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भारत के महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल | Important Jain pilgrimage sites in India

पालिताना मंदिर- यह काठियावाड़ (गुजरात) के शत्रुंजय पहाड़ी पर स्थित मंदिर है। यह श्वेतांबर संप्रदाय के लोगों के लिए पवित्र स्थान माना जाता है। वह मुख्य रूप से पहले जैन तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित मंदिर है। यहाँ पर 800 से अधिक संगमरमर से बने मंदिर है।

Palitana Temple- This is a temple situated on the Shatrunjay hill of Kathiawar (Gujarat). It is considered a holy place for the people of Shvetambara sect. It is primarily a temple dedicated to Rishabhdev, the first Jain Tirthankara. There are more than 800 marble temples here.

शिखरजी- यह पारसनाथ (झारखण्ड) में स्थित है। यह पवित्रतम तीर्थस्थलों में से एक है। माना जाता है कि 20 तीर्थकरों ने यहीं पर मोक्ष प्राप्त किया था।

Shikharji- It is located in Parasnath (Jharkhand). It is one of the holiest pilgrimage sites. 20 Tirthankars are believed to have attained salvation here.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर– Part-1
2. पार्ट- 2. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर
3. भारत से बाहर विदेशों में स्थित प्रमुख मंदिर
4. भारतवर्ष के महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल

गिरनार मंदिर- पह जूनागढ़ जिला (गुजरात) में स्थित है। यहाँ के 16 मंदिरों में से सबसे बड़ा मंदिर 22वें तीर्थकर नेमिनाथ का है।

Girnar Temple- is located in Pah Junagadh District (Gujarat). The largest of the 16 temples here belongs to the 22th Tirthankara Neminath.

पावापुरी- यह नालंदा जिला (बिहार) में स्थित है। अंतिम तीर्थंकर महावीर का अंतिम संस्कार यहीं पर किया गया था।

Pawapuri- It is located in Nalanda district (Bihar). The last rites of Mahavira, the last Tirthankara, were performed here.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली एवं चोल वास्तुकला व मूर्तिकला (नटराज की मूर्ति)
2. दक्षिण भारत की वास्तुकला- नायक, वेसर, विजयनगर (बादामी गुफा मंदिर) और होयसाल शैली
3. बंगाल की वास्तुकला- पाल एवं सेन शैली
4. प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय- तक्षशिला, नालंदा, कांचीपुरम
5. भगवान शिव को समर्पित भारत के 12 ज्योतिर्लिंग

दिलवाड़ा मंदिर- यह माउंट आबू (राजिस्थान) में स्थित है। यहाँ पर संगमरमर से निर्मित, जटिल नक्काशीदार पाँच अद्भुत मंदिर हैं। इनमें से सबसे प्राचीन मंदिर विमल वसाही का निर्माण 11वीं शताब्दी में विमल शाह द्वारा करवाया गया था। इसके अतिरिक्त चार अन्य मंदिरों लूना वसाही, मित्तलहार, पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी के मंदिरों का निर्माण 13वीं से 17वीं सदी के मध्य करवाया गया था।

Dilwara Temple- It is located in Mount Abu (Rajasthan). There are five wonderful temples built of marble, intricately carved. The oldest of these temples, Vimal Vasahi, was built by Vimal Shah in the 11th century. Apart from this four other temples Luna Vasahi, Mittalhar, Parshvanath and Mahavir Swami's temples were constructed between 13th to 17th century.

श्रवणबेलगोला- यह कर्नाटक में स्थित है। यहाँ की गोमेतेश्वर प्रतिमा, पहले जैन तीर्थंकर के पुत्र भगवान बाहुबली की है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी ईसवी में गंगा राजवंश के एक मंत्री चामुंडाराय द्वारा करवाया गया था। यहाँ पर अनेक 'बसदी' या 'जैन मंदिर' हैं।

Shravanabelagola- It is located in Karnataka. The Gomateshwar statue here is of Lord Bahubali, the son of the first Jain Tirthankara. It was built in the 10th century AD by Chamundaraya, a minister of the Ganga dynasty. There are many 'Basadi' or 'Jain temples'.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. गुप्त कालीन वास्तुकला- गुफाएँ, चित्रकारी, स्तूप और मूर्तियाँ
2. गुप्त काल में मंदिर वास्तुकला के विकास के चरण
3. प्राचीन भारत में मंदिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ
4. उत्तर भारत की वास्तुकला की नागर शैली- ओडिशा, खजुराहो और सोलंकी शैली
5. दक्षिण भारत की वास्तुकला- महाबलीपुरम की वास्तुकला

शांतिनाथ मंदिर- यह उत्तरप्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र के ललितपुर जिले के देवगढ़ में स्थित है। इस मंदिर परिसर में सुन्दर प्रतिमाओं सहित कुल 31 मंदिर हैं।

Shantinath Temple- It is situated in Deogarh of Lalitpur district of Bundelkhand region of Uttar Pradesh. There are 31 temples in this temple complex with beautiful statues.

