महत्वपूर्ण पेड़-पौधे उनके कुल एवं औषधीय गुण | Important plants, their family and medicinal properties
कुछ पुष्पीय पौधों का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। ये हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। इसलिए इनका आर्थिक मूल्य भी अधिक है। इनका दैनिक जीवन में अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपयोग किया जाता है। इनके द्वारा मनुष्य के विभिन्न रोगों का निवारण होता है। प्रमुख औषधीय पुष्पीय पौधे निम्नलिखित हैं-
Some flowering plants are used as medicine. They are healthy for us. Therefore, their economic value is also high. These are used in daily life for good health. It cures various diseases of human beings. Following are the major medicinal flowering plants-
नीम- नीम का पेड़ आसानी से हमें उपलब्ध हो जाता है। यह एक महत्वपूर्ण औषधि है। यह 'मेलिएसी' कुल का सदस्य है। नीम का वैज्ञानिक नाम 'एजाडाइरेक्टा इण्डिका' है। दैनिक जीवन में इस पेड़ के तने और फूल का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है। नीम के उत्पादों में प्रतिहेल्मन्थिज, प्रतिकवक, प्रतिविषाणु, प्रतिजीवाणु, शामक और गर्भनिरोधक गुण पाए जाते हैं। इस पेड़ में प्राकृतिक औषधियों का भंडार उपलब्ध होता है। हिंदू धर्म के अनुसार इसे पवित्र पेड़ माना जाता है। यह औषधि के रूप में रुधिर को शुद्ध करने और रुधिर शर्करा मात्रा को नियंत्रित करने का कार्य करता है। नीम सोरियोसिस और एक्जिमा जैसे त्वचा रोगों के उपचार के लिए महत्वपूर्ण है। नीम के पेड़ की पत्तियों और फलों का प्रयोग नेत्र रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह महत्वपूर्ण कीटाणुनाशक भी है।
Neem- Neem tree is easily available to us. It is an important medicine. It is a member of the 'Meliaceae' family. Scientific name of Neem is 'Azadirecta indica'. The stem and flower of this tree are used as a vegetable in daily life. Neem products have antihelminthic, antifungal, antiviral, antibacterial, sedative and contraceptive properties. A storehouse of natural medicines is available in this tree. It is considered a sacred tree according to Hinduism. It acts as a medicine to purify the blood and control the blood sugar level. Neem is important for the treatment of skin diseases like psoriasis and eczema. The leaves and fruits of the neem tree are used to treat eye diseases. In addition, it is also an important disinfectant.
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घृतकुमारी- यह घरों में आसानी से लगाया जा सकता है। यह 'एस्फोडिलेसी' कुल का सदस्य है। इसका औद्योगिक क्षेत्र में विशेष महत्व है। इसे 'एलोवेरा' भी कहा जाता है। इसमें 20 से अधिक खनिज लवण पाए जाते हैं। ये खनिज शरीर के लिए उपयोगी होते हैं। मानव शरीर के लिए 22 एमिनो अम्ल महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें से आठ एमिनो एसिड मानव शरीर द्वारा निर्मित नहीं किए जाते। इस औषधि में विटामिन A, B1, B2, B6, B12, C और E पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें शरीर और त्वचा के लिए उपयोगी तत्व होते हैं। एलोवेरा त्वचा का रंग बनाए रखने में उपयोगी है। इसके प्रयोग से उम्र का प्रभाव नहीं दिखता। अतः यह महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है।
Aloe vera- It can be easily planted in homes. It is a member of the family 'Asphodilaceae'. It has special importance in the industrial sector. It is also called 'aloe vera'. It contains more than 20 mineral salts. These minerals are useful for the body. There are 22 amino acids important for the human body. Eight of these amino acids are not manufactured by the human body. Vitamins A, B1, B2, B6, B12, C and E are found in this medicine. Apart from this, it contains useful elements for the body and skin. Aloe vera is useful in maintaining the complexion of the skin. Its use does not show the effect of age. Hence it is an important medicinal plant.
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हल्दी- यह 'जिंजिबिरेसी' कुल का सदस्य है। यह घरों में आसानी से उगाई जा सकती है। यह बहुवर्षीय जड़ी-बूटी है। इस पौधे में कुरकुमिन नाम का पदार्थ पाया जाता है। यह पदार्थ मानव शरीर के रोगों के उपचार के लिए महत्वपूर्ण होता है। हल्दी का उपयोग मुख्य रूप से अलजाइमर, कैंसर, मधुमेह, गटिया, एलर्जी आदि रोगों के उपचार में किया जाता है। भारतवर्ष में हल्दी का अत्यधिक उत्पादन किया जाता है। हल्दी का प्रयोग साँस, त्वचा, दर्द, पाचन तंत्र, खिचाँव, घाव से संबंधित रोगों के निदान के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग बैकरी पदार्थ, पेय पदार्थ, आइसक्रीम, डेयरी पदार्थ, केक, दही आदि को रंग देने में भी किया जाता है। हल्दी के ताजे रस का प्रयोग चिकन पॉक्स, दाद, खाज, खुजली आदि रोगों के निदान के लिए किया जाता है।
Turmeric- It is a member of the 'Zingiberaceae' family. It can be easily grown at home. It is a perennial herb. A substance called curcumin is found in this plant. This substance is important for the treatment of diseases of the human body. Turmeric is mainly used in the treatment of diseases like Alzheimer's, cancer, diabetes, gout, allergies etc. Turmeric is highly produced in India. Turmeric is used for the treatment of diseases related to breathing, skin, pain, digestive system, strains, wounds. Apart from this, it is also used in coloring bakery products, beverages, ice cream, dairy products, cakes, curd etc. Fresh juice of turmeric is used for the treatment of diseases like chicken pox, ringworm, scabies, itching etc.
