प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय- तक्षशिला, नालंदा, कांचीपुरम || Taxila, Nalanda, Kanchipuram Universities
ओदंतपुरी- ओदंतपुरी विश्वविद्यालय बिहार में स्थित था। इसे पाल वंश के राजा गोपाल प्रथम के संरक्षण में स्थापित करवाया गया था। यह बौद्ध महाविहार था। इसे बख्तियार खिलज़ी ने नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था।
Odantapuri- Odantapuri University was located in Bihar. It was established under the patronage of King Gopal I of the Pala dynasty. It was a Buddhist monastery. It was destroyed and corrupted by Bakhtiyar Khilji.
विक्रमशिला- यह विश्वविद्यालय बिहार के वर्तमान भागलपुर जिले में स्थित था। इसे पाल वंश के शासक धर्मपाल ने बनवाया था। यह मुख्य रूप से बौद्ध शिक्षा का केन्द्र था । बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए राजाओं द्वारा भारत से बाहर के विद्वानों को आमंत्रित किया जाता था। बौद्ध धर्म का वज्रयान संप्रदाय यहीं पर फला-फूला। यहाँ पर तर्क शास्त्र, वेद, खगोल विज्ञान, शहरी विकास, विधि, व्याकरण, दर्शन आदि विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती थी।
Vikramshila- This university was located in the present Bhagalpur district of Bihar. It was built by Dharmapala, the ruler of the Pala dynasty. It was mainly a center of Buddhist learning. For the propagation of Buddhism, scholars from outside India were invited by the kings. The Vajrayana sect of Buddhism flourished here. Here the education of subjects like logic, Vedas, astronomy, urban development, law, grammar, philosophy etc. was provided.
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जगद्दल- यह बंगाल में बौद्ध धर्म के वज्रयान संप्रदाय का शिक्ष का केन्द्र था। नानंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पतन होने के पश्चात् कई विद्यानों ने यहाँ पर कार शरण ली थी। संभवत: इसकी स्थापना पाल शासक धर्मपाल ने करवायी थी।
Jagaddal- It was the center of teaching of the Vajrayana sect of Buddhism in Bengal. After the collapse of Nananda and Vikramshila University, many scholars took shelter here. It was probably founded by the Pala ruler Dharmapala.
वल्लभी- यह सौराष्ट्र, गुजरात में स्थित है। यह हीनयान बौद्ध धर्म की शिक्षा का महत्वपूर्ण केन्द्र था। यहाँ पर प्रशासन एवं शासनकला, विधि, दर्शन आदि विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती थी। चीनी यात्री हवेनत्सांग ने यहाँ पर भ्रमण किया था। इस विश्वविद्यालय का निर्माण मैतक वंश के शासकों के अनुदान से करवाया गया था।
Vallabhi- It is located in Saurashtra, Gujarat. It was an important center for the teaching of Hinayana Buddhism. Here the education of subjects like administration and governance, law, philosophy etc. was imparted. The Chinese traveler Hiuen Tsang visited here. This university was built with a grant from the rulers of the Maitak dynasty.
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नालंदा- यह दक्षिण एशिया का सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। यह ज्ञात नहीं है कि इसकी स्थापना किसने करवायी थी। गुप्तकाल में यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में था। हर्षवर्धन के शासनकाल और पाल शासकों के काल में इस विश्वविद्यालय ने ख्याति प्राप्त की। वैसे तो यहाँ पर बौद्ध धर्म की तीनों परंपराओं की शिक्षा प्रदान की जाती थी। किन्तु यह बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय से अधिक संदर्भित था। यहाँ पर वेद, ललित कला, व्याकरण, दर्शन, तर्कशास्त्र और चिकित्सा की शिक्षा प्रदान की जाती थी। यहाँ पर आठ अलग-अलग परिसर थे। इसके अतिरिक्त छात्रों के रहने के लिए छात्रावास भी थे। मध्य एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया एवं विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों के विद्वानों को इस विश्वविद्यालय ने आकर्षित किया। यहाँ शिक्षा तिब्बती बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित थी। इस विश्वविद्यालय के प्रमुख विद्यान नागार्जुन (माध्यमिक शून्यवाद) और आर्यभट्ट (खगोलविद्) थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहाँ पर दो वर्ष बिताए थे। इसके अतिरिक्त एक और चीनी यात्री इत्सिंग ने यहाँ पर सातवीं सदी के उत्तरार्ध्द में दश वर्ष बिताये थे।
Nalanda- It was the most famous university in South Asia. It is not known who got it founded. This university existed during the Gupta period. This university gained fame during the reign of Harshavardhana and the Pala rulers. By the way, the education of all the three traditions of Buddhism was imparted here. But it referred more to the Mahayana sect of Buddhism. Here the education of Vedas, fine arts, grammar, philosophy, logic and medicine was imparted. There were eight different campuses here. In addition there were hostels for the students to stay. This university attracted scholars from different regions of Central Asia, South-East Asia and the world. The education here was greatly influenced by Tibetan Buddhism. The heads of this university were Vidyan Nagarjuna (secondary nihilism) and Aryabhata (astronomer). The Chinese traveler Hiuen Tsang spent two years here. Apart from this, another Chinese traveler Itsing had spent ten years here in the second half of the seventh century.
