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प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण अभिलेख, शिलालेख, स्तंभलेख एवं लेख | Important Records, Rock Inscriptions, Pillar Inscriptions and Inscriptions of Ancient India

सोहगौरा ताम्रपत्र- सबसे प्रारंभिक काल में ज्ञात यह ताम्रपत्र, सोहगौरा ताम्रपत्र के नाम से जाना जाता है। यह मौर्यकालीन अभिलेख है। इसमें अकाल के राहत कार्यों का वर्णन है। यह अशोक के काल के पूर्व का ब्राह्मी लिपि में लिखा गया अभिलेख है। यह उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले से प्राप्त अभिलेख है।

Sohgaura copper plate- The earliest known copper plate is known as Sohgaura copper plate. This is a Mauryan inscription. It describes the famine relief work. This is an inscription written in the Brahmi script before the time of Ashoka. This is an inscription obtained from Gorakhpur district of Uttar Pradesh.

अशोक के अभिलेख- अशोक के अभिलेख, अशोक के स्तंभों के साथ-साथ शिलालेख और गुफा भित्तियों पर लेख सहित कुल 33 अभिलेखों का समूह है। इन्हें 269 ईसा पूर्व से लेकर 232 ईसा पूर्व के मध्य मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक के नेतृत्व में उत्कीर्णित किया गया था। ये अभिलेख पूरे देश में फैले हैं तथा बौध्द धर्म के पहले मूर्त साक्ष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोगों (समाज) द्वारा देश में सामना की जीने वाली समस्याओं का हल प्राप्त करने के लिए, ये अभिलेख अशोक के धर्म के सम्बंध में विचार प्रकट करते हैं।

Edicts of Ashoka- The Edicts of Ashoka is a group of 33 inscriptions including Ashoka's pillars as well as inscriptions and inscriptions on cave walls. These were engraved between 269 BC to 232 BC under the leadership of Emperor Ashoka of the Maurya Empire. These inscriptions are spread across the country and represent the first tangible evidence of Buddhism. In order to find solutions to the problems faced by the people (society) in the country, these inscriptions reveal Ashoka's views on religion.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. भारत की वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मृद्भाण्ड
2. हड़प्पा सभ्यता के स्थल एवं उनसे प्राप्त वास्तुकला एवं मूर्तिकला के उदाहरण
3. हड़प्पा सभ्यता की वास्तुकला
4. हड़प्पा सभ्यता की मोहरें
5. हड़प्पा सभ्यता की मूर्ति कला
6. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मृद्भाण्ड एवं आभूषण

ये अभिलेख नि.लि. प्रकार से विभाजित हैं-
1. स्तंभ लेख
2. बृहत्त राजादेश- कुल 14 राजादेश (इन्हें 1 से 14वाँ कहा जाता है।) तथा उड़ीसा से दो राजादेश मिले हैं।
3. बृहत्त शिलालेख- लघु राजादेश, रानी का आदेश, बराबर की गुफाओं से प्राप्त अभिलेख, कांधार का द्विभाषी अभिलेख।

These records are for N.L. are divided into types-
1. Pillar Article
2. Greater monarchy- Total 14 kings (they are called from 1st to 14th.) and two kingdoms have been received from Orissa.
3. Great Inscriptions- Small King Desh, Queen's Order, Inscriptions from Barabar Caves, Bilingual Inscription of Kandahar.

ये अभिलेख बौद्ध दर्शन के प्रति अशोक के समर्पण को प्रदर्शित करते हैं। ये अभिलेख सम्पूर्ण देश में बौद्ध धर्म के प्रसार एवं विकास के लिए अशोक द्वारा किये गये प्रयासों का वर्णन करते हैं। ये अभिलेख प्राचीन धार्मिक मान्यताओं और बौद्ध धर्म के दार्शनिक आयामों के स्थान पर सामाजिक और नैतिक मूल्यों को प्रदर्शित करते हैं।
ये अभिलेख निम्नलिखित विषयों के चारों ओर घूमते हैं- बौद्ध धर्म में अशोक का धर्मांतरण, सम्पूर्ण देश में बौद्ध धर्म के प्रचार एवं विकास के लिए अशोक द्वारा किये गये प्रयास, अशोक के धार्मिक एवं नैतिक आदेश, अशोक के सामाजिक एवं पशु कल्याण कार्यक्रम।
इन अभिलेखों में अशोक ने स्वयं को देवताओं का प्रिय सेवक अर्थात् 'देवनामपियदस्सी' कहा है।

