कश्मीर की वास्तुकला एवं इसकी विशेषताएँ | Kashmir's Architecture and Its Characteristics
कश्मीर में वास्तुकला- कश्मीर की वास्तुकला को यहाँ के शासनकाल के अनुसार मुख्य रूप से दो चरणों में विभक्त किया जा सकता है-
1. मध्यकाल के आरंभ का हिन्दु चरण
2. 14वीं शताब्दी के बाद का मुस्लिम चरण।
Architecture in Kashmir- The architecture of Kashmir can be mainly divided into two phases according to its reign-
1. Hindu phase of early medieval period
2. Muslim phase after 14th century.
"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. गुप्त कालीन वास्तुकला- गुफाएँ, चित्रकारी, स्तूप और मूर्तियाँ
2. गुप्त काल में मंदिर वास्तुकला के विकास के चरण
3. प्राचीन भारत में मंदिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ
4. उत्तर भारत की वास्तुकला की नागर शैली- ओडिशा, खजुराहो और सोलंकी शैली
5. दक्षिण भारत की वास्तुकला- महाबलीपुरम की वास्तुकला
केवल कुछ बौद्ध स्मारकों जैसे- मठ, स्तूप के अतिरिक्त किसी अन्य प्रमुख स्मारक का 600 ईसवी से पहले कोई अस्तित्व नहीं था। वर्तमान में बौद्ध स्तूप खण्डहर की स्थिति में हैं। इनकी खोज हरवान और उशकर में हुई थी।
Apart from only a few Buddhist monuments like monasteries, stupas, no other major monuments existed before 600 AD. Presently the Buddhist stupas are in a state of ruins. These were discovered in Harwan and Ushkar.
"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली एवं चोल वास्तुकला व मूर्तिकला (नटराज की मूर्ति)
2. दक्षिण भारत की वास्तुकला- नायक, वेसर, विजयनगर (बादामी गुफा मंदिर) और होयसाल शैली
3. बंगाल की वास्तुकला- पाल एवं सेन शैली
4. प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय- तक्षशिला, नालंदा, कांचीपुरम
5. भगवान शिव को समर्पित भारत के 12 ज्योतिर्लिंग
कश्मीर में मंदिर वास्तुकला- कश्मीर की मंदिर वास्तुकला की अनूठी विशेषताएँ स्थानीय भूगोल के अनुकूल हैं। यह वास्तुकला पत्थर पर अपनी अनोखी नक्काशी के लिये प्रसिद्ध है। व्यापारिक मार्गों पर स्थित होने के कारण यह मंदिर वास्तुकला अनेक विदेशी स्रोतों से प्रेरित है। कश्मीर के कार्केट राजवंश एवं उत्पल राजवंश के संरक्षण में इन मंदिरों की वास्तुकला अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची।
Temple Architecture in Kashmir- The unique features of the temple architecture of Kashmir are adapted to the local geography. This architecture is famous for its unique carvings on stone. Being situated on the trade routes, this temple architecture is inspired from many foreign sources. The architecture of these temples reached its zenith under the patronage of the Karket dynasty and Utpal dynasty of Kashmir.
"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर– Part-1
2. पार्ट- 2. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर
3. भारत से बाहर विदेशों में स्थित प्रमुख मंदिर
4. भारतवर्ष के महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल
5. भारत के महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल
कश्मीर की मंदिर वास्तुकला की कुछ अनूठी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. निर्माण कार्यों में तिपतिया trefoil मेहराबों का प्रयोग किया जाता था। इन वास्तुशिल्पों की ये मेहराबें उस अवधि की गांधार शैली के प्रभाव का परिणाम थी।
2. कोष्ठात्मक विन्यास और परिबद्ध आँगन का प्रयोग किया जाता था।
3. भवनों और इमारतों की छत के रूप में सीधे कोनों वाली पिरामिडीय छत का प्रयोग किया जाता था।
4. निर्माण कार्यों में स्तंभों वाली दीवारों का प्रयोग किया जाता था। वास्तुशिल्पों की ये दीवारें ग्रीक शैली की परिणाम थीं।
5. वास्तुशिल्पों में त्रिकोणीय फुटपायथ निर्मित किये जाते थे। यह भी ग्रीक शैली का परिणाम था।
6. वास्तुशिल्पों में सीढ़ियों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक हुआ करती थीं।
Some of the unique features of the temple architecture of Kashmir are-
1. Shamrock trefoil arches were used in construction works. These arches of these architectures were the result of the influence of the Gandhara style of that period.
2. Vaulted configuration and enclosed courtyard were used.
3. A pyramidal roof with straight corners was used as the roof of buildings and buildings.
4. Pillared walls were used in construction works. These architectural walls were the result of the Greek style.
5. Triangular footpaths were made in the architecture. This was also a result of the Greek style.
6. The number of stairs in architecture used to be relatively high.
"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मध्यकालीन भारत में वास्तुकला- इंडो इस्लामिक (भारतीय-अरबी) शैली
2. दिल्ली सल्तनत काल के दौरान वास्तुकला साम्राज्यिक शैली
3. भारतीय कला- बंगाल शैली, जौनपुर शैली, मालवा शैली और बीजापुर शैली
4. मुगल वास्तुकला- बाबर, हुमायूँ और शेरशाह सूरी
5. मुगल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित करवाये गये महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प
6. मुगल वास्तुकला― जहाँगीर, शाहजहाँ (ताजमहल), औरंगजेब
7. वास्तुकला की राजपूत शैली व शिख शैली तथा अवध वास्तुकला
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
Comments