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तक्षशिला- वर्तमान में यह विश्वविद्यालय पाकिस्तान में स्थित है। यह लगभग 5वीं सदी ईसा पूर्व में अस्तित्व में था। ऐसा माना जाता है कि चाणक्य ने इसी स्थान पर अर्थशास्त्र की रचना की थी। यहाँ पर हिन्दु एवं बौद्ध दोनों धर्मावलंबियों को शिक्षा प्रदान की जाती है। यहाँ पर राजनीति विज्ञान, शिकार, चिकित्सा, विधि और सैन्य रणनीति आदि विषय पढ़ाये जाते थे। पाणिनि, चरक, चाणक्य, जीवक, प्रसेनजीत आदि विद्वान इसी विश्वविद्यालय से संबंधित थे। 405 ईसवी में चीनी यात्री फाह्यान यहाँ पर आया था।
Takshashila- Presently this university is located in Pakistan. It existed around the 5th century BC. It is believed that Chanakya composed the Arthashastra at this place. Here education is imparted to both Hindus and Buddhists. Subjects such as political science, hunting, medicine, law and military strategy were taught here. Scholars like Panini, Charaka, Chanakya, Jivaka, Prasenjit etc. belonged to this university. The Chinese traveler Fahien came here in 405 AD.
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कांचीपुरम- पहली सदी ईसवी से यह हिन्दु धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की शिक्षा का केन्द्र था। पल्लवों के शासनकाल में इसने प्रतिष्ठा प्राप्त की।
Kanchipuram- From 1st century AD it was the center of learning of Hinduism, Jainism and Buddhism. It gained prestige during the reign of the Pallavas.
मान्यखेत- वर्तमान में इसे मल्खेड़ (कर्नाटक) कहा जाता है। राष्ट्रकूट शासकों के अधीन इस विश्वविद्यालय ने विशेष ख्याति प्राप्त की। यहाँ पर हिन्दु धर्म, जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म तीनो धर्मों के विद्वान अध्ययन करते थे। यहाँ पर द्वैत दर्शन संप्रदाय का मठ भी था।
Manyakhet- Presently it is called Malkhed (Karnataka). This university gained special fame under the Rashtrakuta rulers. Here the scholars of all three religions studied Hinduism, Jainism and Buddhism. There was also a monastery of Dvaita philosophy here.
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पुष्पगिरी विहार और ललितगिरी (ओडिशा)- ओडिशा की उदयगिरी की पहाड़ियों के निकट स्थित लगभग तीसरी सदी ईसवी के आसपास इस विश्वविद्यालय की स्थापना कलिंग राजाओं ने करवायी थी। यह मुख्य रूप से बौध्द शिक्षा का केन्द्र था।
Pushpagiri Vihara and Lalitgiri (Odisha)- Situated near the Udayagiri hills of Odisha, this university was established by the Kalinga kings around the 3rd century AD. It was mainly a center of Buddhist learning.
शारदा पीठ- यह वर्तमान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित है। यह संस्कृत के विद्वानों के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र था और यहाँ पर अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए। यहाँ पर देवी शारदा का मंदिर भी था।
Sharda Peeth- It is located in present-day Pakistan Occupied Kashmir. It was an important center for Sanskrit scholars and many important texts were written here. There was also a temple of Goddess Sharda.
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नागार्जुनकोंडा- यह विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश के अमरावती से 160 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह मुख्य रूप से बौद्ध शिक्षा का केन्द्र था। यहाँ पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये चीन और श्रीलंका से विद्वान आते थे। यहाँ पर अनेक विहार, स्तूप आदि थे। इस विश्वविद्यालय का नामकरण महायान बौद्ध धर्म के अनुयायी दक्षिण भारतीय विद्वान नागार्जुन के नाम पर किया गया था।
Nagarjunakonda- This university is situated at a distance of 160 km from Amaravati, Andhra Pradesh. It was mainly a center of Buddhist learning. Scholars from China and Sri Lanka used to come here to get higher education. There were many viharas, stupas etc. The university was named after the South Indian scholar Nagarjuna, a follower of Mahayana Buddhism.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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