अर्थशास्त्र की समझ- आर्थिक गतिविधियाँ, व्यष्टि और समष्टि, अर्थमिति | Economic Activities, Micro and Macro, Econometrics
अर्थशास्त्र को एक दारूण, निराशाजनक और तुच्छ विज्ञान के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसे आम आदमी की समझ के परे तथा एक पहेली भी कहा जाता है। इस प्रकार अर्थशास्त्र की आलोचना की गयी है। इन सब के अतिरिक्त इसे एक 'असफल विज्ञान' भी कहा जाता है। विशेष रुप से इसे असफल तब कहा गया जब यह सन् 2008 की अमेरिकी वित्तीय संकट की भविष्यवाणी नहीं कर सका था। इसके बावजूद अर्थशास्त्र की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। अर्थशास्त्र ने विश्व को मनुष्य के लिए बेहतर बनाने में विशेष भूमिका अदा की है।
Economics is also known as a dark, depressing and trivial science. Apart from this, it is also called a puzzle beyond the understanding of the common man. Thus economics has been criticized. Apart from all this it is also called a 'failed science'. In particular, it was called a failure when it could not predict the 2008 US financial crisis. Despite this, the role of economics cannot be denied. Economics has played a special role in making the world better for man.
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अर्थशास्त्र की बारीकियों को समझ पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। पृष्पभूमि न होने पर यह मानव की समझ के लिए और अधिक कठिन है। किन्तु इससे आशय यह नहीं है कि जिन लोगों (विशेषकर विश्वविद्यालय-शिक्षित) के पास अर्थशास्त्र की पृष्ठभूमि है, उन्हें इसे समझने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। बल्कि इन लोगों की समस्या की प्रकृति कुछ अलग प्रकार की है। वे लोग जितना अर्थशास्त्र जानते हैं, उससे कम समझते हैं। सामान्यतः इस वर्ग के लोगों के पास अर्थशास्त्र के व्यावहारिक आयाम की समझ कम होती है। आज हर स्थान पर अर्थशास्त्र के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है। विशेष रुप से प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे संबंधित कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए अर्थशास्त्र को सिर्फ 'जानना' काफी नहीं है, अपितु इसे जीवन में उपयोग में लाने की आवश्यकता है। इसके लिए इसकी एक मौलिक 'समझ' की आवश्यकता होती है।
Understanding the nuances of economics is a challenging task. It is more difficult for human understanding if there is no background. But this does not mean that people (especially university-educated) who have a background in economics do not face any kind of problem in understanding it. Rather, the nature of the problem of these people is of a different type. They understand less economics than they know. Generally, this class of people have less understanding of the practical dimension of economics. Today, emphasis is being laid on the use of economics everywhere. Some questions related to this are asked especially in competitive exams. Therefore it is not enough to just 'know' economics, but it needs to be applied in life. It requires a fundamental 'understanding'.
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सरल शब्दों में कहा जाए तो "अर्थशास्त्र मानव की आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है।" यह अर्थशास्त्र की एक कार्यकारी परिभाषा है।
In simple words, "Economics studies the economic activities of human beings." This is a working definition of economics.