These inscriptions show Ashoka's dedication to Buddhist philosophy. These inscriptions describe the efforts made by Ashoka for the spread and development of Buddhism throughout the country. These inscriptions reflect social and moral values ​​rather than ancient religious beliefs and philosophical dimensions of Buddhism.
These inscriptions revolve around the following themes- Ashoka's conversion to Buddhism, efforts made by Ashoka for the promotion and development of Buddhism throughout the country, Ashoka's religious and moral orders, Ashoka's social and animal welfare programs.< br> In these inscriptions, Ashoka has called himself a favorite servant of the gods, i.e. 'Devnampiyadassi'.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्य कला एवं स्थापत्य कला
2.मौर्य काल की दरबारी कला
3. मौर्य काल की लोकप्रिय कला
4. मौर्योत्तर कालीन कला की जानकारी
5. मौर्योत्तर काल की स्थापत्य कला- गुफाएँ एवं स्तूप

रूम्मिनदेई स्तंभलेख (लुंबिनी)- ये लघु स्तंभलेख के अंतर्गत आते हैं। इन अभिलेखों में अशोक के समर्पण को प्रदर्शित किया गया है। यह अभिलेख भगवान बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी, नेपाल में सम्राट अशोक की यात्रा का वर्णन करता है। अशोक ने लुंबिनी को कर भुगतान करने से मुक्त कर दिया था। उन्होंने अनाज का योगदान देने के लिए कुल उपज का 1/8वाँ हिस्सा निश्चित किया था। ये अभिलेख ब्राह्मी लिपि में किये गये हैं।

Rummindei Pillar inscriptions (Lumbini)- These come under Small Pillar inscriptions. Ashoka's dedication has been displayed in these inscriptions. This inscription describes the visit of Emperor Ashoka to Lumbini, Nepal, the birthplace of Lord Buddha. Ashoka freed Lumbini from paying taxes. He had earmarked 1/8th of the total produce to contribute grain. These inscriptions are done in Brahmi script.

प्रयाग-प्रशस्ति- इलाहाबाद स्तंभलेख को प्रयाग-प्रशस्ति कहा जाता है। 'प्रयाग' का अर्थ है किसी चीज या स्थान का मिलन। प्रयाग, इलाहाबाद का प्राचीन नाम है। प्रयाग में तीनों नदियों गंगा, यमुना और प्राचीन पौराणिक नदी सरस्वती का संगम हुआ है। 'प्रशस्ति' का अर्थ है प्रशंसा करना और यह स्वतन है। इस अभिलेख को इलाहाबाद के निकट कौशांबी में अशोक स्तंभ पर उत्कीर्णित करवाया गया था। बाद में इसे इलाहाबाद के किले में ले जाया गया था। मुख्य रूप से यह अशोक का अभिलेख है, किन्तु इसमें चार अलग-अलग अभिलेख उत्कीर्णित हैं। ये निम्नलिखित हैं-
1. जैसा कि सभी स्तंभलेखों में है, ब्राह्मी लिपि में अशोक के स्तंभलेख।
2. अशोक की पत्नी कारुवाकी के राजकीय धर्मार्थ कार्यों का वर्णन करता हुआ रानी का आदेश।
3. संस्कृत भाषा एवं बाह्मी लिपि में लिखित समुद्रगुप्त (335 ईसवी से 375 ईसवी) का अभिलेख। हरिसेन द्वारा इस अभिलेख में समुद्रगुप्त की विजयों एवं गुप्त साम्राज्य की सीमाओं का वर्णन है।
4. फारसी में जहाँगीर का अभिलेख।

Prayag-Prasasti- Allahabad Pillar inscription is called Prayag-Prasasti. 'Prayag' means meeting of a thing or a place. Prayag is the ancient name of Allahabad. The confluence of the three rivers Ganga, Yamuna and the ancient mythological river Saraswati took place in Prayag. 'prashasti' means to praise and it is automatic. This inscription was engraved on the Ashoka Pillar at Kaushambi near Allahabad. Later it was moved to the Allahabad Fort. It is mainly an inscription of Ashoka, but there are four different inscriptions inscribed in it. These are the following-
1. As in all pillar inscriptions, Ashoka's pillar inscriptions in Brahmi script.
2. Queen's order describing the royal charitable works of Ashoka's wife Karuwaki.
3. Inscriptions of Samudragupta (335 AD to 375 AD) written in Sanskrit language and Bahmi script. This inscription by Harisena describes the conquests of Samudragupta and the boundaries of the Gupta Empire.
4. Jahangir's inscription in Persian.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली
2. मूर्तिकला शैली - गांधार, मथुरा तथा अमरावती शैलियों में अंतर
3. यूनानी कला एवं रोमन मूर्ति-कला
4. शरीर की विभिन्न मुद्राएँ - महात्मा बुद्ध से संबंधित
5. हिन्दू मंदिरों के महत्वपूर्ण अवयव- गर्भगृह, मंडप, शिखर, वाहन
6. गुप्त कालीन वास्तुकला- गुफाएँ, चित्रकारी, स्तूप और मूर्तियाँ

