Part- 1. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर | List of Important Hindu Temples in India
वेंकटेश्वर मंदिर- इसे सात पहाड़ियों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरूपति में स्थित है। यह भगवान श्री वेंकटेश्वर (श्री हरि विष्णु के अवतार) को समर्पित है। इसे तमिल शासक राजा तोंडाइमान ने बनवाया था। आगे चलकर चोल शासकों ने इस मंदिर को विकसित किया। यह मंदिर दान, धन-धान्य और संपत्ति के संदर्भ में विश्व का सबसे समृद्ध मंदिर है। ऐसा माना जाता है भगवान स्वयं यहाँ पर प्रकट हुए थे। अत: इसे 'स्वयं व्यक्त विग्रह' भी कहा जाता है।
Venkateswara Temple- It is also known as Temple of Seven Hills. It is located in Tirupati in Chittoor district of Andhra Pradesh. It is dedicated to Lord Sri Venkateswara (incarnation of Sri Hari Vishnu). It was built by Tamil ruler Raja Tondaiman. Later the Chola rulers developed this temple. This temple is the richest temple in the world in terms of donations, wealth and wealth. It is believed that the Lord himself appeared here. Hence it is also called 'Self-expressed Deity'.
वराह लक्ष्मी नरसिंह मंदिर- इसे सिम्हचलम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह सिम्हचलम पहाड़ी (आंध्र प्रदेश) में स्थित है। यह भगवान वराह नरसिम्ह अर्थात् श्री हरि विष्णु के नरसिंह अवतार को समर्पित मंदिर है। अक्षय तृतीया को छोड़कर वर्षपर्यंत भगवान की यह मूर्ति चंदन के लेप से ढकी रहती है। अत: यह शिव लिंगम के समान प्रतीत होती है।
Varaha Lakshmi Narasimha Temple- It is also known as Simhachalam Temple. It is situated in Simhachalam hill (Andhra Pradesh). It is a temple dedicated to Lord Varaha Narasimha i.e. Narasimha avatar of Shri Hari Vishnu. Except for Akshaya Tritiya, this idol of God remains covered with sandalwood paste throughout the year. Hence it appears similar to Shiva Lingam.
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4. हड़प्पा सभ्यता की मोहरें
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6. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मृद्भाण्ड एवं आभूषण
श्री भ्रमराम्भा मल्लिकार्जुन मंदिर- यह मंदिर श्रीशैलम आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह मन्दिर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। यह सातवाहन वंश का अभिलेखीय प्रमाण है। विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर ने इस मंदिर का आधुनिक परिवर्धन करवाया था। यह शैववाद और शक्तिवाद दोनों ही संप्रदायों के लिये महत्वपूर्ण मंदिर है। यह ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों है। यहाँ पर मुख्य देवता को चमेली का पुष्प (जिसे स्थानीय भाषा में 'मल्लिका' कहा जाता है) समर्पित किया जाता है। इसलिए यहाँ के मुख्य देवता को 'मल्लिकार्जुन' के नाम से जाना जाता है।
Shri Bhrarambha Mallikarjuna Temple- This temple is located in Srisailam Andhra Pradesh. This temple is dedicated to Lord Shiva and Goddess Parvati. This is the archival evidence of the Satavahana dynasty. The modern addition of this temple was done by King Harihara of Vijayanagara Empire. It is an important temple for both Shaivism and Shaktism sects. It is both a Jyotirlinga and a Shaktipeeth. Here a jasmine flower (locally called 'Mallika') is offered to the main deity. Hence the main deity here is known as 'Mallikarjuna'.
सूर्य नारायण मंदिर- इसे अरसावल्ली सूर्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान सूर्य देव को समर्पित है। यह अरसावल्ली (आंध्र प्रदेश) में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सातवीं सदी ईसवी में दक्षिण भारत के शासक देवेन्द्र शर्मा ने करवाया था। दिन के प्रारंभिक पहर में सूर्य का प्रकाश भगवान के चरणों को निर्देशित करता है।
Surya Narayan Temple- It is also known as Arasavalli Sun Temple. It is dedicated to Lord Surya Dev. It is located in Arsavalli (Andhra Pradesh). This temple was built in the seventh century AD by the ruler of South India, Devendra Sharma. In the early hours of the day the sunlight directs the feet of the Lord.
