मौर्योत्तर कालीन कला | Post-Mauryan Art
दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत के विभिन्न भागों में छोटे-छोटे राजवंशों का उदय हुआ। इसके अंतर्गत उत्तरी भारत के प्रमुख राजवंश शुंग, कण्व, कुषाण एवं शक हैं। इसके अतिरिक्त उत्तरी एवं पश्चिमी भारत के प्रमुख राजवंश सातवाहन, इक्ष्वाकु, आभीर और वाकाटक हैं। मौर्योत्तर कला में तत्कालीन समय के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य का स्पष्ट परिप्रेक्ष्य देखा जा सकता है। पत्थर को काटकर बनायी गयी गुफाओं एवं स्तूपों के रूप में स्थापत्य कला जारी रही। इसके अतिरिक्त कुछ शासकों ने भी अपनी अनूठी विशेषताएँ दिखायी। तत्कालीन समय में मूर्तिकला का विकास हुआ। मौर्योत्तर काल में मूर्तिकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। मूर्तिकला की विभिन्न शैलियों का विकास हुआ। तत्कालीन समय में शैव, वैष्णव और शाक्त जैसे ब्राह्मण संप्रदायों का उद्भव हुआ।
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After the fall of the Maurya Empire in the 2nd century BC, small dynasties emerged in different parts of India. Under this, the major dynasties of northern India are Shunga, Kanva, Kushan and Saka. Apart from this, the major dynasties of northern and western India are Satvahana, Ikshvaku, Abhir and Vakatak. A clear perspective of the socio-political scenario of the time can be seen in the post-Mauryan art. Architecture continued in the form of stone-cut caves and stupas. Apart from this, some rulers also showed their unique characteristics. Sculpture flourished during that time. Sculpture reached its climax in the post-Mauryan period. Various styles of sculpture developed. At that time Brahmin sects like Shaiva, Vaishnava and Shakta emerged.
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R F Temre
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