
मध्यप्रदेश की प्रमुख बोलियाँ एवं साहित्य- पत्र-पत्रिकाएँ || Dialects and Literature of Madhya Pradesh - Journals and Magazines
मध्य प्रदेश की साँस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है। इसे बोलियों का गढ़ भी कहा जा सकता है, क्योंकि यहाँ पर प्रायः प्रायः भारत में बोली जाने वाली सभी बोलियों एवं उप-बोलियों के रूप देखने को मिलते हैं।
किसी क्षेत्र विशेष में एक वर्ग या समुदाय के द्वारा बोली जाने वाली भाषा 'बोली' कहलाती है। बोली का क्षेत्र सीमित होता है और इसका साहित्य भी आंचलिक होता है। क्षेत्रीय कलाकारों के द्वारा बोली का प्रयोग करते हुए सुंदर प्रस्तुतिकरण दिया जाता है। मध्यप्रदेश में प्रायः बहुत सारी बोलियाँ बोली जाती हैं। नीचे बोलियों के उदाहरण एवं उनके क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी गई है।
मध्यप्रदेश में बुन्देली, बघेली, निमाड़ी और मालवी मुख्य बोलियाँ है।
1. बुन्देली– ग्वालियर, डबरा, सागर, बीना, दमोह, दतिया, नौगाँव, नरसिंहपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, होशंगाबाद आदि स्थानों पर बोली जाती है।
2. बघेली– इसका केन्द्र रीवा है। पन्ना, सतना, सीधी और शहडोल आदि जिलों में बोली जाती है।
3. मालवी– इन्दौर, देवास, नागदा, रतलाम, बड़नगर, अशोकनगर, राजगढ़, शुजालपुर, गुना, नीमच आदि शहरों के आस-पास बोली जाती है।
4. निमाड़ी– निमाड़ क्षेत्र में बोली जाती है। खंडवा इसका केन्द्र है। खरगोन, महेश्वर, हरदा, नेपानगर, ओंकारेश्वर आदि स्थानों पर बोली जाती है।
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बोलियों में साहित्य – आकाशवाणी और दूरदर्शन, रेडियो तथा टी. वी. से क्षेत्रीय भाषा में कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। क्षेत्रीय बोली के साहित्यकार, लोककलाकार और संगीतकार रेडियो और दूरदर्शन से अपनी बोलियों में लोक गीत प्रस्तुत कर उसे जीवित रखने का उपक्रम करते हैं। वस्तुतः बुन्देली, बघेली, मालवी और निमाणी में हमारी प्राचीन लोक परम्पराएँ जीवित हैं। लोक जीवन के उच्च आदर्श यहाँ के उपलब्ध साहित्य में देखने को मिलते हैं।
बोली का उदाहरण– जैनेंद्र कुमार रचित कहानी 'खेल' से एक कथन का उदाहरण नीचे दिया गया है, जिसमें 'खड़ी बोली हिन्दी' का प्रयोग किया गया है।
"सुरबाला रानी हँसी से नाच उठीं। मनोहर उत्फुल्लता से कहकहा लगाने लगा। उस निर्जन प्रान्त में वह निर्मल शिशु-हास्य-रख लहरें लेता हुआ व्याप्त हो गया।"
इसके अलावा हिन्दी की अनेक क्षेत्रीय बोलियाँ भी हैं जिनमें उस क्षेत्र के लोकगीत और लोककथाएँ मिलती हैं।
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मध्यप्रदेश से प्रकाशित प्रमुख पत्र पत्रिकाएँ–
मध्यप्रदेश से प्रकाशित होने वाली प्रमुख पत्रिकाओं में- 'साक्षात्कार', 'अक्षरा', 'साहित्यकार', 'वीणा', 'ईसुरी', 'अक्षत', 'स्नेह', देवपुत्र, 'राग भोपाली', 'आस-पास', 'पहल', 'वसुधा' आदि मुख्य हैं।
इसके अतिरिक्त पत्रिकाओं के त्रैमासिक और वार्षिक अंक भी निकलते हैं। स्थानीय स्तर पर अनेक साहित्य प्रेंमी पत्रिकाएँ निकालकर साहित्य सेवा कर रहे हैं।
दैनिक समाचार पत्र– हिन्दी के दैनिक समाचार पत्रों में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, नव भारत, नई दुनिया, राज एक्सप्रेस, चौथा संसार, सांध्य प्रकाश आदि मुख्य है।
इस तरह से मध्य प्रदेश में बोलियों तथा यहाँ के साहित्य का इतिहास समृद्ध और लोकप्रिय है।
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5. समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द– अपेक्षा, उपेक्षा, अवलम्ब, अविलम्ब शब्दों का अर्थ
बोली, भाषा , विभाषा एवं मातृभाषा के बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को देखें।
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
(Watch video for related information)
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
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Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
pragyaab.com
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