मूर्तिकला शैली - गांधार, मथुरा तथा अमरावती शैलियों में अंतर | Sculptural style – Difference between Gandhara, Mathura and Amravati styles
1. गांधार शैली में यूनानी अथवा हेलेनिस्टिक मूर्तिकला का विशेष प्रभाव था, इसलिए इसे 'भारतीय-यूनानी कला' कहा जाता है। इसके विपरीत मथुरा शैली स्वदेश में विकसित हुई। इस शैली पर किसी भी बाहरी संस्कृति का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अमरावती शैली भी स्वदेश में विकसित हुई। इस पर किसी अन्य देश की संस्कृति का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
1. Greek or Hellenistic sculpture had a special influence in the Gandhara style, hence it is called 'Indo-Greek art'. In contrast, the Mathura style developed indigenously. There was no influence of any outside culture on this style. The Amaravati style also developed indigenously. It was not affected by the culture of any other country.
2. प्रारंभ में गांधार शैली की मूर्तियों के निर्माण के लिए नीले-धूसर बलुआ पत्थर का प्रयोग किया जाता था। आगे चलकर इन मूर्तियों का निर्माण मिट्टी तथा प्लास्टर से किया जाने लगा। जबकि मथुरा शैली की मूर्तियों का निर्माण चित्तीदार लाल बलुआ पत्थर के प्रयोग से किया गया था। अमरावती शैली की मूर्तियों का निर्माण सफेद संगमरमर का प्रयोग कर किया गया था।
2. Initially blue-grey sandstone was used for the construction of Gandhara style sculptures. Later on these idols were made from clay and plaster. Whereas the Mathura style sculptures were constructed using spotted red sandstone. The Amaravati style sculptures were made using white marble.
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3. गांधार शैली भारतवर्ष के उत्तर पश्चिम सीमांत और आधुनिक कंधार क्षेत्र में विकसित हुई। मथुरा शैली भारतवर्ष के मथुरा, सोंख तथा कंकालीटीला में और इसके आसपास के क्षेत्रों में विकसित हुई। अमरावती शैली कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में विकसित हुई। मुख्य रूप से यह शैली अमरावती एवं नागार्जुनकोंडा में तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में विकसित हुई।
3. The Gandhara style developed in the north-west frontier of India and the modern Kandahar region. The Mathura style developed in and around Mathura, Sonkh and Kankletila in India. The Amaravati style developed in the valley of the Krishna and Godavari rivers. Mainly this style developed in and around Amravati and Nagarjunakonda.
4. गांधार शैली की कला तत्कालीन समय में ग्रीको रोमन देवताओं से प्रभावित थी। मुख्य रूप से बौद्ध चित्रकला इससे प्रभावित थी। मथुरा शैली पर भारतवर्ष के तीनों धर्मों हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म का प्रभाव पढ़ा था। अमरावती शैली में विशेष रुप से बौद्ध प्रभाव था।
4. The Gandhara style of art was influenced by the Greco-Roman gods of the time. It was mainly influenced by Buddhist painting. The influence of the three religions of India, Hinduism, Buddhism and Jainism was read on the Mathura style. The Amaravati style had a particularly Buddhist influence.
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5. गांधार शैली में महात्मा बुद्ध को लहराते हुए बालों के साथ, आध्यात्मिक मुद्रा में दिखाया गया है। वे योगी की मुद्रा में बैठे हुए हैं तथा उन्होंने बहुत कम आभूषण पहने हैं। भगवान बुद्ध की आंखें आधी बंद हैं। इससे प्रतीत होता है कि वे ध्यान में बैठे हुए हैं। उनके सिर पर उधार अथवा जटा को दिखाया गया है। ये सभी विशेषताएँ बुद्ध की सर्वज्ञता को प्रदर्शित करते हैं। मथुरा शैली में बुद्ध को मुस्कुराते चेहरे के साथ प्रसन्नचित्त दिखाया गया है। उनका चेहरा और सिर मुंडा हुआ है। उन्होंने तंग कपड़े धारण किए हैं और शरीर हृष्ट-पुस्ट है। बुद्ध पद्मासन मुद्रा में बैठे हुए हैं। उनके चेहरे पर विनीत भाव है। उनके सिर पर उभार या जटा दिखायी गयी है। अमरावती शैली में महात्मा बुद्ध की मूर्तियाँ मुख्य रूप से कथात्मक कला का अंग हैं। इस रैली में बुद्ध की व्यक्तिगत विशेषताओं पर कम बल दिया गया है। ये मूर्तियाँ मुख्य रूप से बुद्ध के जीवन तथा जातक कथाओं को प्रदर्शित करती हैं। ये मानव तथा पशु दोनों रूपों में बुद्ध के पिछले जीवन को बताती हैं।
5. The Gandhara style depicts Mahatma Buddha in a spiritual posture, with wavy hair. He is sitting in the posture of a yogi and he is wearing very little ornaments. Lord Buddha's eyes are half closed. It appears that they are sitting in meditation. On his head, a loan or a jata is depicted. All these characteristics demonstrate the omniscience of the Buddha. In the Mathura style, Buddha is depicted as cheerful with a smiling face. His face and head are shaved. He is wearing tight clothes and his body is muscular. Buddha is sitting in Padmasana posture. He has a humble expression on his face. There is a bulge or hair on his head. Statues of Mahatma Buddha in Amaravati style are mainly part of narrative art. Less emphasis is placed on the individual characteristics of the Buddha in this rally. These sculptures mainly depict the life of Buddha and the Jataka stories. These tell the past life of Buddha in both human and animal form.
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6. गांधार शैली कुषाण शासकों के संरक्षण में विकसित हुई थी। मथुरा शैली भी कुषाण शासकों के संरक्षण में ही विकसित हुई थी। इन दोनों शैलियों के विपरीत अमरावती शैली सातवाहन शासकों के संरक्षण में विकसित हुई थी।
6. The Gandhara style developed under the patronage of the Kushan rulers. The Mathura style also developed under the patronage of the Kushan rulers. Unlike these two styles, the Amaravati style developed under the patronage of the Satavahana rulers.
7. गांधार शैली में कंकालीटीला जैन मूर्तियों का निर्माण किया गया था। मथुरा शैली में भी कंकालीटीला जैन मूर्तियों का निर्माण किया था। ये दोनों शैलियाँ इन मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
7. Kankletila Jain sculptures were built in the Gandhara style. Kankletila Jain sculptures were also built in Mathura style. Both these styles are famous for these sculptures.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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