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मुगल वास्तुकला- बाबर, हुमायूँ और शेरशाह सूरी | Mughal Architecture- Babur, Humayun and Sher Shah Suri

मुगल शासक कला एवं स्थापत्य कला के महान संरक्षक थे। उनके शासनकाल के दौरान भारतवर्ष के महत्वपूर्ण वास्तुशिल्पों का निर्माण किया गया। दिल्ली सल्तनत के दौरान वास्तुकला को अपेक्षित संरक्षण एवं महत्वपूर्ण स्थान प्रदान नहीं किया गया था, किंतु मुगलों के शासनकाल में वास्तुकला ने पुन: अपना महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया। इस अवधि में नये भवनों का निर्माण महान दृष्टि एवं कलात्मक प्रेरणा के साथ किया गया। इसके साथ ही वास्तुकला की कई महत्वपूर्ण शैलियाँ अस्तित्व में आयीं।

The Mughal rulers were great patrons of art and architecture. Important architectures of India were built during his reign. During the Delhi Sultanate, architecture was not given the required patronage and important place, but during the reign of the Mughals, architecture again took its important place. During this period new buildings were constructed with great vision and artistic inspiration. With this many important styles of architecture came into existence.

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बाबर- इसके शासनकाल के दौरान वास्तुकला के क्षेत्र में कोई विशेष परिवर्तन नहीं देखा गया। इसका महत्वपूर्ण कारण बाबर के शासनकाल की अवधि का न्यूनतम होना है। बाबर ने पानीपत और रूहेलखण्ड में मस्जिदों का निर्माण करवाना आरंभ करवाया था। ये दोनों ही मस्जिदें सन् 1526 में बनकर तैयार हो गई थीं। किन्तु फिर भी उसका शासनकाल किसी भी वास्तुकला से सम्बद्ध नवीन शैली अथवा तकनीक के विकास के लिए बहुत अल्पकाल था। अर्थात् इस अवधि में वास्तुकला की किसी नवीन शैली का उद्भव नहीं हो सका।

Babur- During his reign no significant change was seen in the field of architecture. The important reason for this is the minimum duration of Babur's reign. Babur started the construction of mosques in Panipat and Rohilkhand. Both these mosques were completed in 1526. But still his reign was too short to develop any new style or technique related to architecture. That is, no new style of architecture could emerge in this period.

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हुमायूँ- इसके शासनकाल में भी वास्तुकला का अधिक विकास नहीं हो सका। हुमायूँ के शासनकाल की प्रमुख विशेषता शेरशाह सूरी के विरुद्ध निरंतर सत्ता संघर्ष थी। अतः वह कला एवं स्थापत्य कला पर विशेष ध्यान नहीं दे पाया। किंतु फिर भी उसने कुछ महत्वपूर्ण वास्तुशिल्पों का निर्माण करवाया। उसने दीनपनाह नामक नगर की नींव डाली थी। किन्तु वह इस नगर को पूरा नहीं कर पाया था। इस अवधि के दौरान वास्तुकला के क्षेत्र में फारसी शैली छाई रही।

Humayun- Architecture could not develop much even during his reign. The main feature of Humayun's reign was the continuous power struggle against Sher Shah Suri. Therefore, he could not pay special attention to art and architecture. But still he got some important architectures built. He laid the foundation of a city called Dinpanah. But he could not complete this city. The Persian style dominated the architecture during this period.

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शेरशाह सूरी- शेरशाह ने भारत में स्थान अल्प समय के लिए शासन किया। किंतु फिर भी अपने संक्षिप्त शासनकाल में, शेरशाह ने कुछ स्मारकों का निर्माण करवाया। उसने अफगानी शैली को संरक्षण प्रदान किया। उसने दिल्ली में किला-ए-कुहुनाह या पुराने किले का मस्जिद का निर्माण कराया। इसके अतिरिक्त उसने वर्तमान पाकिस्तान में प्रसिद्ध रोहतास किले का निर्माण करवाया। अपने शासनकाल को चिह्नित करने के लिए शेरशाह ने अफगानी शैली में पटना में शेरशाह सूरी मस्जिद का निर्माण करवाया।

Sher Shah Suri- Sher Shah ruled India for a short period of time. But still during his brief reign, Sher Shah got some monuments built. He patronized the Afghan style. He built the Qila-i-Kuhunah or the Masjid of the Old Fort in Delhi. Apart from this, he got the famous Rohtas Fort built in present day Pakistan. To mark his reign, Sher Shah built the Sher Shah Suri Mosque in Patna in the Afghan style.

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शेरशाह का शासनकाल लोदी शैली की वास्तुकला की मुगल शैली की वास्तुकला में संक्रमण का काल था। शेरशाह ने एक प्राचीन मौर्य मार्ग का पुनर्निमाण विस्तार करवाया। उसने इसे सड़क-ए-आजम या महान सड़क नाम दिया। आगे चलकर इसे ग्रैंड ट्रंक रोड कहा गया। उसने सड़कों एवं मार्गों पर सरायों एवं वृक्षों की उचित व्यवस्था करवायी। इस अवधि में शेरशाह के मकबरे का निर्माण उसके जन्मस्थल सासाराम में करवाया गया। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया था एवं यह एक झील के निकट अवस्थित है। इस अवधि में सल्तनत काल की निर्माण परंपरा जारी रही।

The reign of Sher Shah was a period of transition from the Lodi style of architecture to the Mughal style of architecture. Sher Shah got an ancient Maurya route reconstructed and expanded. He named it Sadak-e-Azam or the Great Road. Later it was called Grand Trunk Road. He made proper arrangements for inns and trees on the roads and routes. During this period the tomb of Sher Shah was constructed at his birthplace Sasaram. It was constructed from red sandstone and is situated near a lake. The construction tradition of the Sultanate period continued in this period.

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सन् 1556 में अकबर के दिल्ली के तख्त को ग्रहण करने के पश्चात मुगल कला एवं वास्तुकला का स्वर्ण युग प्रारंभ हुआ।

The golden age of Mughal art and architecture began after Akbar took over the throne of Delhi in 1556.

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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
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