बावनगजा- यह मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित है। यहाँ पर चट्टान को काट कर बनायी गयी भगवान आदिनाथ की एक 84 फीट ऊँची प्रतिमा है।

BawanGaja- It is located in Barwani district of Madhya Pradesh. Here is an 84 feet high statue of Lord Adinath carved out of a rock.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली
2. मूर्तिकला शैली - गांधार, मथुरा तथा अमरावती शैलियों में अंतर
3. यूनानी कला एवं रोमन मूर्ति-कला
4. शरीर की विभिन्न मुद्राएँ - महात्मा बुद्ध से संबंधित
5. हिन्दू मंदिरों के महत्वपूर्ण अवयव- गर्भगृह, मंडप, शिखर, वाहन

मध्य प्रदेश के स्वालियर, चन्देरी और खजुराहो में विभिन्न जैन मंदिर हैं।

There are various Jain temples in Swaliar, Chanderi and Khajuraho of Madhya Pradesh.

रनकपुर मंदिर- यह राजिस्थान के पाली जिले में स्थित है। इनका निर्माण 15वीं शताब्दी ईसवी में करवाया गया था। इनकी वास्तुकला शैली होयसाल शैली से मिलती जुलती थी। यह नागर शैली से भिन्न थी। यहाँ पर 1400 से अधिक स्तंभ हैं। इन पर विस्तृत नक्काशी की गई है। ये सभी एक-दूसरे से भिन्न (अद्‌भुत) हैं।

Ranakpur Temple- It is located in Pali district of Rajasthan. They were built in the 15th century AD. Their architectural style was similar to that of Hoysala style. This was different from the Nagara style. There are more than 1400 pillars here. These are elaborately carved. They are all different (amazing) from each other.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्य कला एवं स्थापत्य कला
2.मौर्य काल की दरबारी कला
3. मौर्य काल की लोकप्रिय कला
4. मौर्योत्तर कालीन कला की जानकारी
5. मौर्योत्तर काल की स्थापत्य कला- गुफाएँ एवं स्तूप

चौसा (बिहार), हांसी (हिसार, हरियाणा) और अकोटा (वडोदरा, उत्तरप्रदेश) में कांस्य की जैन मूर्तियों की खोज हुई है।

Bronze Jain sculptures have been discovered at Chausa (Bihar), Hansi (Hisar, Haryana) and Akota (Vadodara, Uttar Pradesh).

कंकालीटीला- यह उत्तर प्रदेश में मथुरा के निकट स्थित है। यहाँ से प्रारंभिक सदियों में दान और पूजा के प्रयोग में लायी जाने वाली अमागपट्ट नामक पट्टिकाओं की खोज हुई है। इन पट्टिकाओं को जैन उपासना से संबंधित वस्तुओं और डिजाइनों से सजाया जाता था। जैसे- स्तूप, धर्मचक्र, त्रिरत्न आदि। ये एक ही साथ छवि और प्रतीकों की पूजा के रुझान के प्रदर्शित करते हैं। पट्टिकाओं को दान करने की प्रथा को पहली से तीसरी सदी ईसवी के मध्य प्रलेखित किया गया है।

Kankalitila- It is situated near Mathura in Uttar Pradesh. From here in the early centuries, plaques called Amagapattas used for charity and worship have been discovered. These plaques were decorated with objects and designs related to Jain worship. E.g. Stupa, Dharmachakra, Triratna etc. These simultaneously reflect the trend of worshiping the image and the symbols. The practice of donating plaques is documented between the 1st and 3rd centuries AD.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. भारत की वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मृद्भाण्ड
2. हड़प्पा सभ्यता के स्थल एवं उनसे प्राप्त वास्तुकला एवं मूर्तिकला के उदाहरण
3. हड़प्पा सभ्यता की वास्तुकला
4. हड़प्पा सभ्यता की मोहरें
5. हड़प्पा सभ्यता की मूर्ति कला
6. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मृद्भाण्ड एवं आभूषण

