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इंडो-गॉथिक शैली और नव रोमन शैली | Indo-Gothic Style and Neo Roman Style

अंग्रेज अपने साथ वास्तुकला की गॉथिक शैली लाए। यह शैली भारतीय वास्तुकला के साथ मिल गई। इसकी परिणति 'इण्डो-गॉथिक शैली' के रूप में हुई। आगे चलकर सन् 1911 ई. में 'नव रोमन शैली' के रूप में ज्ञात वास्तुकला की एक नयी शैली उभरी।

The British brought with them the Gothic style of architecture. This style merged with Indian architecture. This culminated in 'Indo-Gothic style'. Later in the year 1911, a new style of architecture known as 'Neo Roman style' emerged.

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3. हड़प्पा सभ्यता की वास्तुकला | Architecture Of Harappan Civilization
4. हड़प्पा सभ्यता की मोहरें | Seals Of Harappan Civilization
5. हड़प्पा सभ्यता की मूर्ति कला | Statues Of Harappan Civilization
6. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मृद्भाण्ड एवं आभूषण | Pottery And Jewelery From Harappan Civilization

इंडो-गॉथिक शैली- विक्टोरियन शैली के रूप में ज्ञात यह वास्तुकला भारतीय, फारसी एवं गॉथिक शैली का मिश्रण है।

Indo-Gothic style- Known as the Victorian style, this architecture is a fusion of Indian, Persian and Gothic styles.

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1. मौर्य कला एवं स्थापत्य कला | Mauryan Art - Architecture
2.मौर्य काल की दरबारी कला | Court Art Of The Mauryan Period
3. मौर्य काल की लोकप्रिय कला | Popular Art Of The Mauryan Period
4. मौर्योत्तर कालीन कला की जानकारी | Post-Mauryan Art
5. मौर्योत्तर काल की स्थापत्य कला- गुफाएँ एवं स्तूप | Architecture Of The Post-Mauryan Period - Caves And Stupas

इसकी कुछ अनूठी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. इस शैली के निर्माण बहुत विशाल एवं अपने निष्पादन में विस्तृत थे।
2. इंडो-इस्लामिक शैली के निर्माणों की दीवारों की अपेक्षा इन निर्माणों में दीवारें पतली होती थीं।
3. इंडो-इस्लामिक शैली के वक्राकार मेहराबों के विपरीत इस शैली के निर्माणों में नुकीले मेहराब होते थे।
4. इस शैली के निर्माणों की अनूठी विशेषता इसकी विशाल खिड़कियाँ थीं।
5. चर्चों का निर्माण क्रूसीफाइड भूमी योजना के आधार पर किया जाता था।
6. इस शैली की संरचनाओं का निर्माण ब्रिटेन के उन्नत संरचनात्मक इंजीनियरिंग के मानकों के आधार पर किया जाता था। निर्माण कार्यों के लिये इस्पात, लोहे और ढाले हुये कांक्रीट का उपयोग किया जाता था।

Some of its unique features are as follows-
1. The constructions of this style were very large and elaborate in their execution.
2. The walls in these constructions were thinner as compared to the walls of Indo-Islamic style constructions.
3. Unlike the curved arches of the Indo-Islamic style, the constructions of this style had pointed arches.
4. The unique feature of this style of construction was its large windows.
5. Churches were built on the basis of the crucified land plan.
6. Structures of this style were built to the standards of advanced structural engineering in Britain. Steel, iron and molded concrete were used for construction works.

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1. मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली | Post-Mauryan Sculpture– Gandhara, Mathura And Amravati Style
2. मूर्तिकला शैली - गांधार, मथुरा तथा अमरावती शैलियों में अंतर | Sculptural Style – Difference Between Gandhara, Mathura And Amravati Styles
3. यूनानी कला एवं रोमन मूर्ति-कला | Greek Art And Roman Sculpture
4. शरीर की विभिन्न मुद्राएँ - महात्मा बुद्ध से संबंधित | Various Body Postures Related To Mahatma Buddha
5. हिन्दू मंदिरों के महत्वपूर्ण अवयव- गर्भगृह, मंडप, शिखर, वाहन | Hindu Temples– Sanctum Sanctorum, Pavilion, Peak, Vehicle

उदाहरण- कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल, मुम्बई में गेटवे ऑफ इण्डिया आदि।

Example- Victoria Memorial in Kolkata, Gateway of India in Mumbai etc.

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नव रोमन शैली- सन् 1911 ई. के पश्चात् अंग्रेजों द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य नव-रोमन शैली या नव शास्त्रीय शैली में बनवाये गए। एडविन लुटियन और हरबर्ट बेकर द्वारा बनवाए गए नई दिल्ली के वास्तुशिल्प इस शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। दिल्ली को 'हिन्दुस्तान का रोम' के रूप में जाना जाता है।

Neo-Roman style- After 1911 AD, the construction works done by the British were built in Neo-Roman style or Neo-Classical style. The architecture of New Delhi, built by Edwin Lutyens and Herbert Baker, is a classic example of this style. Delhi is known as 'Rome of Hindustan'.