मेहरौली अभिलेख (मेहरौली का स्तंभ लेख)- यह दिल्ली में कुतुबमीनार परिसर में स्थित है। यह स्तंभ निर्माण में प्रयुक्त धातु की जंग-प्रतिरोधी संरचना के लिए प्रसिद्ध है। यह लौहस्तंभ भगवान विष्णु के सम्मान में विष्णुपद के रूप में गुप्त साम्राज्य के शासक चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा स्थापित करवाया गया था। यह स्तंभलेख सम्राट चन्द्रगुप्त को अपने एकजुट शत्रुओं के विरुद्ध लड़कर वंग देश पर विजय प्राप्त करने का श्रेय देता है। यह अभिलेख युद्ध में सम्राट चन्द्रगुप्त द्वारा बहलिका साम्राज्य पर विजय प्राप्त करने का वर्णन करता है, जो सिन्धु नदी के सात मुहानो पर लड़ा गया था।

Mehrauli inscription (Pillar inscription of Mehrauli)- It is located in Qutub Minar complex in Delhi. It is famous for the corrosion-resistant structure of the metal used in pillar construction. This iron pillar was established in honor of Lord Vishnu as Vishnupad by Chandragupta II, the ruler of the Gupta Empire. This column inscription credits Emperor Chandragupta for conquering Vang Desh by fighting against his united enemies. This inscription describes the victory over the Bahlika kingdom by Emperor Chandragupta in a battle that was fought at the seven mouths of the Indus river.

खलसी अभिलेख- खलसी नगर अपनी धरोहरों के लिये उल्लेखनीय है। यह यमुना नदी के तट पर चकराता और देहरादून के मध्य स्थित एक छोटा सा यह सा नगर है। यह नगर अद्वितीय रूप से अनूठा है, क्योंकि यह उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा नगर है जहाँ सम्राट अशोक के 14 शिलालेख का समुच्चय उत्कीर्णित है। ये अभिलेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में लिखे गये हैं। ये अभिलेख लगभग 250 ईसा पूर्व के लगभग उत्कीर्णित करवाये गये थे। ये क्वार्टज पत्थर से निर्मित किये गये हैं। यह अभिलेख (शिलालेख) 8 फीट चौड़ा एवं 10 फीट लंबा है।
ये अभिलेख बौद्ध धर्म अपना लेने के बाद सम्राट अशोक के अपने आंतरिक प्रशासन में मानवतावादी दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करते हैं। ये अहिंसा एवं युद्ध निषेध की नीति का वर्णन करते हैं। ये अभिलेख अशोक के आध्यात्मिकता को अपना लेने के बाद के जीवन पर प्रकाश डालते हैं।

Khalsi inscription- Khalsi city is notable for its heritage. It is a small town situated between Chakrata and Dehradun on the banks of river Yamuna. The city is unique in that it is the only city in North India to have a set of 14 inscriptions of Emperor Ashoka inscribed. These inscriptions are written in Prakrit language and Brahmi script. These inscriptions were inscribed around 250 BC. These are made of quartz stone. This inscription (inscription) is 8 feet wide and 10 feet long.
These inscriptions reflect the humanistic approach of Emperor Ashoka in his internal administration after his conversion to Buddhism. They describe the policy of non-violence and the prohibition of war. These inscriptions throw light on the later life of Ashoka as he embraced spirituality.