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1. मौर्य कला एवं स्थापत्य कला
2.मौर्य काल की दरबारी कला
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4. मौर्योत्तर कालीन कला की जानकारी
5. मौर्योत्तर काल की स्थापत्य कला- गुफाएँ एवं स्तूप
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर- यह नेल्लोर (आंध्र प्रदेश) में स्थित है। यह भगवान रंगनाथस्वामी अर्थात् भगवान श्री हरि विष्णु के विश्राम करने वाले रूप को समर्पित है। इसका निर्माण 12वीं सदी ईसवी में करवाया गया था। इस मंदिर के द्वार के सामने एक विशाल मीनार है, जिसे 'गालिगोपुरम्' के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ 'पवन मीनार' होता है। यह 70 फीट ऊँचा है।
Sri Ranganathaswamy Temple- It is located in Nellore (Andhra Pradesh). It is dedicated to Lord Ranganathaswamy, the resting form of Lord Sri Hari Vishnu. It was built in the 12th century AD. There is a huge tower in front of the entrance of this temple, which is known as 'Galigopuram'. It means 'wind tower'. It is 70 feet high.
वीरभद्र मंदिर- यह मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के लेपाक्षी में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1530 ई. में विरूपन्ना नायक और वीरन्ना नामक दो भाइयों ने करवाया था। ये दोनों विजयनगर साम्राज्य में राज्यपाल थे। यह मंदिर विजयनगर वास्तुशिल्प शैली में बनवाया गया था। इसकी दीवारों और छतों पर भित्ति चित्र बनाये गये थे।
Virabhadra Temple- This temple is located at Lepakshi in Anantapur district of Andhra Pradesh. This temple is dedicated to Lord Shiva. This temple was built in 1530 AD by two brothers named Virupanna Nayak and Veeranna. Both of them were governors in the Vijayanagara Empire. This temple was built in the Vijayanagara architectural style. Its walls and ceilings were painted with murals.
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1. मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली
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5. हिन्दू मंदिरों के महत्वपूर्ण अवयव- गर्भगृह, मंडप, शिखर, वाहन
मालिनीथन- यह मंदिर अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। यह शक्ति रूपी देवी दुर्गा को समर्पित मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 14वीं-15वीं सदी ईसवी के दौरान करवाया गया था। यह आर्य प्रभाव के दौरान ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित मंदिर है।
Malinithan- This temple is situated on the north bank of river Brahmaputra in Arunachal Pradesh. This is a temple dedicated to Goddess Durga in the form of Shakti. This temple was built during the 14th-15th century AD. This is a temple built of granite stones during the Aryan influence.
कामाख्या मंदिर- इस मंदिर को कामरूप कामाख्या के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर असम के पश्चिमी भाग में नीलाचल पहाड़ी में स्थित है। यह पहाड़ी गुवाहाटी के अंतर्गत आती है। यह मंदिर माँ कामाख्या को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं से 17वीं सदी के मध्य करवाया गया था। यह 51 शक्तिपीठों में से सबसे पुराने शक्तिपीठों में से एक है। यह तांत्रिक उपासकों के लिये महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
Kamakhya Temple- This temple is known as Kamrup Kamakhya. This temple is situated in the Nilachal hill in the western part of Assam. This hill comes under Guwahati. This temple is dedicated to Maa Kamakhya. This temple was constructed between 8th to 17th century. It is one of the oldest Shaktipeeths out of 51 Shaktipeeths. It is an important pilgrimage center for Tantric worshippers.
