अयस्कों से धातुओं का निष्कर्षण एवं धातुओं का परिष्करण | Extraction Of Metals From Ores And Refining Of Metals
सक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाली धातुओं का निष्कर्षण (Extraction of metals falling in the activity series)
सक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाली धातुएँ बहुत कम अभिक्रियाएँ करती हैं। अधिकांशतः ये धातुएँ प्रकृति में मुक्त अवस्था में रहती हैं। इन धातुओं के ऑक्साइडों (अयस्क) को केवल गर्म करने से ही उपयोगी धातु प्राप्त हो जाता है।
उदाहरण– पारा (मर्करी) धातु को प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम इसके अयस्क सिनाबार (HgS) को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है। इससे सिनाबार, मर्क्यूरिक ऑक्साइड (HgO) में परिवर्तित हो जाता है। मर्क्यूरिक ऑक्साइड को और अधिक गर्म करने पर यह मर्करी में अपचयित हो जाता है। इस प्रकार मरकरी धातु प्राप्त हो जाता है। इसे समीकरण के रूप में इस प्रकार समझा जा सकता है–
2HgS(s) + 3O2(g) →(तापन)→ 2HgO(s) + 2SO2(g)
2HgO(s) →(तापन)→ 2Hg(l) + O2(g)
इसी प्रकार कॉपर को भी उसके अयस्क से प्राप्त किया जा सकता है–
2Cu2S + 3O2(g) →(तापन)→ 2Cu2O(s) + 2SO2(g)
2Cu2O + Cu2S →(तापन)→ 6Cu(s) + SO2(g)
Metals that fall below the reactivity series undergo very few reactions. Most of these metals live in free state in nature. The useful metal is obtained only by heating the oxides (ore) of these metals.
Example– To obtain mercury metal, its ore cinnabar (HgS) is first heated in the presence of air. This converts cinnabar into mercuric oxide (HgO). On further heating of mercuric oxide, it is reduced to mercury. In this way mercury metal is obtained. It can be understood in the form of equation–
2HgS(s) + 3O2(g) →(heating)→ 2HgO(s) + 2SO2(g)
2HgO(s) →(heating)→ 2Hg(l) + O2(g)
Similarly, copper can also be obtained from its ore–
2Cu2S + 3O2(g) →(heating)→ 2Cu2O(s) + 2SO2(g)
2Cu2O + Cu2S →(heating)→ 6Cu(s) + SO2(g)
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धातुओं की प्राप्ति (खनिज एवं अयस्क) | Recovery Of Metals (Minerals And Ores)
सक्रियता श्रेणी के मध्य में आने वाली धातुओं का निष्कर्षण (Extraction of metals falling in the middle of the activity series)
आयरन, जिंक, लेड, कॉपर आदि धातुएँ सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित होती हैं। इन धातुओं की अभिक्रियाशीलता मध्यम होती है। प्रकृति में ये धातुएँ अक्सर सल्फाइड अथवा कार्बोनेट के रूप में रहती हैं। सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करना ज्यादा सरल होता है। इस वजह से अपचयन करने से पूर्व धातुओं के सल्फाइड अथवा कार्बोनेट को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित कर लिया जाता है। सल्फाइड अयस्क से धातु प्राप्त करने के लिए उसे वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म किया जाता है। इससे सल्फाइड अयस्क का ऑक्साइड में परिवर्तन हो जाता है। इस क्रिया को 'भर्जन' कहा जाता है। कार्बोनेट अयस्क से धातु प्राप्ति के लिए उसे सीमित वायु में अधिक ताप पर गर्म किया जाता है। इससे कार्बोनेट अयस्क का ऑक्साइड में परिवर्तन हो जाता है। इस क्रिया को 'निस्तापन' कहते हैं। जिंक धातु को उसके अयस्कों से भर्जन और निस्तापन प्रक्रियाओं के द्वारा प्राप्त किया जाता है। जिंक धातु को उसके अयस्क से प्राप्त करने की प्रक्रिया इस प्रकार है–
भर्जन
2ZnS(s) + 3O2(g) →(तापन)→ 2ZnO(s) + 2SO2(g)
निस्तापन
ZnCO3(s) →(तापन)→ ZnO(s) + CO2(g)
Metals like iron, zinc, lead, copper etc. lie in the middle of the activity series. The reactivity of these metals is moderate. These metals often exist in nature in the form of sulfides or carbonates. It is easier to obtain metals from their oxides than from sulfides or carbonates. For this reason sulfides or carbonates of metals are converted into metal oxides before reduction. To obtain metal from sulphide ore, it is heated in the presence of air at high temperature. This results in the conversion of sulphide ore into oxide. This action is called 'Bharjan'. To obtain metal from carbonate ore, it is heated in confined air at high temperature. This results in the conversion of carbonate ore into oxide. This action is called 'dissolution'. Zinc metal is obtained from its ores by roasting and calcination processes. The process of obtaining zinc metal from its ore is as follows–
Bharjan
2ZnS(s) + 3O2(g) →(heating)→ 2ZnO(s) + 2SO2(g)
Disposal
ZnCO3(s) →(heating)→ ZnO(s) + CO2(g)
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आयनिक यौगिकों के गुणधर्म | Properties Of Ionic Compounds
इसके पश्चात् प्राप्त धातु ऑक्साइड का अपचयन कर (कार्बन का प्रयोग कर) उपयोगी धातु प्राप्त किये जाते है। जिंक ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म करने पर यह जिंक धातु में अपचयित हो जाता है। इसे रासायनिक समीकरण के रूप में इस प्रकार समझा जा सकता है–
ZnO(s) + C(s) →(तापन)→ Zn(s) + CO(g)
Useful metals are obtained by reduction of metal oxides obtained after this (using carbon). When zinc oxide is heated with carbon, it is reduced to zinc metal. It can be understood in the form of chemical equation as–
ZnO(s) + C(s) →(heating)→ Zn(s) + CO(g)
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आयनिक यौगिक कैसे बनते हैं? | How Are Ionic Compounds Formed?
