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अर्थव्यवस्था एवं इसके प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र | Economy and its Primary, Secondary and Tertiary Sectors

अर्थशास्त्र का क्रियाशील स्वरूप को 'अर्थव्यवस्था' कहते हैं। इसे आर्थिक गतिविधियों का एक रुका हुआ चित्र भी कहा जा सकता है। देशों, कंपनियों तथा परिवारों सभी की अर्थव्यवस्थाएँ होती हैं। देशों के संदर्भ में हम इसे भारतीय अर्थव्यवस्था, अमेरिकी अर्थव्यवस्था या फिर जापानी अर्थव्यवस्था इत्यादि कहते हैं। अर्थशास्त्र के सिद्धांतों में समरूपता होने के पर भी देशों की सामाजिक तथा आर्थिक विविधताओं की वजह से उनकी अर्थव्यवस्थाओं में भी विविधता होती है।

The functional form of economics is called 'economy'. It can also be called a stagnant picture of economic activity. Countries, companies and families all have their economies. In the context of countries, we call it Indian economy, American economy or Japanese economy etc. Despite the homogeneity in the principles of economics, due to the social and economic diversity of countries, their economies are also diverse.

अर्थव्यवस्थाओं के क्षेत्रक एवं प्रकार- किसी देश की अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों को मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है। क्षेत्रों की प्रधानता के आधार पर इसे इस प्रकार परिभाषित किया जाता है-
1. प्राथमिक क्षेत्र
2. द्वितीयक क्षेत्र
3. तृतीयक क्षेत्र

Sectors and Types of Economies- The economic activities of a country's economy can be mainly classified into three sectors. On the basis of the primacy of the regions it is defined as-
1. Primary Sector
2. Secondary Sector
3. Tertiary Sector

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प्राथमिक क्षेत्र- प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से जुड़ी सभी गतिविधियाँ प्राथमिक क्षेत्र में सम्मिलित होती हैं। उदाहरण के लिए कच्चे तेल का निष्कर्षण, उत्खनन, कृषि कार्य इत्यादि। यदि किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तथा जीवनयापन में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी कम-से-कम 50 प्रतिशत हो तो उसे कृषि अर्थव्यवस्था कहते हैं।

Primary Sector- All activities related to exploitation of natural resources are included in the primary sector. For example, extraction of crude oil, quarrying, agricultural work, etc. If the share of agriculture sector in a country's Gross Domestic Product (GDP) and livelihood is at least 50 percent, then it is called agricultural economy.

द्वितीयक क्षेत्र- इस क्षेत्र के अंतर्गत वे सभी गतिविधियाँ सम्मिलित होती हैं, जिनमें प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को प्रंसस्कृत किया जाता है। उदाहरण के लिए औद्योगिक क्षेत्र आदि। इसका एक उप-क्षेत्र, विनिर्माण उद्योग विकसित देशों में सर्वाधिक रोजगार सृजित करने वाला क्षेत्र रहा है। यदि द्वितीयक क्षेत्र का किसी देश की राष्ट्रीय आय तथा जीवनयापन में कम-से कम आधे की योगदान हो तो इसे औद्योगिक अर्थव्यवस्था कहते हैं।

Secondary Sector - This sector includes all those activities in which products of the primary sector are processed. For example industrial area etc. One of its sub-sectors, the manufacturing industry, has been the largest employment generating sector in developed countries. If the secondary sector contributes at least half of the national income and livelihood of a country, then it is called industrial economy.

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तृतीयक क्षेत्र- वे सभी गतिविधियाँ, जिनके अंतर्गत सेवाओं का उत्पादन होता है, उन्हें तृतीयक क्षेत्र में शामिल जाता है। उदाहरण के लिए परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि। जब इस क्षेत्र का किसी देश की राष्ट्रीय आय तथा लोगों के जीवनयापन में कम-से-कम आधे की हिस्सेदारी हो तो उसे सेवा अर्थव्यवस्था के नाम से जाना जाता है।

Tertiary Sector- All those activities under which production of services are included in Tertiary Sector. For example transport, education, health etc. When this sector accounts for at least half of a country's national income and people's livelihood, it is known as service economy.

