरबारी कला | Court Art of the Mauryan Period
मौर्य शासकों ने राजनीतिक के साथ-साथ धार्मिक कारणों से भी दरबारी कला एवं स्थापत्य कार्यों का शुभारंभ किया, जिसे दरबारी कला के नाम से जाना जाता है। इसके अंतर्गत महल, स्तंभ एवं स्तूप आते हैं।
Mauryan rulers started court art and architectural works for political as well as religious reasons, which is known as court art. It includes Mahals, Pillars and Stupa.
महल या किला- मौर्य साम्राज्य भारत में सत्ता स्थापित करने वाला पहला शक्तिशाली साम्राज्य था। पाटलिपुत्र में राजधानी और कुम्रहार में महल मौर्य साम्राज्य के वैभव के स्पष्ट उदाहरण हैं। चंद्रगुप्त मौर्य का महल ईरान के पर्सेपोलिस के अकेमीनियन महल से प्रेरित था। यह मुख्य रूप से लकड़ी से निर्मित था। मेगस्थनीज ने इसे मानव जाति की सबसे बड़ी रचनाओं में से एक कहा है।
इसी प्रकार कुम्रहार में स्थित सम्राट अशोक का महल भी बहुत विशाल था। इस पर एक ऊँचा स्तंभ था और यह तीन मंजिला लकड़ी का ढांचा था। महल की दीवारों को नक्कासियों और मूर्तियों से सजाया गया था।
Mahal or Fort- The Maurya Empire was the first powerful empire to establish power in India. The capital at Pataliputra and the palace at Kumrahar are clear examples of the splendor of the Maurya Empire. Chandragupta Maurya's palace was inspired by the Akamenian palace of Persepolis, Iran. It was mainly built of wood. Megasthenes called it one of the greatest creations of mankind. Similarly, the palace of Emperor Ashoka located in Kumrahar was also very huge. It had a high pillar and was a three-storeyed wooden structure. The walls of the palace were decorated with carvings and sculptures.
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स्तंभ- अशोक के शासनकाल में स्तंभों पर अभिलेख सामान्यतः दो प्रकार के होते थे- राजकीय प्रतीक के रूप में या युद्ध में जीत के उपलक्ष में। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग राजकीय उपदेशों के प्रचार के लिए भी किया जाता था।
औसतन 40 फीट ऊँचे इन स्तंभों का निर्माण चुनार के बलुआ पत्थर से किया गया था। इसके साथ ही इसमें शाफ्ट और कैपिटल भी सम्मिलित थे। इन स्तंभों में लंबा मूठ आधार का निर्माण करते हैं। यह मूठ एकाश्म पत्थर या प्रस्तर (पत्थर के एक खंड) के बने होते हैं। इसके ऊपर कमल या घंटे के आकार के शीर्ष या ललाट होते हैं। ये घंटे या कमल की स्थापत्य कला ईरानी कला से प्रेरित है। क्योंकि इनमें चमकदार पॉलिश की जाती है। इसके ऊपर वर्गा वृत्ताकार या आयताकार आधार होता है, जिसे अबेकस कहा जाता है। इसके ऊपर पशु आकृति बनी होती है।
उदाहरण- वाराणसी के निकट सारनाथ स्तंभ, चंपारण में लौरिया नंदनगढ़ स्तंभ आदि।
Pillar- Inscriptions on pillars during the reign of Ashoka were generally of two types- as a state symbol or to commemorate victory in battle. Apart from this, it was also used for the propagation of royal sermons.
These pillars, on an average 40 feet high, were constructed from Chunar sandstone. Along with this it also included shaft and capital. The tall hilts in these pillars form the base. These hilts are made of monolithic stone or Prastar (a block of stone). Above it are lotus or hourglass shaped tops or foreheads. The architecture of the bell or lotus is inspired by Iranian art. Because they are shiny polished. Above it is a square circular or rectangular base, which is called an abacus. Animal figure is made on it.
Example- Sarnath pillar near Varanasi, Lauria Nandangarh pillar in Champaran etc.
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राष्ट्रीय प्रतीक- सारनाथ स्तंभ का शीर्ष फलक और पशु भाग भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। सारनाथ स्तंभ में चार पशु चार दिशाओं को प्रदर्शित करते हैं। चौकड़ी भरता अश्व (पश्चिम), हाथी (पूर्व), वृषभ (दक्षिण) और सिंह (उत्तर) दिशाओं को प्रदर्शित करते हैं। यह चारों पशु अनंत काल तक अस्तित्व के पहिये को घुमाते हुए एक-दूसरे का पीछा करते हुए प्रतीत होते हैं।
हाथी, रानी माया का स्वप्न एवं उसके गर्भ में प्रवेश करता हुआ श्वेत हाथी को प्रदर्शित करता है। वृषभ, वृष राशि को प्रदर्शित करता है। जिस महीने में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। अश्व, कंथक अश्व को प्रदर्शित करता है, जिस पर बैठकर बुद्ध अपने राज्य से दूर गए थे। सिंह ज्ञान प्राप्ति को प्रदर्शित करता है।
मुंडक उपनिषद् से लिया गया शब्द 'सत्यमेव जयते' अर्थात् 'सत्य की सदा विजय हो' देवनागरी लिपि में इस स्तंभ के नीचे उत्कीर्ण है।
इस स्तंभ में उत्तर की ओर खड़े चार सिंह चारों दिशाओं में बौद्ध धर्म (धम्म) का प्रचार करते हैं एवं बुद्ध को प्रतीकबद्ध करते हैं। इसे बुद्ध के द्वारा दिये गये पहले धर्मोपदेश की स्मृति में बनवाया गया था। इसे धर्मचक्रप्रवर्तन भी कहा जाता है।
National Emblem- The top face and animal part of Sarnath pillar is the national emblem of India. The four animals in the Sarnath pillar represent the four directions. The quartet Bharta represents the Horse (West), Elephant (East), Vrishabha (South) and Singh (North) directions. These four animals seem to be chasing each other, spinning the wheel of existence for eternity.