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5. दक्षिण भारत की वास्तुकला- महाबलीपुरम की वास्तुकला
उमानंद देवलोई- यह मंदिर असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर पीकॉक द्वीप पर स्थित है। यह द्वीप गुवाहाटी के अंतर्गत आता है। यह मंदिर भगवान उमानंद अर्थात् भगवान शिव को समर्पित है। इसका निर्माण अहोम राजा गदाधर सिंह ने करवाया था। इस शासक का शासनकाल 1681 से 1696 ईसवी तक था। यहाँ पर भगवान शिव को भयनंद के रूप में निवास करने वाला बताया गया है। यह मंदिर भस्मकूट पर्वत पर स्थित है।
Umananda Devloi- This temple is located on Peacock Island on the Brahmaputra River in Assam. This island comes under Guwahati. This temple is dedicated to Lord Umanand i.e. Lord Shiva. It was built by the Ahom king Gadadhar Singh. The reign of this ruler was from 1681 to 1696 AD. Here Lord Shiva is said to reside in the form of Bhayanand. This temple is situated on the Bhasmakoot mountain.
नवग्रह मंदिर- यह मंदिर असम की चित्रसाल पहाड़ी पर स्थित है। यह पहाड़ी गुवाहाटी के अंतर्गत आती है। यह मंदिर नवग्रह को समर्पित है। इसे 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में अहोम राजा राजेश्वर सिंह ने बनवाया था। यह नौ प्रमुख खगोलीय पिण्डों को समर्पित मंदिर है।
Navagraha Temple- This temple is situated on the Chitrasal hill of Assam. This hill comes under Guwahati. This temple is dedicated to Navagraha. It was built by the Ahom king Rajeshwar Singh in the late 18th century. It is a temple dedicated to nine major celestial bodies.
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3. बंगाल की वास्तुकला- पाल एवं सेन शैली
4. प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय- तक्षशिला, नालंदा, कांचीपुरम
5. भगवान शिव को समर्पित भारत के 12 ज्योतिर्लिंग
नेघोरितिंग शिव देऊल- यह मंदिर देरगाँव (असम) में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं-9वीं सदी के दौरान किया गया था। इस मंदिर का पुनःनिर्माण 1687 ई. में अहोम राजा द्वारा करवाया गया। इस मंदिर का एक प्रमुख आकर्षण बंदर है। यह मंदिर रीसस बन्दरों का घर है।
Neghoriting Shiv Deul- This temple is located in Dergaon (Assam). It is dedicated to Lord Shiva. This temple was built during 8th-9th century. This temple was rebuilt in 1687 AD by the Ahom king. A major attraction of this temple is the monkey. This temple is home to rhesus monkeys.
हयाग्रीव माधव मंदिर- यह मंदिर असम की मोनीकूट पहाड़ी पर स्थित है। यह पहाड़ी हाजो के अंतर्गत आती है। यह मंदिर भगवान नरसिम्हा अर्थात श्री हरि विष्णु को समर्पित है। आधुनिक मंदिर संरचना का निर्माण 1583 ई. में राजा रघुदेव नारायण ने करवाया था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण पाल शासकों ने करवाया था। कुछ बौद्धों का मानना है कि इसी स्थान पर भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था। अत: यह मंदिर हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्मों के उपदेश देता है। यह बौद्ध भिक्षुओं के लिये आकर्षण का केन्द्र रहा है।
Hayagriva Madhava Temple- This temple is situated on the Monikoot hill in Assam. This hill comes under Hajo. This temple is dedicated to Lord Narasimha i.e. Shri Hari Vishnu. The modern temple structure was built in 1583 AD by King Raghudev Narayan. Some historians believe that this temple was built by the Pala rulers. Some Buddhists believe that this is the place where Lord Buddha attained Nirvana. Therefore, this temple gives teachings of both Hindu and Buddhist religions. It has been a center of attraction for Buddhist monks.
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मुण्डेश्वरी देवी मंदिर- यह मंदिर बिहार के कैमूर जिले के कोर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव और शक्ति को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 105 ईसवी में करवाया गया था। पाषाण निर्मित इस मंदिर को मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में बनवाया गया था। यह बिहार में नागर मंदिर वास्तुकला का सबसे प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर दुर्लभ अष्टकोणीय योजना से बनवाया गया था।
Mundeshwari Devi Temple- This temple is situated in the core of Kaimur district of Bihar. This temple is dedicated to Lord Shiva and Shakti. This temple was built in 105 AD. This stone-built temple was built in the Nagara style of temple architecture. It is the oldest temple of Nagar temple architecture in Bihar. This temple was built with a rare octagonal plan.