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तुलसी- अधिकांश घरों में तुलसी का पौधा होता है। हिंदू धर्म में इसकी पूजा की जाती है। अतः इसका धार्मिक महत्व भी अधिक है। यह 'लेमिएसी' कुल का सदस्य है। तुलसी का वैज्ञानिक नाम 'ओसिमम टेन्यूइफ्लोरम' है। चिकित्सा क्षेत्र के लिए यह महत्वपूर्ण पौधा है। इसे हिंदू आयुर्वेद में पावन पादप कहा जाता है। तुलसी को 'जीवन का अमृत' कहा गया है। इसका प्रयोग घाव भरने, तनाव कम करने और शरीर के विभिन्न संतुलन को बनाने में होता है। तुलसी के पादप में खुशबू और कसैला स्वाद होता है। इसमें पदार्थों की आयु बढ़ाने का गुण होता है। तुलसी का प्रयोग सूखे चूरन, हर्बल चाय, हरी पत्ती और तेल के रूप में किया जाता है। यह जुकाम, बुखार और इन्फेक्शन जैसे रोगों के निदान के लिए महत्वपूर्ण पौधा है।
Tulsi- Most households have a Tulsi plant. It is worshiped in Hinduism. Therefore, it has more religious significance as well. It is a member of the family 'Lamiaceae'. The scientific name of Tulsi is 'Ocimum tenuiflorum'. It is an important plant for the medical field. It is called sacred plant in Hindu Ayurveda. Tulsi has been called 'elixir of life'. It is used to heal wounds, reduce stress and maintain various balances in the body. The basil plant has an aromatic and astringent taste. It has the property of prolonging the life of substances. Tulsi is used as dried powder, herbal tea, green leaf and oil. It is an important plant for the diagnosis of diseases like cold, fever and infection.
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लेमनग्रास- यह 45 प्रजाति का वंश है, जो शीतोष्ण कटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय स्थानों की देशी प्रजाति है। यह एक महत्वपूर्ण औषधि है। इसका प्रयोग ताजा या सुखाकर, पाउडर के रूप में भी किया जा सकता है। इसका प्रयोग मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, गौमांस और समुद्री भोजन के साथ किया जाता है। साधारण रूप से इसका प्रयोग सूप, हर्बल चाय और करी के रूप में किया जाता है। प्राचीन समय से इसके तेल का प्रयोग कीटों को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसके तेल का प्रयोग कवकरोधी, कीटाणुनाशक और परिरक्षक के रूप में भी किया जाता है।
Lemongrass- It is a genus of 45 species, native to temperate and tropical regions. It is an important medicine. It can be used fresh or dried, also in powder form. It is used with fisheries, poultry, beef and seafood. It is commonly used in soups, herbal teas and curries. Its oil has been used since ancient times to attract insects. Apart from this, its oil is also used as an anti-fungal, disinfectant and preservative.
बरगद- बरगद का बीज पोषण करने वाले पादप तने की दरारों में उग सकता है। यह इमारतों के मध्य की दीवारों में भी उग सकता है। बरगद के पेड़ का प्रारंभ एक उपरिरोही (एक पादप दूसरे पादप पर उगता है) के रूप में होता है। बरगद का पेड़ भारत का 'राष्ट्रीय पेड़' है। इसका फल पक्षियों के द्वारा फूटता है। धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इसे मंदिर, घरों, गाँवों और सड़कों के किनारे लगाया जाता है। इस पेड़ का आकार बहुत बड़ा होता है। अतः यह राहगीरों को शीतल छाया प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त इस पेड़ का प्रयोग बहुत से रोगों की औषधि निर्माण में भी किया जाता है। इसकी पत्तियाँ बहुत बड़ी होती हैं। इस वजह से इनका प्रयोग जानवरों के भोजन के लिए भी किया जाता है। इसके फूल कीटों को परागण के लिए आकर्षित करते हैं। बरगद के पेड़ के चिपचिपे रस से रबड़ निर्मित की जाती है। इसका प्रयोग बगीचों में भी किया जाता है। एक बहुत पुराने बरगद के पेड़ का व्यास 656 फुट और लंबाई 98 फुट से भी अधिक हो सकते हैं।
Banyan- Plants that feed on Banyan seeds can grow in the crevices of the stem. It can also grow in the walls between buildings. The banyan tree begins as an ascender (one plant grows on another). Banyan tree is the 'national tree' of India. Its fruit is burst by birds. It has special significance in Hindu religion from the religious point of view. It is planted in temples, houses, villages and along roads. The size of this tree is very big. Hence it provides cool shade to the passers-by. Apart from this, this tree is also used in making medicine for many diseases. Its leaves are very big. Because of this, they are also used for animal food. Its flowers attract insects for pollination. Rubber is made from the sticky sap of the banyan tree. It is also used in gardens. A very old banyan tree can reach 656 feet in diameter and more than 98 feet in length.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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