मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली | Post-Mauryan Sculpture – Gandhara, Mathura and Amravati Style
तत्कालीन समय में मूर्तिकला की तीन शैलियों- गांधार, मथुरा और अमरावती का विकास तीन अलग-अलग स्थानों पर हुआ।
Three styles of sculpture- Gandhara, Mathura and Amravati developed at three different places in the erstwhile period.
गांधार शैली- आधुनिक पेशावर और अफगानिस्तान के निकट पंजाब की पश्चिमी सीमा से संलग्न भागों में गांधार शैली का विकास हुआ। यूनानी एवं रोमन आक्रमणकारी अपने साथ यूनानी एवं रोमन कलाकारों की मूर्तिकला एवं परंपरा भी साथ लाए। इससे भारत की स्थानीय कला प्रभावित हुई। इस प्रकार ग्रीक-इंडियन शैली को गांधार शैली कहा जाता है।
तत्कालीन समय में गांधार शैली दो कालों में वर्गीकृत हो गयी। आरंभिक कला नीले-धूसर बलुआ पत्थर के प्रयोग के लिए प्रसिद्ध थीं। वही उत्तरवर्ती कला प्लास्टर एवं मिट्टी के प्रयोग के लिए जानी जाती थी। गांधार शैली का विकास 50 ईसा पूर्व से 500 ईसवी के मध्य हुआ था। इस अवधि की बुद्ध एवं बोधिसत्वों की मूर्तियों की कला यूनानी एवं ग्रीक देवताओं की मूर्तिकला से प्रेरित थी। ये मूर्तियाँ यूनानी देवता अपोलो से मिलती जुलती थीं।
Gandhara style- Gandhara in the western border of Punjab near modern Peshawar and Afghanistan the style evolved. The Greek and Roman invaders also brought with them the sculpture and tradition of Greek and Roman artists. This influenced the local art of India. Thus Greek-Indian style is called Gandhara style.
At that time the Gandhara style got classified into two periods. The early art was famous for its use of blue-grey sandstone. The same later art was known for its use of plaster and clay. The Gandhara style was developed between 50 BC to 500 AD. The sculptures of Buddha and Bodhisattvas of this period were inspired by the sculpture of Greek and Greek gods. These statues resembled the Greek god Apollo.
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मथुरा शैली- मथुरा शैली का विकास प्रथम और तीसरी शताब्दी ईसवी की अवधि में यमुना नदी के किनारे हुआ था। मथुरा शैली तत्कालीन समय के तीनों धर्मों (बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिंदू धर्म) की कहानियों और चित्रों से प्रेरित थीं। ये मूर्तियाँ मौर्य काल की यक्ष मूर्तियों से प्रेरित थीं।
मथुरा शैली में देवताओं की मूर्तियों को उनके आयुध (हथियार और उपकरण) के साथ दिखाया गया है। उदाहरण के लिए भगवान शिव की मूर्ति को लिंग या मुखलिंग के रूप में दिखाया गया है। वहीं बुद्ध के सिर के चारों ओर के प्रभामंडल को गांधार शैली की तुलना में अधिक विस्तृत दिखाया गया है और ज्यामितीय पैटर्न से अलंकृत किया गया है। बुद्ध को दो बोधिसत्वों (कमल पकड़े पद्मपाणि और वज्र पकड़े पद्मपाणि) से घिरा हुआ दिखाया गया है। तत्कालीन समय में मूर्ति कला में प्रतीकों का प्रयोग किया जाता था।
Mathura style- Mathura style was developed in the period between 1st and 3rd century AD on the banks of river Yamuna. The Mathura style was inspired by stories and paintings from the three religions of the time (Buddhism, Jainism and Hinduism). These idols were inspired by Yaksha idols of Mauryan period.
The idols of the deities in the Mathura style are shown with their Ayudha (weapons and tools). For example the idol of Lord Shiva is depicted as a linga or a mukhlinga. The aura around the Buddha's head is shown more elaborate than in the Gandhara style and is embellished with geometric patterns. The Buddha is depicted surrounded by two Bodhisattvas (Padmapani holding a lotus and Padmapani holding a thunderbolt). In those days symbols were used in sculpture.
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अमरावती शैली- अमरावती शैली का विकास भारत के दक्षिणी भाग में सातवाहन शासकों के नेतृत्व में कृष्णा नदी के तट पर हुआ। पूर्व की दोनों शैलियों में जहाँ एकल मूर्ति पर बल दिया गया। वहीं अमरावती शैली की मूर्तियों में गतिशील मूर्तियों, आकृतियों और कथात्मक कला का विकास हुआ। इस शैली की मूर्तियों में 'त्रिभंग आसन' अर्थात तीन झुकावों वाले शरीर का प्रयोग किया गया है।
Amravati style- Amaravati style developed in the southern part of India under the leadership of Satvahana rulers on the banks of river Krishna. In both the earlier styles where the emphasis was on a single idol. At the same time, dynamic sculptures, figures and narrative art developed in the Amaravati style of sculpture. 'Tribhanga posture' i.e. a body with three inclinations has been used in the sculptures of this style.
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धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
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R F Temre
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