अर्थिक गतिविधियाँ- सरल रुप में कहा जाये तो मानव की प्रत्येक गतिविधि, जिसमें मुद्रा सम्मिलित होती है, आर्थिक गतिविधि कहलाती है। इसके अतिरिक्त जिस भी क्षेत्र में मुद्रा का प्रवेश होता है, वहाँ आर्थिक प्रयोजन भी सम्मिलित हो जाता है। यह प्रयोजन लाभ अर्जित करने के लिए होता है। उदाहरण के तौर पर नौकरी प्राप्त करना, नौकरी देना, कोई व्यवसाय करना, किसी वस्तु का बेचा तथा खरीदा जाना इत्यादि सभी आर्थिक गतिविधियों में सम्मिलित हैं। किन्तु आर्थिक गतिविधियों के विषय में अभी भी कुछ पेचीदगी है। उदाहरण के तौर पर धर्म स्थलों पर हमारा जाना निश्चित तौर पर आर्थिक गतिविधियों में सम्मिलित नहीं है। किन्तु विचार करने योग्य विषय यह है कि उस धर्मस्थल में पूजन स्थलों पर रुपये या सिक्के चढ़ाना, भिक्षुओं को धन देना, वहाँ पर धार्मिक चंदा देना किन गतिविधियों में सम्मिलित है। क्या इन्हें आर्थिक गतिविधियाँ कहा जा सकता है? यहाँ धार्मिक स्थलों पर की जाने वाली प्रार्थना के अलावा सभी आर्थिक गतिविधियों में सम्मिलित हैं।
p>Economic Activities- Simply put, every human activity, which involves money, is called economic activity. Apart from this, in whichever area money enters, the economic purpose is also included. This purpose is to earn profit. For example, getting a job, giving a job, doing a business, selling and buying something, etc. are all involved in economic activities. But there is still some complexity regarding economic activities. For example, our visits to religious places are definitely not included in economic activities. But the subject to be considered is that what activities are involved in offering money or coins at places of worship in that shrine, giving money to monks, giving religious donations there. Can these be called economic activities? All economic activities are included here except for the prayers offered at religious places.इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें।
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यहाँ पर अर्थशास्त्र को सरलता से परिभाषित किया गया है। किंतु अर्थशास्त्र को परिभाषित करना इतना भी आसान नहीं रहा है। बल्कि किसी भी विषय की परिभाषा सरल नहीं होती है। अर्थशास्त्र की सबसे अधिक प्रयोग में लायी जाने वाली तथा लोकप्रिय परिभाषाएँ संसाधनों के 'उपयोग' एवं उनके 'वितरण' के परिप्रेक्ष्य में हैं। इसकी परिभाषा से जुड़े तकनीकी पहलुओं को हम इस प्रकार समझ सकते हैं-
1. अर्थशास्त्र समाज द्वारा दुर्लभ संसाधनों के प्रयोग होने से मूल्यवान उत्पादों के उत्पादन तथा उनके वितरण का अध्ययन करता है।
2. अर्थशास्त्र व्यक्ति, फर्म, सरकारें तथा अन्य संगठनों द्वारा किए गए चयनों के द्वारा समाज में संसाधनों के उपयोग को तय करता है।
3. अर्थशास्त्र यह अध्ययन करता है कि समाज दुर्लभ संसाधनों का प्रयोग कैसे करता है। संभवत: यह अर्थशास्त्र से संबंधित सबसे प्रचलित, संक्षिप्त और आकर्षक परिभाषा है।
Here the semantics are simply defined. But defining economics has not been so easy either. Rather, the definition of any subject is not easy. The most commonly used and popular definitions of economics are in the context of 'use' and their 'distribution' of resources. We can understand the technical aspects related to its definition as follows-
1. Economics studies the production and distribution of valuable products by the use of scarce resources by the society.
2. Economics determines the use of resources in society through the choices made by individuals, firms, governments and other organizations.
3. Economics studies how society uses scarce resources. This is probably the most popular, concise and catchy definition of economics.
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व्यष्टि और समष्टि- 1930 के दशक में महान मंदी के पश्चात् अर्थशास्त्र दो वृहद् शाखाओं में विभाजित हो गया- 1. व्यष्टि-अर्थशास्त्र 2. समष्टि-अर्थशास्त्र
Micro and Macro- After the Great Depression in the 1930s, economics split into two major branches- 1. Microeconomics 2. Macroeconomics
जॉन मेयनार्ड कीन्स को समष्टि-अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है। इस शाखा का जन्म कीन्स की पुस्तक 'द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लायमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी, 1936' से हुआ है। शब्दों में कहा जाये तो जहाँ पर समष्टि अर्थशास्त्र जंगल का अध्ययन करता है। वहीं व्यष्टि अर्थशास्त्र पेड़ों का अध्ययन करता है। इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है- जहाँ पहला (समष्टि अर्थशास्त्र) वृहत् चित्र से जुड़ा है, वहीं जुड़ा दूसरा (व्यष्टि अर्थशास्त्र) इसके उस विवरण से जुड़ा है, जिससे इसका निर्माण हुआ है।
John Maynard Keynes is called the father of macroeconomics. This branch is derived from Keynes' book 'The General Theory of Employment, Interest and Money, 1936'. In words, where macroeconomics studies the forest. Whereas microeconomics studies trees. It can also be understood in this way- where the first (macroeconomics) is related to the macro picture, the second (microeconomics) is related to the description from which it is formed.