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1. दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली एवं चोल वास्तुकला व मूर्तिकला (नटराज की मूर्ति) | Dravidian Style And Chola Architecture And Sculpture Of South India (Statue Of Nataraja)
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4. प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय- तक्षशिला, नालंदा, कांचीपुरम | Taxila, Nalanda, Kanchipuram Universities
5. भगवान शिव को समर्पित भारत के 12 ज्योतिर्लिंग | 12 Jyotirlingas Of India Dedicated To Lord Shiva

नव रोमन शैली की कुछ अनूठी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. इस शैली के निर्माण नाम रहित (अज्ञातकृत) होते थे। ये निर्माण बिना किसी रूचिकर विशेषताओं वाले होते थे।
2. यह वास्तुकला की सभी शैलियों का मिश्रण है। इसलिए इस शैली में संकुलन था एवं कलात्मक अभिव्यक्ति के अवसर संकीर्ण थे।
3. निर्माण कार्यों की संकर प्रकृति के कारण सादगी, आधुनिकता एवं उपयोगिता से अत्यधिक समझौता किया गया था।
4. इस शैली में वृत्तीय भवनों पर विशेष ध्यान दिया गया।
5. पश्चिमी वास्तुशिल्प डिजाइनों को साकार करने के लिये प्राच्य रूपांकनों का प्रयोग किया गया।
6. औंधे अथवा ऊपर उठे हुए गुम्बद की अवधारणा इसी चरण के दौरान प्रचलित हुई। इसे सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रपति भवन के शीर्ष पर देखा जा सकता है।

Some of the unique features of Neo Roman style are-
1. The constructions of this style were nameless (unknown). These constructions were without any interesting features.
2. It is a mixture of all the styles of architecture. Therefore there was congestion in this style and opportunities for artistic expression were narrow.
3. Simplicity, modernity and utility were heavily compromised due to the hybrid nature of construction works.
4. Special attention was paid to circular buildings in this style.
5. Oriental motifs were used to realize Western architectural designs.
6. The concept of an inverted or raised dome became popular during this phase. It can be seen on top of Supreme Court and Rashtrapati Bhavan.

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1. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर– Part-1 | List Of Important Hindu Temples In India
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3. भारत से बाहर विदेशों में स्थित प्रमुख मंदिर | Major Temples Located Abroad Outside India
4. भारतवर्ष के महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल | Important Buddhist Pilgrimage Sites Of India
5. भारत के महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल | Important Jain Pilgrimage Sites In India

आईबेरियन शैली और गॉथिक शैली में अंतर-
1. पुर्तगालियों ने वास्तुकला की आईबेरियन शैली को विकसित किया। पुर्तगालियों ने अपने निर्माण कार्यों में प्रमुख रूप से ईटों का प्रयोग किया। छतों और सीढ़ियों के निर्माण के लिये लकड़ी का प्रयोग किया जाता था। जबकि गॉथिक शैली के निर्माणों में प्रमुख रूप से लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया जाता था।
2. पुर्तगालियों ने वास्तुशिल्प के क्षेत्र में अपनी पाश्चात्य परंपराओं को जारी रखा। उन्होंने किसी भी संरचनात्मक विविधता को आरंभ नहीं किया। अंग्रेजों ने भारतीय और गॉथिक शैली के अनूठे मिश्रण से बनी इण्डो-गॉथिक शैली को वास्तुशिल्प के जगत में उत्कर्ष पर पहुँचाया। उन्होंने अपनी शैली में भारतीय शैली एवं रूपांकनों को मिश्रित होने दिया।

Difference between Iberian style and Gothic style-
1. The Portuguese developed the Iberian style of architecture. The Portuguese mainly used bricks in their construction works. Wood was used for the construction of terraces and stairs. Whereas red sandstone was mainly used in Gothic style constructions.
2. The Portuguese continued their western traditions in the field of architecture. They did not introduce any structural variations. The British brought the Indo-Gothic style to the top of the world of architecture, a unique blend of Indian and Gothic styles. He allowed Indian style and motifs to mix in his style.

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1. मध्यकालीन भारत में वास्तुकला- इंडो इस्लामिक (भारतीय-अरबी) शैली | Architecture In Medieval India- Indo Islamic Style
2. दिल्ली सल्तनत काल के दौरान वास्तुकला- साम्राज्यिक शैली | Architecture During The Delhi Sultanate Period- Imperial Style
3. भारतीय कला- बंगाल शैली, जौनपुर शैली, मालवा शैली और बीजापुर शैली | Bengal Style, Jaunpur Style, Malwa Style And Bijapur Style
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5. मुगल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित करवाये गये महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प | Important Architectures Built By The Mughal Emperor Akbar
6. मुगल वास्तुकला― जहाँगीर, शाहजहाँ (ताजमहल), औरंगजेब | Mughal Architecture― Jahangir, Shah Jahan (Taj Mahal), Aurangzeb
7. वास्तुकला की राजपूत शैली व शिख शैली तथा अवध वास्तुकला | Rajput Style And Sikh Style Of Architecture And Awadh Architecture

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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