एनडीपी से तात्पर्य एवं एनडीपी व जीडीपी में संबंध | Meaning of NDP and relationship between NDP and GDP
NDP अर्थात् शुद्ध घरेलू उत्पाद को किसी देश की अर्थव्यवस्था के जीडीपी में से एक वर्ष के दौरान होने वाली घिसावट को घटाकर या कम करके प्राप्त किया जाता है। देश में प्राकृतिक एवं मानव निर्मित संसाधनों से उत्पादन किया जाता है। इन उत्पादों के उपयोग के दौरान उनके मूल्य में कमी हो जाती है। इसका तात्पर्य है कि उस वस्तु के घिसने अथवा टूटने-फूटने से होता है। अर्थव्यवस्था से संबंधित इस घिसावट की दर को देश की सरकार निर्धारित करती है। भारत में इस विषय पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय फैसला करता है। यह मंत्रालय एक सूची जारी करता है। सके अनुसार विभिन्न उत्पादों में होने वाली घिसावट की दर तय की जाती है। उदाहरणस्वरूप, बिजली से चलने वाले पंखे के मूल्य में 10 प्रतिशत की कमी होती है वहीं भारत में रिहाइशी निवास की सालाना घिसावट एक प्रतिशत है। विदेशी विनिमय बाजार में अगर घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के सामने कम होता है तब उसे घरेलू मुद्रा की घिसावट कहा जाता है।
NDP i.e. Net Domestic Product is obtained by subtracting or reducing the depreciation during a year from the GDP of a country's economy. Production is done from natural and man-made resources in the country. These products lose their value during use. It means that it is caused by wear or breakage of that object. The rate of this deterioration related to the economy is determined by the government of the country. In India, this subject is decided by the Union Ministry of Commerce and Industry. This ministry issues a list. The rate of wear that occurs in different products is determined accordingly. For example, the cost of an electric fan is reduced by 10 percent, while the annual wear of residential accommodation in India is one percent. In the foreign exchange market, if the value of the domestic currency is less against the foreign currency, then it is called depreciation of the domestic currency.
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इस प्रकार स्पष्ट है कि देश की अर्थव्यवस्था में,
NDP = GDP ― घिसावट
Thus it is clear that in the economy of the country,
NDP = GDP — Depreciation
अतः यह कहा जा सकता है कि किसी भी वर्ष में किसी भी अर्थव्यवस्था में एनडीपी सदैव उस साल की जीडीपी से कम होगा। घिसावट को शून्य करने का कोई भी उपाय नहीं होता। किन्तु मानव समाज इसे कम-से-कम करने के लिए अनेक तरकीबें निकाल चुका है।
So it can be said that in any given year the NDP in any economy will always be less than the GDP of that year. There is no way to reduce wear to zero. But human society has come up with many tricks to minimize it.
अर्थशास्त्र में NDP के निम्नलिखित उपयोग हैं-
The following are the uses of NDP in economics-
1. इसका प्रयोग घिसावट के कारण होने वाले नुकसान को समझने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त खास समयावधि के में उद्योग-धंधे तथा कारोबार में अलग-अलग क्षेत्र की स्थिति का अंदाजा भी इसके लगा सकते हैं।
1. It is used to understand the damage caused by wear. Apart from this, you can also get an idea of the situation of different areas in the industry and business in a particular time period.
2. इसका प्रयोग घिसावट की मात्रा कम करने से संबद्ध अनुसंधान तथा विकास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था की उपलब्धि को दर्शाने हेतु किया जाता है।
2. It is used to denote the achievements of the economy in research and development related to reducing the amount of wear.
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लेकिन एनडीपी का प्रयोग विश्व के देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना के लिए नहीं किया जाता है। ऐसा न होने का कारण है विश्व की अलग-अलग अर्थव्यवस्थाएँ अपने यहाँ घिसावट की अलग-अलग दरें निर्धारित करती हैं। यह दर मूलतः तार्किक आधार पर तय की जाती है। उदाहरण के लिए भारत में मकान में होने वाले घिसावट की दर को लें, मकान बनाने में सीमेंट, ईंट, बालू और लोहे की छड़ इत्यादि का प्रयोग किया जाता है और यह मान लिया जाता है कि ये आने वाले 100 साल तक चलेंगी। लिहाजा यहाँ घिसावट की दर 1 प्रतिशत सालाना होती है। हालाँकि यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक बार इसका फैसला तार्किकता के आधार पर ही किया जाये। उदाहरण के लिए, फरवरी 2002 में भारी वाहन में घिसावट की दर 20 प्रतिशत थी, जिसे 40 प्रतिशत कर दिया गया। ऐसा देश में भारी वाहन की बिक्री को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया। दर को दोगुना करने के लिए कोई भी तर्क सही नहीं हो सकता। मूल रूप से घिसावट और उसकी दरें भी आधुनिक सरकारों के लिए आर्थिक मुद्रा की नीतियों को बनाने के लिए एक हथियार का कार्य कर रही हैं। अर्थव्यवस्था में घिसावट का तीसरी तरह से प्रयोग इस रूप में होता है।
But NDP is not used to compare the economies of the countries of the world. The reason for this not happening is that different economies of the world set different rates of wear here. This rate is basically fixed on a logical basis. Take for example the rate of wear and tear of houses in India, cement, bricks, sand and iron rods etc. are used to build houses and it is assumed that these will last for the next 100 years. Hence, the rate of wear here is 1% per annum. However, it is not necessary that every time it should be decided on the basis of rationality. For example, in February 2002, the wear rate of heavy vehicles was 20 percent, which was reduced to 40 percent. This was done with the aim of increasing the sales of heavy vehicles in the country. None of the arguments for doubling the rate can be true. Basically depreciation and its rates are also acting as a weapon for modern governments to formulate economic currency policies. The third type of wear and tear in the economy is used in this form.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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