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अर्थशास्त्र से संबंधित 'माइक्रो' एवं 'मैक्रो' ग्रीक शब्द हैं, जिनके अर्थ क्रमशः छोटा व बड़ा है। आर्थिक विश्लेषण के अनुसार जहाँ माइक्रो का दृष्टिकोण 'नीचे से ऊपर' होता है। वहीं मैक्रो का 'ऊपर से नीचे' दृष्टिकोण है। उदाहरण के लिए जहाँ पहले (माइक्रो) में उपभोक्ताओं की आय और उनकी खरीदारी की चर्चा होती है। वहीं दूसरे (मैक्रो) में मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि की गतिजता का अध्ययन किया जाता है। वैसे तो ये दोनों शाखाएँ अलग दिखायी देती हैं, लेकिन ये दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं तथा एक-दूसरे की पूरक हैं। इन दोनों के अध्ययन के मुद्दों में काफी अधिव्यापन होता है।
'micro' and 'macro' are Greek words related to economics, meaning small and large respectively. As per economic analysis where micro approach is 'bottom to top'. The macro, on the other hand, has a 'top to bottom' approach. For example where in the first (micro) the income of consumers and their purchases are discussed. The second (macro) studies the dynamics of inflation and economic growth. Although these two branches look different, but they are both dependent on each other and complement each other. There is considerable overlap between the two issues of study.
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उदाहरण के लिए मैक्रो प्रभाव के अनुसार यदि मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि होती है, तो कच्चे माल के मूल्यों में वृद्धि होगी। अंतत: माइक्रो प्रभाव के अनुसार उपभोक्ताओं को अपनी खरीद पर अधिक मूल्य चुकाना पड़ेगा।
For example according to the macro effect, if the rate of inflation increases, the prices of raw materials will increase. Ultimately, the micro effect will cause consumers to pay more for their purchases.
जहाँ माइक्रो सिद्धांत का उद्भव मूल्यों के निर्धारण से हुआ। वहीं मैक्रो का उद्भव प्रयोगसिद्ध अवलोकनों से हुआ है। इन अवलोकनों का विश्लेषण विद्यमान सिद्धांतों से नहीं किया जा सकता। माइक्रो शाखा में जहाँ कोई प्रतियोगी स्कूल सम्मिलित नहीं है, वहीं मैक्रो में हमें अनेक स्कूल मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर न्यू कीनीसियन और न्यू कलासिकल प्रमुख हैं। वैसे 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से मैक्रो के विभिन्न स्कूलों का अंतर घटता चला गया है।
Where micro theory originated from the determination of values. Whereas macro has emerged from empirical observations. These observations cannot be analyzed from existing theories. While there are no competing schools involved in the micro branch, we find many schools in the macro branch. For example, New Keynesian and New Classical are prominent. However, since the late 1980s the difference between the different schools of macro has narrowed.
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अर्थमिति- यह अर्थशास्त्र का व्यष्टि और समष्टि के अलावा तीसरा कोर क्षेत्र है। इस विधा के अंतर्गत आर्थिक विश्लेषण में सांख्यिकीय और गणितीय विधियों का उपयोग होता है। व्यष्टि और समष्टि प्रशाखाओं की उच्च तथा जटिल विवेचनाएँ संभव नहीं होतीं, यदि पिछली कुछ शताब्दी में अर्थमिति का इतना विकास नहीं हुआ होता।
Econometrics- It is the third core area of economics apart from micro and macro. Under this mode, statistical and mathematical methods are used in economic analysis. High and complex interpretations of the micro and macro branches would not have been possible if econometrics had not developed so much in the last few centuries.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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