ओडिशा की उदयगिरी और खण्डगिरी की गुफाएँ- ये प्राचीन गुफाएँ दूसरी और पहली शताब्दी ईसा पूर्व के मध्य की हैं। ये मुख्य रूप से जैन धर्म को समर्पित हैं। इन्हें राजा खारवेल के शासनकाल में तराशा गया था। उदयगिरी में 18 तथा खण्डगिरी में 15 गुफाएँ हैं। इनमें से प्रमुख गुफाएँ हाथीगुम्फा, रानीगुम्फा और गणेशगुम्फा हैं। इन गुफाओं में नक्काशी द्वारा हाथीगुम्फा शिलालेख सहित जैन तीर्थंकरों और देवताओं को उकेरा गया है। राजा खारवेल द्वारा लिखे गये हाथीगुम्फा शिलालेख पर ब्राह्मी लिपि में 17 पंक्तियाँ हैं। इस शिलालेख में मुख्य रूप से राजा की विजयों के बारे में बताया गया है।

Udayagiri and Khandagiri Caves of Odisha- These ancient caves date back to between the 2nd and 1st centuries BC. These are mainly dedicated to Jainism. These were carved during the reign of King Kharavela. There are 18 caves in Udayagiri and 15 in Khandagiri. The major caves are Hathigumpha, Ranigumpha and Ganeshgumpha. These caves have carvings of Jain Tirthankaras and deities including Hathigumpha inscriptions. The Hathigumpha inscription written by Raja Kharavela has 17 lines in Brahmi script. This inscription mainly tells about the victories of the king.

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मध्य प्रदेश की पुरातात्विक विरासत
2. भारतीय इतिहास के गुप्त काल की प्रमुख विशेषताएँ
3. आर्य समाज - प्रमुख सिद्धांत एवं कार्य
4. सम्राट हर्षवर्धन का राजवंश, प्रशासन, धर्म, साहित्य, उपलब्धियाँ और जीवन संघर्ष
5. कनौज पर शासन के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष
6. बंगाल का पाल वंश- गोपाल, धर्मपाल, देवपाल, महिपाल प्रथम, रामपाल

अजमेर में नसियां मंदिर- इसे 'सोनीजी की नसियां' भी कहा जाता है। इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में किया गया था। यह पहले जैन तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है।

Nasiyan Temple in Ajmer- It is also known as 'Soniji ki Nasian'. It was constructed in the 19th century. It is dedicated to Rishabhdev, the first Jain Tirthankara.

हाथी सिंह जैन मंदिर, अहमदाबाद

Hathi Singh Jain Temple, Ahmedabad

सत्तानवासल गुफाएँ, तमिलनाडु

Sattanavasal Caves, Tamil Nadu

मांगी-तुंगी- यह महाराष्ट्र में तहाराबाद के निकट स्थित है। जैन धर्म को समर्पित यह एक जुड़वा-शीर्ष के मध्य का पठारी तल है। इसे ज्ञान प्राप्ति का प्रवेश द्वार माना जाता है। यहाँ पर तीर्थंकरों की पद्मासन एवं कायोत्सर्ग मुद्राओं में चित्र हैं। इन चित्रों को छठी सदी ईसवी में बनाया गया था। हाल ही में वर्ष 2016 में पत्थरों को काटकर बनायी गयी 108 फीट ऊँची अहिंसा मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी है। इसे गिनीच बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में विश्व की सबसे ऊँची जैन प्रतिमा के रूप में सम्मिलित किया गया है।

Mangi-Tungi- It is located near Taharabad in Maharashtra. Dedicated to Jainism, it is a plateau in the middle of a twin-head. It is considered as the gateway to the attainment of knowledge. There are pictures of Tirthankaras in Padmasana and Kayotsarga postures. These paintings were made in the 6th century AD. Recently, in the year 2016, the 108 feet high non-violence idol made by cutting stones has been consecrated. It has been included in the Guinness Book of World Records as the tallest Jain statue in the world.

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. गुप्त साम्राज्य का इतिहास जानने के स्रोत
2. गुप्त शासक श्रीगुप्त, घटोत्कच और चंद्रगुप्त प्रथम
3. भारत में शक राजतंत्र- प्रमुख शासक
4. चक्रवर्ती सम्राट राजा भोज
5. समुद्रगुप्त एवं नेपोलियन के गुणों की तुलना
6. सम्राट हर्षवर्धन एवं उनका शासनकाल

टीप- 'दरासर' एक शब्द है जिसका प्रयोग गुजरात तथा दक्षिणी राजिस्थान में जैन मंदिरों के लिए किया जाता है। कर्नाटक में जैन मंदिरों को 'बसदी' कहा जाता है।

Tip- 'Darasar' is a term used for Jain temples in Gujarat and Southern Rajasthan. Jain temples in Karnataka are called 'Basadi'.

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्य साम्राज्य प्राचीन भारत का गौरवशाली इतिहास
2. पाटलिपुत्र (मगध साम्राज्य) पर शुंग वंश का शासन
3. भारत का प्राचीन इतिहास - कण्व वंश
4. प्राचीन भारत का आन्ध्र सातवाहन वंश
5. भारत में हिन्द-यवन वंश का शासन

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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