सोमनाथ मंदिर- यह मंदिर वेरावल, गुजरात में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसके अंतर्गत दो मंदिर शामिल हैं। पहले मंदिर का निर्माण किसी अज्ञात द्वारा करवाया गया था। दूसरे मंदिर का निर्माण 649 ई. के आसपास करवाया गया था। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग है। इतिहास में इस मंदिर को अनेक बार लूटा एवं नष्ट किया गया। वर्तमान मंदिर संरचना का निर्माण चालुक्य मंदिर वास्तुकला शैली में करवाया गया है।
Somnath Temple- This temple is located in Veraval, Gujarat. This temple is dedicated to Lord Shiva. It consists of two temples. The first temple was built by some unknown person. The second temple was built around 649 AD. This temple is the first of the 12 Jyotirlingas. This temple has been looted and destroyed many times in history. The present temple structure is built in Chalukya temple architecture style.
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द्वारकाधीश मंदिर- यह मंदिर द्वारका (गुजरात) में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। यह लगभग 2200 वर्ष पुराना मंदिर है। यह पुष्टिमार्ग संप्रदाय का मंदिर है। यह चार धाम तीर्थस्थानों में से एक है। इसके अतिरिक्त अन्य तीन धाम हैं- बद्रीनाथ, पुरी और रामेश्वरम्।
Dwarkadhish Temple- This temple is located in Dwarka (Gujarat). This temple is dedicated to Lord Shri Krishna. This temple is about 2200 years old. It is a temple of Pushtimarg sect. It is one of the Char Dham pilgrimage centers. Apart from this there are other three dhams- Badrinath, Puri and Rameshwaram.
बहुचरा माता- यह मंदिर गुजरात में मेहसाना जिले के बहुचराजी शहर में स्थित है। यह बहुचरा माता को समर्पित मंदिर है। इसका निर्माण 1783 ईस्वी के दौरान करवाया गया था। भारत में बहुचरा माता हिजड़ा समुदाय की संरक्षक है।
Bahuchara Mata- This temple is located in Bahucharaji town of Mehsana district in Gujarat. This is a temple dedicated to Bahuchara Mata. It was constructed during 1783 AD. Bahuchara Mata is the patroness of Hijra community in India.
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग- यह द्वारका (गुजरात) में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
Nageshwar Jyotirling- It is located in Dwarka (Gujarat). This temple is dedicated to Lord Shiva. It is one of the 12 Jyotirlingas.
मोढेरा का सूर्य मंदिर- यह मंदिर मोढेरा (गुजरात) में स्थित है। यह मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के शासक भीम प्रथम ने अपने शासनकाल के दौरान 1026-27 ई. में करवाया था। इस मंदिर का निर्माण मारू-गुर्जर शैली में करवाया गया था। वर्तमान में यहाँ पर कोई पूजा नहीं की जाती।
Sun Temple of Modhera- This temple is located in Modhera (Gujarat). This temple is dedicated to Lord Surya Dev. This temple was built by Bhima I, the ruler of the Chalukya dynasty, during his reign in 1026-27 AD. This temple was built in the Maru-Gurjara style. Currently no worship is performed here.
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भोरमदेव मंदिर- यह मंदिर चौरागाँव (गुजरात) में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। इसका निर्माण 1089 ईस्वी में करवाया गया था। इस मंदिर को यहाँ की कामुक मूर्तियों ने खजुराहो के मंदिर और ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की भाँति विशिष्ट शैली प्रदान की है। इसलिये भोरमदेव मंदिर को 'छत्तीसगढ़ का खजुराहो' कहा जाता है।
Bhoramdev Temple- This temple is located in Chauragaon (Gujarat). This is a temple dedicated to Lord Shiva. It was built in 1089 AD. The erotic sculptures here have given this temple a distinctive style like the temple of Khajuraho and the Konark Sun Temple in Odisha. That's why Bhoramdev Temple is called 'Khajuraho of Chhattisgarh'.