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्य साम्राज्य प्राचीन भारत का गौरवशाली इतिहास
2. पाटलिपुत्र (मगध साम्राज्य) पर शुंग वंश का शासन
3. भारत का प्राचीन इतिहास - कण्व वंश
4. प्राचीन भारत का आन्ध्र सातवाहन वंश
5. भारत में हिन्द-यवन वंश का शासन

मस्की अभिलेख- यह स्थल कर्नाटक के रायचूर जिले में स्थित एक गाँव या पुरातात्त्विक स्थल है। यह स्थल तुंगभद्रा नदी की सहायक नदी मस्की के तट पर पर स्थित है। यह अशोक का लघु राजादेश है। यह सम्राट अशोक का पहला ऐसा अभिलेख है जिसमें से 'देवनामप्रिय' और 'पियदस्सी' के स्थान पर अशोक नाम उल्लेखित है। यह अभिलेख धर्म शासन को प्रदर्शित करता है तथा बौद्ध धर्म के विकास एवं प्रचार को संदर्भित करता है। इसके अतिरिक्त यह उत्तर-पूर्वी कर्नाटक में कृष्णा नदी के तट तक मौर्य साम्राज्य की सीमाओं का उल्लेख करता है।

Musky Inscription- This site is a village or archaeological site located in Raichur district of Karnataka. The site is situated on the banks of the Muski, a tributary of the Tungabhadra River. This is the minor kingdom of Ashoka. This is the first such inscription of Emperor Ashoka, in which the name Ashoka is mentioned in place of 'Devanampriya' and 'Piyadassi'. This inscription represents the rule of religion and refers to the development and propagation of Buddhism. In addition it mentions the boundaries of the Maurya Empire to the banks of the Krishna River in north-eastern Karnataka.

कलिंग राजादेश- वर्तमान उड़ीसा में कलिंग अपनी हमारों वर्ष पुरानी प्राचीन धरोहरों के लिये उल्लेखनीय है। कलिंग का युद्ध सम्राट अशोक के जीवन की युगांतरी घटनाओं में से एक है। इस युद्ध के बाद अशोक ने न केवल 'दिग्विजय' का विचार त्याग दिया, बल्कि अहिंसा एवं युद्ध निषेध की नीति को तथा बौद्ध धर्म अपनाने का निर्णय लिया।
कलिंग से अशोक के प्रसिद्ध 14 राजादेशों में से 11 राजादेश प्राप्त हुए हैं। ये अभिलेख मगधी प्राकृत एवं आरंभिक ब्राह्मी में लिखे गये हैं। इन अभिलेखों में 11वें, 12वें और 13वें राजादेश के स्थान पर कलिंग राजादेश नाम के विशेष राजादेशों का वर्णन किया गया है। इन अभिलेखों के समुच्चय में शांति और समझौते की बात कही गयी है। इसके अतिरिक्त कलिंग के नवविजित लोगों के प्रशमन का वर्णन किया गया है।

Kalinga Kingdom- Kalinga in present Orissa is notable for its ancient heritage dating back many years. The Battle of Kalinga is one of the epoch-making events in the life of Emperor Ashoka. After this war, Ashoka not only abandoned the idea of ​​'Digvijay' (double victory), but also decided to adopt the policy of non-violence and war prohibition and adopt Buddhism.
From Kalinga, 11 of Ashoka's famous 14 kingdoms have been received. These inscriptions are written in Magadhi Prakrit and early Brahmi. In these inscriptions, instead of the 11th, 12th and 13th monarchies, special kingdoms named Kalinga Rajdesh have been described. In the set of these inscriptions, there is talk of peace and agreement. Apart from this, the composition of the newly conquered people of Kalinga is described.

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. गुप्त साम्राज्य का इतिहास जानने के स्रोत
2. गुप्त शासक श्रीगुप्त, घटोत्कच और चंद्रगुप्त प्रथम
3. भारत में शक राजतंत्र- प्रमुख शासक
4. चक्रवर्ती सम्राट राजा भोज
5. समुद्रगुप्त एवं नेपोलियन के गुणों की तुलना
6. सम्राट हर्षवर्धन एवं उनका शासनकाल

कंगनहल्ली अभिलेख- यह स्थल कर्नाटक के गुलबर्गा जिले में स्थित है। इस स्थल से मूर्तिकला स्लैबों के साथ 75 फीट व्यास का एक महास्तूप प्राप्त हुआ है। इस स्थल के महत्त्वपूर्ण चित्र स्लैब में राजा अशोक और उनकी रानी के साथ दो चौरी धारक हैं। यह पुष्टि करने के लिए कि यह अशोक की मूर्ति है, मूर्तिकला स्लैब में इस अवधि के सातवाहन काल की ब्राह्मी लिपि में एक पंक्ति में 'राण्यो अशोक' लिया गया है।

Kanganahalli inscription- This site is located in Gulbarga district of Karnataka. A Mahastupa of 75 feet diameter with sculptural slabs has been recovered from this site. The important painting slabs of this site have two chauri holders with King Ashoka and his queen. To confirm that it is a statue of Ashoka, the sculptural slab contains a line 'Ranya Ashoka' in the Brahmi script of the Satavahana period of this period.

