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भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'

  • BY:
     RF Competition
  • Posted on:
    November 05, 2021

"उद्धव-प्रसंग"

भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की
सुधि ब्रज-गाँवनि में पावन जबैं लगीं।
कहैं 'रतनाकर' गुवालिनि की झौरि-झौरि
दौरि-दौरि नंद-पौरि आवन तबै लगीं।
उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै
पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छबै लगीं।
हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा
हमकौं लिख्यौ है कहा कहन सबै लगीं।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
बीती विभावरी जाग री― जयशंकर प्रसाद

संदर्भ

प्रस्तुत पद्यांश 'उद्धव-प्रसंग' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना जगन्नाथ दास 'रत्नाकर' ने की है।

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सखी री लाज बैरन भई– मीराबाई

प्रसंग

प्रस्तुत पद्यांश में कवि रत्नाकर ने उद्धव के आगमन की बात सुनकर श्री कृष्ण के संदेश को सुनने के लिए आ रही ब्रज की गोपियों की आतुरता का उल्लेख किया है।

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आचार्य केशवदास– कवि परिचय

महत्वपूर्ण शब्द

मनभावन- प्रियतम, सुधि- समाचार, पावन- प्राप्त होना, गुवालिनि- गोपियाँ, झौरि-झौरि- झुंड के झुंड, दौरि-दौरि- दौड़-दौड़ कर, नंद-पौरि- नंद के आँगन, उझकि-उझकि- उचक-उचक कर, पद-कंजनि- चरण कमलो, पंजनि- पंजों, पेखि-पेखि- देख-देख, छाती- हृदय, छोहनि- उत्कंठा या बेकरारी।

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मो देखत जसुमति तेरे ढोटा, अबहिं माटी खाई― सूरदास

व्याख्या

ब्रज के गाँवों में वहाँ के निवासियों को सभी के प्रियतम श्री कृष्ण के मित्र उद्धव जी के आने का समाचार प्राप्त होता है। कवि रत्नाकर जी कहते हैं, कि इस समाचार को सुनने पर ब्रज की गोपियों के झुंड के झुंड दौड़-दौड़ कर नंद बाबा के आँगन में आने लगे। वे सभी प्रेमातुर थीं। उनके मन में उस संदेश को सुनने की आतुरता थी। सभी गोपियाँ अपने कमल के समान कोमल पैरों के पंजों से उचक-उचक कर श्री कृष्ण के द्वारा भेजे गए संदेश को देखने लगीं। उन सभी का हृदय श्री कृष्ण द्वारा भेजे गए संदेश को जानने की उत्कंठा (बेकरारी) से भर गया। वे सभी उद्धव से कहती हैं कि श्रीकृष्ण ने हमारे बारे में क्या लिखा है, क्या लिखा है, क्या लिखा है.........................

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
बानी जगरानी की उदारता बखानी जाइ― केशवदास

काव्य-सौंदर्य

प्रस्तुत पद्यांश से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. गोपियों की श्री कृष्ण के संदेश को जानने की आतुरता का सजीव चित्रण किया गया है।
2. पुनरुक्ति-प्रकाश, रूपक और वीप्सा अलंकार का प्रयोग किया गया है।
3. ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है।
4. सरल सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।
5. प्रस्तुत पद माधुर्य गुण का अनुपम उदाहरण है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी― सूरदास

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com



आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
pragyaab.com

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