दन्तेश्वरी मंदिर- यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में दन्तेवाड़ा में स्थित है। यह देवी दन्तेश्वरी को समर्पित मंदिर है। इसका निर्माण 14वीं सदी में करवाया गया था। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण उस स्थान पर करवाया गया था, जहाँ पर देवी सती का दाँत गिरा था।
Danteshwari Temple- This temple is located at Dantewada in Bastar district of Chhattisgarh. This is a temple dedicated to Goddess Danteshwari. It was built in the 14th century. This temple is one of the 51 Shaktipeeths. It is believed that this temple was built at the place where the tooth of Goddess Sati had fallen.
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5. भारत का प्राचीन इतिहास-;जनपद एवं महाजनपद
महामाया मंदिर- यह मंदिर रतनपुर (छत्तीसगढ़) में स्थित है। यह देवी लक्ष्मी और सरस्वती का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं-13वीं सदी के दौरान रत्नपुरा के कलचुरी राजा रत्नदेव ने अपने शासनकाल में करवाया था। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। प्रत्येक शक्तिपीठ में शक्ति और भैरव का एक मन्दिर होता है।
Mahamaya Temple- This temple is located in Ratanpur (Chhattisgarh). This is a temple of Goddess Lakshmi and Saraswati. This temple was built during the 12th-13th century by the Kalachuri king Ratnadev of Ratnapura during his reign. This temple is one of the 51 Shaktipeeths. Each Shaktipeeth has a temple of Shakti and Bhairav.
ज्वालामुखीदेवी का मंदिर- यह मंदिर कांगड़ा जिला, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह देवी ज्वालामुखी का मंदिर है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है।
Jwalamukhi Devi Temple- This temple is located in Kangra district, Himachal Pradesh. This is the temple of Goddess Jwalamukhi. It is one of the 51 Shaktipeeths.
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1. विश्व की प्रथम चार सभ्यताएँ- मेसोपोटामिया, मिस्र, सिंधु, और चीनी सभ्यता
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3. भारत का इतिहास- प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साहित्यिक स्त्रोत- वेद
4. भारत का इतिहास- सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल
5. सिन्धु सभ्यता में जीवन
बाबा बालकनाथ मंदिर- यह मंदिर हमीरपुर ज़िला, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर कलियुग में भगवान शिव के अवतार को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
Baba Balaknath Temple- This temple is located in Hamirpur district, Himachal Pradesh. This temple is dedicated to the incarnation of Lord Shiva in Kali Yuga. Women are not allowed to enter the sanctum sanctorum of this temple.
बैद्यनाथ मंदिर- यह मंदिर झारखंड में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है।
Baidyanath Temple- This temple is located in Jharkhand. This temple is dedicated to Lord Shiva. It is one of the 12 Jyotirlingas.
दुर्गा मंदिर- यह मंदिर ऐहोल (कर्नाटक) में स्थित है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 7वीं-8वीं के दौरान चालुक्य वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर की आकृति हाथी की पीठ से मिलती जुलती है।
Durga Temple- This temple is located in Aihole (Karnataka). This temple is dedicated to Goddess Durga. This temple was built by the rulers of Chalukya dynasty during 7th-8th. The shape of this temple resembles the back of an elephant.
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1. हिंदी गद्य साहित्य की विधाएँ
2. हिंदी गद्य साहित्य की गौण (लघु) विधाएँ
3. हिन्दी साहित्य का इतिहास चार काल
4. काव्य के प्रकार
5. कवि परिचय हिन्दी साहित्य
6. हिन्दी के लेखकोंका परिचय
7. हिंदी भाषा के उपन्यास सम्राट - मुंशी प्रेमचंद
वीरुपाक्ष मंदिर- यह मंदिर हम्पी (कर्नाटक) में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा करवाया गया था। हम्पी में स्मारकों के समूह को यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया है। पट्टदकल में एक और वीरुपाक्ष मंदिर है।
Virupaksha Temple- This temple is located in Hampi (Karnataka). This temple is dedicated to a form of Lord Shiva. This temple was built by the rulers of the Vijayanagara Empire. The Group of Monuments in Hampi has been included by UNESCO in its list of World Heritage Sites. There is another Virupaksha temple in Pattadakal.
