शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी | रुढ़, यौगिक और योगरूढ़ | अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण समूह को शब्द कहते हैं।
सामान्यतः शब्द भेद- उत्पत्ति और रचना के आधार पर किए जाते हैं।
1. उत्पत्ति के आधार पर तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्द।
2. रचना के आधार पर रुढ़, यौगिक और योगरूढ़
तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्द–
यहाँ उदाहरण देखिए– आर्थिक संघर्षों ने हमारे दिमाग को इतना भोथरा बना दिया है कि संस्कृति की सकुमार दुनिया हमारी पृथराई आँखों के सामने आकर भी नहीं आ पाती। गेहूँ हमारी आँखों पर इस कदर छाया हुआ है कि गुलाब को हम देखकर भी नहीं देख पाते। गेहूँ तक आदमी और जानवर में फर्क नहीं है– आदमी को आदमी बनाया गुलाब ने।
ऊपर के रेखांकित शब्दों में चार प्रकार के शब्द सम्मिलित हैं ।
1. तत्सम शब्द–
आर्थिक, संघर्ष, संस्कृति, सुकुमार ये शब्द जो संस्कृत से ज्यों के त्यों हिन्दी भाषा में सम्मिलित हैं। ये शब्द तत्सम कहलाते हैं ।
परिभाषा– तत्सम संस्कृत के वे शब्द जो हिन्दी में ज्यों के त्यों ग्रहण किये गये हैं, तत्सम कहलाते हैं ।
2. तद्भव शब्द–
आँख और गेहूँ शब्द संस्कृत से परिवर्तित होते हुए हिन्दी भाषा में आए हैं। ये शब्द तद्भव हैं।
परिभाषा– तद्भव संस्कृत के वे शब्द जो किंचित परिवर्तन के साथ हिन्दी में ग्रहण किये गये हैं, तद्भव कहलाते हैं।
3. देशज शब्द–
भोथरा शब्द संस्कृत से नहीं आया बल्कि आंचलिक क्षेत्र की बोलियों से आया है। इस प्रकार के शब्द देशज हैं।
परिभाषा– देशज आंचलिक भाषाओं- बोलियों से ग्रहण किये गये है वे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं।
4. विदेशी (आगत ) शब्द–
दिमाग, कदर, आदमी, जानवर और फर्क शब्द विदेशी भाषाओं से आए हैं। ये शब्द विदेशी (आगत) शब्द हैं।
परिभाषा– विदेशी विदेशी भाषाओं के वे शब्द जो हिन्दी में प्रयोग किए जाते हैं, विदेशी शब्द या आगत शब्द कहलाते हैं।
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रुढ़, यौगिक और योगरूढ़ शब्द–
शब्दों अथवा वर्णों के मेल से नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को शब्द रचना कहते हैं।
रचना के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं -
अ. रूढ़ शब्द वर्ग 1 – नाक, कान, राजा, काला, पीला, लड़का आदि।
ब. यौगिक शब्द वर्ग- 2– रेलगाडी, चारपाई, दूधवाला आदि।
स. योगरूढ़ शब्द वर्ग 3 – पंकज, दशानन, लम्बोदर, पीताम्बर आदि।
यहाँ–
वर्ग 1. में जो शब्द है यदि उनके खण्ड करें, जैसे- नाक में 'ना' और 'क' तो खण्ड अर्थ हीन है।
वर्ग 2. में रेलगाड़ी शब्द में 'रेल' और 'गाड़ी' दो सार्थक शब्दों से बना है।
वर्ग 3. से पंकज शब्द पंक - ज प्रत्यय के योग से बना है, जिसका अर्थ है कीचड़ में जन्मा हुआ। लेकिन यह शब्द 'कमल' के लिए प्रयुक्त है।
जिन शब्दों के खण्ड सार्थक न हो, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं, यथा वर्ग 1 के शब्द।
ऐसे शब्द जो दो शब्दों के मेल से बनते हैं एवं जिनके खण्ड सार्थक होते हैं, यौगिक शब्द कहलाते हैं। वर्ग 2 के शब्द।
वे शब्द जो यौगिक होते हैं, पर अर्थ के विचार से अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी परम्परा से विशेष अर्थ के परिचायक हैं, योग-रूढ़ शब्द कहलाते हैं यथा वर्ग 3 के शब्द।
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अन्य शब्द–
1. शब्द समूह के लिए एक शब्द–
(i) ईश्वर और धर्म में विश्वास होने के कारण रामधन नित्य पूजा पाठ करता था लेकिन उसके पुत्र राधाकिशन का ईश्वर में विश्वास नहीं था। इसलिए वह पूजा पाठ में रुचि नहीं लेता था।
(ii) रामधन आस्तिक होने से नित्य पूजा पाठ करता था, लेकिन उसका पुत्र राधा किशन नास्तिक होने से पूजा पाठ में रुचि नहीं लेता था।
उपर्युक्त दोनों अनुच्छेदों में एक ही बात दो प्रकार से कही गई है। पहले अनुच्छेद में अधिक विस्तार है जबकि दूसरे अनुच्छेद में अनेक शब्दों (वाक्यांश) के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग करके संक्षेप में कहा गया है।
वस्तुतः भाव प्रकाशन के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर सूत्र रूप में एक शब्द का सार्थक प्रयोग किया जाता है। इसके कारण भाव परिवर्तन नहीं होता, अपितु भाषा में कसावट आ जाती है और वह प्रभावशाली बन जाती है।
उदाहरण–
क. जिसे स्वीकार न किया जाए – अस्वीकृत
ख. जो धरती बंजर हो - अनुपजाऊ
ग. शिक्षा ग्रहण करने का स्थान - विद्यालय
घ. दूर तक की समझ रखने वाला – दूरदर्शी
ङ. सब प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न – सर्वगुणसम्पन्न
च.. जिसका कोई पार न हो – अपार
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2. अनेकार्थी शब्द-
परिभाषा- "भिन्न-भिन्न संदर्भों में प्रयोग के अनुसार भिन्न-भिन्न अर्थ देने वाले शब्दों को अनेकार्थी शब्द कहते हैं।"
उदाहरण-
(i) बच्चे आम खा रहे हैं।
(ii) महंगाई के कारण आम आदमी परेशान है।
उक्त वाक्यों में 'आम' (एक ही शब्द) भिन्न भिन्न संदर्भ में आया है। अनेकार्थी शब्द कहते हैं।
पहले वाक्य में 'आम' का आशय एक प्रकार के 'फल' से हैं। दूसरे वाक्य में 'आम' का अर्थ 'सामान्य जन' से हैं।
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
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