आगे चलकर विशेषज्ञों ने दो और आर्थिक क्षेत्रों को चिन्हित किया। हालाँकि ये दोनों सेवा क्षेत्र के ही उप-क्षेत्रक हैं- चतुष्क तथा पंचक क्षेत्र।

Later on the experts identified two more economic areas. However, both of these are sub-sectors of the service sector- quaternary and quintet areas.

चतुष्क क्षेत्र- शिक्षा, खोज तथा अनुसंधान से जुड़ी हुई सभी गतिविधियों को चतुष्क क्षेत्र में सम्मिलित जाता है। इसे 'ज्ञान क्षेत्रक' के नाम से भी जाना जाता है। यह किसी देश की अर्थव्यवस्था के मानव संसाधन की गुणवत्ता का आधार स्तंभ होता है।

Quadrate Zone - All activities related to education, discovery and research are included in the Quadrant Zone. It is also known as 'Knowledge Sector'. It is the cornerstone of the quality of human resources of a country's economy.

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पंचक क्षेत्र- किसी अर्थव्यवस्था के सभी शीर्ष निर्णयों से जुड़ी गतिविधियों को पंचक क्षेत्र में सम्मिलित जाता है। इसके अंतर्गत सरकारों एवं निजी क्षेत्र के उच्च नीति निर्णायक लोग, जैसे- नौकरशाही लोग आदि सम्मिलित हैं। हालाँकि इस क्षेत्रक में शामिल लोगों की संख्या काफी कम होती है। इन्हें किसी देश के सामाजिक-आर्थिक निष्पादन का मस्तिष्क कहा जाता है।

Punchak area- All the top decision making activities of an economy are included in the quintet area. Under this, high policy decision-makers of governments and private sector, such as bureaucratic people etc. are included. However, the number of people involved in this sector is very less. They are said to be the brain of the socio-economic performance of a country.

वृद्धि के चरण- वर्ष 1960 में विकसित देशों की आर्थिक वृद्धि का अध्ययन करके डब्ल्यू. डब्ल्यू. रोस्तोव ने वृद्धि के चरणों से जुड़े सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। इस सिद्धांत के अनुसार अर्थव्यवस्थाएँ अपने कृषि, उद्योग तथा सेवा क्षेत्रों के निष्पादन द्वारा वृद्धि के पाँच एकरेखीय चरणों का अनुसरण करती हैं। हालाँकि, आने वाले वर्षों में विश्व के अनेक देश इस सिद्धांत के अपवाद बन गए। जैसे- भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक देश इंडोनेशिया, फिलीपिन्स, थाईलैंड तथा वियतनाम में कृषक अर्थव्यवस्था के पश्चात् सीधे सेवा अर्थव्यवस्था का अधिपत्य आया। इन देशों में औद्योगिक क्षेत्र का उचित विस्तार नहीं हो पाया था। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के अधिपत्य को 1990 के दशक में सेवा क्षेत्र ने पीछे छोड़ दिया था। तभी से लेकर अब तक इसका योगदान 50 प्रतिशत के ऊपर बना रहा है।

Stages of Growth- By studying the economic growth of developed countries in the year 1960 W. W. Rostov had propounded the theory related to the stages of growth. According to this theory, economies follow five unilinear stages of growth by the performance of their agriculture, industry and service sectors. However, in the years to come, many countries of the world became exceptions to this principle. For example, in India and many countries of South-East Asia, the service economy came directly after the agricultural economy in Indonesia, Philippines, Thailand and Vietnam. The industrial sector in these countries did not expand properly. The dominance of agriculture in India's GDP was overtaken by the services sector in the 1990s. Since then its contribution has remained above 50 percent.

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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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