विट्ठलस्वामी मंदिर परिसर- यह मंदिर हम्पी (कर्नाटक) में स्थित है। यह मंदिर भगवान विट्ठलस्वामी अर्थात् भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 15वीं-16वीं सदी के दौरान विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में प्रतिष्ठित पत्थरों का रथ है। झूलता हुआ पवेलियन भी है। इसके अतिरिक्त इन मंदिरों की दीवारों पर घोड़े बेचते फारसी जैसे विदेशियों की भी मूर्तियाँ हैं।
Vitthalaswamy Temple Complex- This temple is located in Hampi (Karnataka). This temple is dedicated to Lord Vitthalaswamy i.e. an incarnation of Lord Sri Hari Vishnu. The temple was built by the rulers of the Vijayanagara Empire during the 15th-16th centuries. The temple has a chariot made of iconic stones. There is also a swinging pavilion. Apart from this, there are also statues of foreigners like Persians selling horses on the walls of these temples.
कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पद्य पाठों को भी पढ़े।
1. पाठ 1 वर दे ! कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 वर दे ! अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
3. उपमा अलंकार एवं उसके अंग
4. पाठ 6 'भक्ति के पद पदों का भावार्थ एवं अभ्यास
5. पाठ 12 'गिरधर की कुण्डलियाँ' पदों के अर्थ एवं अभ्यास
होयसालेश्वर मंदिर- यह मंदिर हलेबिडु (कर्नाटक) में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी के दौरान होयसाल साम्राज्य के शासकों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर की आकृति ताराकार है। यह मंदिर जगति (मंच) के ऊपर निर्मित है।
Hoysaleshwara Temple- This temple is located in Halebidu (Karnataka). This temple is dedicated to Lord Shiva. The temple was built during the 12th century by the rulers of the Hoysala Empire. The shape of this temple is star shaped. This temple is built on top of Jagati (platform).
चेन्नाकेशव मंदिर- यह मंदिर बेल्लूर (कर्नाटक) में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी के दौरान होयसाल साम्राज्य के शासकों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में जगति के बाद मंडप की चौका देने वाली वर्गाकार डिजाइन तथा मंदिर की आकृति तारों के सदृश है। यहाँ की प्रमुख मूर्तियाँ गजासुरसंहार, शिलाबालिका आदि हैं।
Chennakeshava Temple- This temple is located in Belur (Karnataka). This temple is dedicated to Lord Shri Hari Vishnu. The temple was built during the 12th century by the rulers of the Hoysala Empire. In this temple, the stunning square design of the pavilion after the Jagati and the shape of the temple is like stars. The major idols here are Gajasursanhar, Shilabalika etc.
कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. पाठ 2 'आत्मविश्वास' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
2. मध्य प्रदेश की संगीत विरासत पाठ के प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन
3. पाठ 8 अपराजिता हिन्दी (भाषा भारती) प्रश्नोत्तर एवं भाषाअध्ययन
4. पाठ–5 'श्री मुफ़्तानन्द जी से मिलिए' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन)
5. पाठ 7 'भेड़ाघाट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
6. पाठ 8 'गणितज्ञ ज्योतिषी आर्यभट्ट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर और व्याकरण)
7. पाठ 10 बिरसा मुण्डा अभ्यास एवं व्याकरण
8. पाठ 11 प्राण जाए पर पेड़ न जाए अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
9. पाठ 12 याचक एवं दाता अभ्यास (बोध प्रश्न एवं व्याकरण)
चेन्नाकेशव मंदिर- यह मंदिर सोमनाथपुरा (कर्नाटक) में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के तीनों रुपों को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 13वीं सदी के दौरान होयसाल साम्राज्य के शासकों द्वारा करवाया गया था। पवित्रालय में बांसुरी बजाते भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति की जटिल नक्काशियाँ, इस मूर्ति को होयसाल साम्राज्य की सर्वोत्कृष्ट मूर्तियों में से एक बनाती है। इस मंदिर की जगति ताराकार योजना पर आधारित है।
Chennakeshav Temple- This temple is located in Somanathapura (Karnataka). This temple is dedicated to the three forms of Lord Vishnu. The temple was built during the 13th century by the rulers of the Hoysala Empire. The intricate carvings of the idol of Lord Krishna playing the flute in the sanctum make this idol one of the finest sculptures of the Hoysala Empire. The Jagati of this temple is based on the star plan.