एहोल अभिलेख- कर्नाटक में स्थित एहोल, चालुक्यों की प्रारंभिक राजाधानी थी। यहाँ से कई अभिलेख प्राप्त हुए हैं। किन्तु मेगुती मंदिर से प्राप्त अभिलेख को लोकप्रिय रूप से एहोल अभिलेख कहा जाता है। इसमें चालुक्य राजाओं की कई ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन किया गया है। यह संस्कृत भाषा एवं कन्नड़ लिपि में उल्लिखित है।
इस अभिलेख में पुलकेशिन द्वितीय की हर्षवर्धन पर विजय का वर्णन किया गया है। साथ ही पल्लवों पर चालुक्यों की विजय का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त यह अभिलेख चालुक्यों के एहोल से बादामी राजधानी परिवर्तन करने की घटना को प्रदर्शित करता है। इस अभिलेष को 610 ईसवी से 642 ईसवी तक शासन करने वाले सम्राट पुलकेसिन द्वितीय के दरबारी कवि रविकीर्ति ने लिखा था।

Aihole inscription- Aihole, located in Karnataka, was the early capital of the Chalukyas. Many records have been obtained from here. But the inscription obtained from the Meguti temple is popularly called the Aihole inscription. Many historical events of the Chalukya kings have been described in it. It is mentioned in Sanskrit language and Kannada script.
This inscription describes the victory of Pulakeshin II over Harshavardhana. It also mentions the victory of the Chalukyas over the Pallavas. Apart from this, this inscription shows the incident of the Chalukyas changing the capital from Aihole to Badami. This inscription was written by Ravikirti, the court poet of Emperor Pulakesin II, who ruled from 610 AD to 642 AD.

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. वैदिक सभ्यता- ऋग्वैदिक काल
2. मध्यप्रदेश का प्राचीन इतिहास
3. भारत का इतिहास- बुद्ध के समय के प्रमुख गणराज्य (गणतंत्र)
4. भारत का प्राचीन इतिहास-;जनपद एवं महाजनपद
5. भारत का प्राचीन इतिहास-;जनपद एवं महाजनपद

हाथीगुम्फा अभिलेख- हायीगुम्फा अभिलेख को उड़ीसा की उदयगिरी-खण्डगिरी की गुफाओं का हाथीगुम्फा अभिलेख के नाम से जाना जाता है। इसे राजा खारवेल ने उत्कीर्णित करवाया था। दूसरी सदी ईसा पूर्व का यह अभिलेख प्राकृत भाषा एवं ब्राह्मी लिपि में उल्लिखित है। इसमें कुल 17 पंक्तियाँ हैं। यह कलिंग के शासक के विषय में जानकारी प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत है।
इस अभिलेख में एक राजा, एक विजेता और संस्कृति व जैन धर्म के संरक्षक के रूप में खारवेल के शासक का उल्लेख किया गया है।

Hathigumpha inscription- Hayigumpha inscription is known as Hathigumpha inscription of Udayagiri-Khandagiri caves of Orissa. It was engraved by Raja Kharavela. This inscription of 2nd century BC is mentioned in Prakrit language and Brahmi script. It has a total of 17 rows. It is an important source of information about the ruler of Kalinga.
The inscription mentions the ruler of Kharavela as a king, a conqueror and a patron of culture and Jainism.

शहबाज़गढ़ी एवं मानसहरा अभिलेख- यह वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है। यहाँ पर राजा अशोक के 14 संस्करणों का रिकॉर्ड है। ये खरोष्ठी लिपि में लिखे गये हैं।

Shahbazgarhi and Mansara inscription- It is located in present day Pakistan. Here there is a record of 14 volumes of King Ashoka. These are written in Kharoshthi script.

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1. सिकंदर का भारत पर आक्रमण- इसके कारण एवं प्रभाव
2. जैन धर्म के 24 तीर्थंकर एवं महावीर स्वामी की पारिवारिक जानकारी
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4. मगध साम्राज्य का इतिहास | The Magadh Empire time period

आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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