The elephant represents the dream of Queen Maya and the white elephant entering her womb. Taurus represents Taurus. The month in which Lord Buddha was born. The horse represents the Kanthaka horse, on which Buddha went away from his kingdom. Leo represents the acquisition of knowledge.
The word 'Satyameva Jayate' from Mundak Upanishad means 'May truth always triumph' in Devanagari script is engraved at the bottom of this pillar.
In this pillar, four lions standing facing north preach Buddhism (Dhamma) in all four directions and symbolize Buddha. It was built to commemorate the first sermon given by the Buddha. It is also called Dharmachakrapravartana.
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स्तूप- वैदिक काल से चले आ रहे स्तूप शवाधान टीले थे। ये अंत्येष्टि पुंज के प्रारंभिक स्वरूप थे, जिन पर मृतकों की अवशेष और राख को रखा जाता था। अशोक के शासनकाल में यह कला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई थी। अशोक ने अपने शासनकाल में लगभग 84,000 स्तूप बनवाए थे।
वैदिक युग से प्रारंभ इस परंपरा को बौद्धों ने अधिक लोकप्रिय बनाया। बुध की मृत्यु के बाद 9 स्तूप बनवाये गये थे। इनमें से आठ स्तूपों की मेधी में बुद्ध के अवशेष रखे गये एवं नौवे स्तूप में उस बर्तन को रखा गया जिस पर बुद्ध के अवशेष थे।
स्तूपों की कोर कच्ची ईटों से बनायी जाती थी। इसकी बाहरी सतह को पकी ईंटों से बनाया जाता था। इस पर प्लास्टर किया जाता था। मेधी को तोरणों की लकड़ी की मूर्तियों से सजाया जाता था। श्रद्धालुओं द्वारा पूजा के प्रतीक के रूप में प्रदक्षिणा-पथ का चक्कर लगाया जाता था।
उदाहरण- मध्य प्रदेश का साँची का स्तूप अशोक के प्रमुख स्तूपों में से एक है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के पिपरहवा का स्तूप भी प्रसिद्ध है।
Stupa- The stupas dating from the Vedic period were burial mounds. These were the earliest forms of cremation grounds, on which the remains and ashes of the dead were kept. This art reached its climax during the reign of Ashoka. Ashoka built about 84,000 stupas during his reign.
This tradition was made more popular by the Buddhists starting from the Vedic age. After the death of Mercury, 9 stupas were built. Of these, the relics of Buddha were kept in the Medhi of eight stupas and in the ninth stupa was kept the vessel on which the relics of Buddha were kept.
The cores of the stupas were made of raw bricks. Its outer surface was made of burnt bricks. It was plastered over it. Medhi was decorated with wooden statues of pylons. Pradakshina-path was used by the devotees as a symbol of worship.
Example- The Sanchi Stupa of Madhya Pradesh is one of the major stupas of Ashoka. Apart from this Piprahwa Stupa of Uttar Pradesh is also famous.
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टीप- बुद्ध की मृत्यु के बाद बनाये गये 9 स्तूप निम्नलिखित स्थानों पर हैं- वैशाली, पावा, कुशीनगर, पीपलीवन, राजगृह, वेथपीड़ा, अलकप्प, रामग्राम, कपिलवस्तु
Tip- The 9 stupas built after the death of Buddha are at the following places- Vaishali, Pava, Kushinagar, Piplivan, Rajagriha, Vethpeeda, Alakapp, Ramgram, Kapilvastu.
अशोक के स्तंभ और अकेमीनियन स्तंभों में अंतर निम्नलिखित है-
1. अशोक के स्तंभ एक ही प्रस्तर के खंड के बनाए गये थे। इन खंडों को एकाश्म पत्थर कहा जाता है। ये स्तंभ मुख्यतया चुनार के बलुआ पत्थर से बनाए जाते थे। जबकि अकेमीनियन स्तंभ बलुआ पत्थर के अलग-अलग खंडों को एक साथ मिलाकर बनाये गये थे।
2. अशोक के स्तंभों को स्वतंत्र रूप से स्थापित किये गये थे। जबकि सामान्यतः अकेमीनियन स्तंभ राजमहलों से संलग्न थे।
The difference between Ashoka's Pillar and Achaemenian Pillar is-
1. The pillars of Ashoka were made of a single block of stone. These blocks are called monolithic stones. These pillars were mainly made of Chunar sandstone. Whereas the Achaemenian pillars were made by joining together individual blocks of sandstone.
2. The pillars of Ashoka were installed independently. Whereas in general the Achaemenian pillars were attached to the palaces.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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