पद्मनाभनाभस्वामी मंदिर- यह मंदिर तिरुवनंतपुरम् (केरल) में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए सख्त ड्रेस कोड की आवश्यकता होती है। यहाँ पर 6 वर्षों में एक बार लक्ष दीपम त्योहार मनाया जाता है।
Padmanabhanabhaswamy Temple-This temple is located in Thiruvananthapuram (Kerala). This temple is dedicated to Lord Vishnu. A strict dress code is required to enter this temple. Laksha Deepam festival is celebrated here once in 6 years.
संस्कृत कक्षा 8 के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. वन्दना श्लोकों का हिन्दी अनुवाद (कक्षा 8 वीं) संस्कृत
2. लोकहितम मम करणीयम्- पाठ का हिंदी अनुवाद (कक्षा- 8 वीं) संस्कृत
3. अभ्यास: – प्रथमः पाठः लोकहितम मम करणीयम् (कक्षा आठवीं संस्कृत)
4. कालज्ञो वराहमिहिरः पाठ का हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यास
5. तृतीय पाठः गणतंत्रदिवसः पाठ का अनुवाद एवं अभ्यास कार्य
सबरीमाला मंदिर- यह मंदिर परियार बाघ अभ्यारण्य (केरल) में स्थित है। यह मंदिर भगवान अय्यप्पन् अर्थात भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी से पहले करवाया गया था। यह मंदिर विश्व के सबसे बड़े वार्षिक तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ पर जाने वाले तीर्थ यात्री काले और नीले वस्त्र पहनते हैं तथा तीर्थ यात्रा के पूर्ण होने तक दाढ़ी नहीं बनवाते हैं।
Sabarimala Temple- This temple is located in Pariyar Tiger Reserve (Kerala). This temple is dedicated to Lord Ayyappan i.e. Lord Vishnu and Lord Shiva. This temple was built before the 12th century. This temple is one of the largest annual pilgrimage sites in the world. Pilgrims visiting here wear black and blue clothes and do not shave their beards until the completion of the pilgrimage.
कंदरिया महादेव मंदिर- यह मंदिर खजुराहो (मध्य प्रदेश) में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी के दौरान चंदेल शासकों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर की दीवारों पर कामुक मूर्तियाँ प्राप्त हो सकती है।
Kandariya Mahadev Temple- This temple is located in Khajuraho (Madhya Pradesh). This temple is dedicated to Lord Shiva. This temple was built by the Chandela rulers during the 11th century. Erotic sculptures can be found on the walls of this temple.
संस्कृत कक्षा 8 के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. चतुर्थः पाठः नीतिश्लोकाः कक्षा 8 संस्कृत
2. पञ्चमः पाठः अहम् ओरछा अस्मि पाठ का हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर
3. षष्ठःपाठः स्वामीविवेकानन्दः हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यास
4. अष्टमः पाठः - यक्षप्रश्नाः (पाठ 8 यक्ष के प्रश्न)
5. नवमः पाठः वसन्तोत्सवः (संस्कृत) हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यासः
सास-बहू मंदिर- इसे सहस्त्रबाहु मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में स्थित है। यहाँ पर दो अलग-अलग मंदिर भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित है। इन मंदिरों का निर्माण कच्छपघात वंश के राजा महिपाल ने 11वीं सदी के दौरान करवाया था। राजा की पत्नी भगवान विष्णु की पूजा करती थी किन्तु राजा के पुत्र की पत्नी भगवान शिव की भक्त बन गई। इसलिये भगवान शिव का दूसरा मंदिर बनवाया गया।
Saas-Bahu Temple- It is also known as Sahastrabahu Temple. This temple is located in Gwalior (Madhya Pradesh).There are two separate temples dedicated to Lord Vishnu and Lord Shiva. These temples were built by King Mahipala of the Kachhapaghat dynasty during the 11th century. The king's wife worshiped Lord Vishnu but the king's son's wife became a devotee of Lord Shiva. Hence the second temple of Lord Shiva was built.
इसके आगे मंदिरों की जानकारी अगले लेख में पढ़े, जिसकी लिंक नीचे दी गई है।
part- 2
भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर भाग- 2
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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