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छंद किसे कहते हैं? || मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया || Chhand - Chhappay, Kavitta, Savaiya

कविता के रचना-विधान को 'छंद' कहते हैं। छंद कविता की गीतात्मकता में वृद्धि करते हैं।
किसी निश्चित क्रम में गति और यति का निर्वाह करते हुए संगीतमय या भावपूर्ण जो रचना की जाती है, उसके रचना-विधान का नाम छंद है।
उदाहरण –
सहज सरल रघुवर बचन, कुमति कुटिल करि जान।
चलइ जोंक जिमि वक्र गति, जद्यपि सलिल समान।।
उक्त पंक्तियों में 'दोहा' छंद का प्रयोग हुआ है।

छंद के प्रकार– छंद दो प्रकार के होते हैं।
1. मात्रिक - मात्राओं की गिनती निश्चित रहती है।"
2. वर्णिक - वर्णों की संख्या एवं रूप निश्चित रहता है, मात्राएँ नहीं।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1.अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार
2. पुनरुक्त शब्दों को चार श्रेणियाँ
3. भाषा के विविध स्तर- बोली, विभाषा, मातृभाषा
4. अपठित गद्यांश कैसे हल करें?
5. वाच्य के भेद - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य
6. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है?
7. राज भाषा क्या होती है, राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है?

1. मात्रिक छंद

छप्पय – इस विषम मात्रिक छंद में छह चरण होते हैं। इसके प्रथम चार चरण रोला और दो चरण उल्लाला के होते हैं। रोला के प्रत्येक चरण में 11-13 को यति पर 24 मात्राएँ और उल्लाला के हर चरण में 15-13 की यति पर 28 मात्राएँ होती हैं-
उदाहरण-
जहाँ स्वतन्त्र विचार न बदलें मन में मुख में,
जहाँ न बाधक बनें सवल निबलों के सुख में।
सबको जहाँ समान निजोन्नति का अवसर हो।
शान्तिदायिनी निशा, हर्षसूचक वासर हो।
सब भाँति सुशासित हो जहाँ, समता के सुखकर नियम ॥
बस उसी स्वशासित देश में जागें है जगदीश हम
यहाँ पर रोला + उल्लाला = छप्पय छंद बना है

2. वर्णिक छंद

(अ) कवित्त – इस वर्णिक छंद के प्रत्येक चरण में 16 और 15 के विराम से 31 वर्ण होते हैं। प्रत्येक चरण का अंतिम वर्ण गुरु होता है।
उदाहरण–
सच्चे हो पुजारी तुम प्यारे प्रेम मंदिर के,
उचित नहीं है तुम्हें दुख से कराहना,
करना पड़े जो आत्म त्याग अनुराग वश,
तो तुम सहर्ष निज भाग्य की सराहना।
प्रीति का लगाना कुछ कठिन नहीं है, सखे,
किन्तु हैं कठिन नित्य नेह का निबाहना,
चाहना जिसे हैं तुम्हें चाहिए सदैव उसे,
तन मन प्राण से प्रमोद युत चाहना।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य क्या होते हैं?
2. कुण्डलियाँ छंद क्या है? इसकी पहचान एवं उदाहरण
3. हिन्दी में मिश्र वाक्य के प्रकार (रचना के आधार पर)
4. मुहावरे और लोकोक्ति का प्रयोग कब और क्यों किया जाता है?
5. राष्ट्रभाषा क्या है और कोई भाषा राष्ट्रभाषा कैसे बनती है?

(ब) सवैया – बाईस से लेकर छब्बीस वर्ण तक के छंद को सवैया कहते हैं। ये अनेक प्रकार के होते हैं - मत्तगयन्द, दुर्मिल, मंदिर, चकोर, किरीट आदि।
(i) मत्तगयन्द सवैया– इस वर्णिक छंद में चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में सात भगण और दो गुरु के क्रम से 23 वर्ण होते हैं। इसे मालती सवैया भी कहते है।
उदाहरण
धूरि भरे अति शोभित श्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिर अंगना, पग पैंजनी बाजति पीरी कछौटी।
वा छवि को रसखानि बिलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी।
काग के भाग बड़े सजनी, हरि हाथ सौ ले गयौ माखन रोटी ।।

(ii) दुर्मिल – इस वर्णिक छंद के प्रत्येक चरण में 24 वर्ण होते हैं। इस छंद को 'चंद्रकला' भी कहते हैं।
उदाहरण–
पुर तैं निकसी रघुवीर वधू धरि धीर दये मग में डग द्वै।
झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गये मधुराधर वै।
फिर बूझति हैं चलनौ अब केतिक पर्णकुटी करिहौ कित ह्वै।
तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य क्या होते हैं?
2. कुण्डलियाँ छंद क्या है? इसकी पहचान एवं उदाहरण
3. हिन्दी में मिश्र वाक्य के प्रकार (रचना के आधार पर)
4. मुहावरे और लोकोक्ति का प्रयोग कब और क्यों किया जाता है?
5. राष्ट्रभाषा क्या है और कोई भाषा राष्ट्रभाषा कैसे बनती है?

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए वीडियो को देखें।
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
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