धातुओं को उनके यौगिकों से प्राप्त करने के प्रक्रम को 'अपचयन' कहा जाता है। कार्बन (कोयले) का प्रयोग कर धातुओं के ऑक्साइड से धातुओं को अपचयन प्रक्रम के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा विस्थापन अभिक्रिया के द्वारा भी धातुएँ उनके ऑक्साइड से प्राप्त की जा सकती हैं। सोडियम, कैल्शियम, एल्युमिनियम आदि अत्यधिक अभिक्रियाशील धातुएँ हैं। इन धातुओं को अपचायक के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। ये धातुएँ निम्न अभिक्रियाशील धातुओं को उनके यौगिकों से विस्थापित कर सकती हैं। अतः स्पष्ट है कि विस्थापन अभिक्रिया के द्वारा भी धातुओं को उनके ऑक्साइड से प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मैंगनीज डाइऑक्साइड को एल्युमीनियम के चूर्ण के साथ गर्म करने पर मैग्नीज धातु प्राप्त की जा सकती है। इस अभिक्रिया को समीकरण के रूप में इस प्रकार समझा जा सकता है–
3MnO2(s) + 4Al(s) →(तापन)→ 3Mn(l) + 2Al2O3(s) + ऊष्मा
The process of obtaining metals from their compounds is called 'reduction'. Metals can be obtained from oxides of metals through the process of reduction using carbon (coal). Apart from this, metals can also be obtained from their oxides by displacement reaction. Sodium, calcium, aluminum etc. are highly reactive metals. These metals can be used as reducing agents. These metals can displace low reactive metals from their compounds. Therefore, it is clear that metals can also be obtained from their oxides by displacement reaction. For example, manganese dioxide can be obtained by heating manganese dioxide with aluminum powder. This reaction can be understood in the form of equation–
3MnO2(s) + 4Al(s) →(heating)→ 3Mn(l) + 2Al2O3(s) + heat
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धातुओं की सक्रियता श्रेणी | Activity Series Of Metals
ये विस्थापन अभिक्रियाएँ अत्यधिक ऊष्माक्षेपी होती हैं। इन अभिक्रियाओं में बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित होती है, जिससे धातुएँ पिघल जाती हैं और द्रव अवस्था में प्राप्त होती हैं। आयरन(III)ऑक्साइड के साथ एल्युमीनियम की अभिक्रिया का प्रयोग रेल की पटरी और मशीन के पुर्जों की दरारों को जोड़ने के लिए किया जाता है। इस अभिक्रिया को 'थर्मिट अभिक्रिया' कहा जाता है। इसे अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण के रूप में इस प्रकार समझा जा सकता है–
Fe2O3(s) + 2Al(s) → 2Fe(l) + Al2O3(s) + ऊष्मा
These displacement reactions are highly exothermic. In these reactions a large amount of heat is released, due to which the metals are melted and obtained in the liquid state. The reaction of aluminum with iron(III) oxide is used for bonding cracks in railway tracks and machine parts. This reaction is called 'Thermit reaction'. This reaction can be understood in the form of chemical equation–
Fe2O3(s) + 2Al(s) → 2Fe(l) + Al2O3(s) + heat
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धातुओं की लवणों के विलयन और अम्लों के साथ अभिक्रियाएँ | Reactions Of Metals With Solutions Of Salts And Acids
सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर आने वाली धातुओं का निष्कर्षण (Extraction of metals that top the activity series)
सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर आने वाली धातुएँ अत्यंत अभिक्रियाशील होती हैं। इन्हें कार्बन के साथ गर्म करने पर उनके यौगिकों से प्राप्त नहीं किया जा सकता। इन धातुओं की बंधुता कार्बन की अपेक्षा ऑक्सीजन के प्रति अधिक होती है। इसलिए इन धातुओं को विद्युत अपघटनी अपचयन के द्वारा प्राप्त किया जाता है। कार्बन के द्वारा सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, एल्युमीनियम आदि के ऑक्साइड का अपचयन कर उन्हें धातुओं में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। सोडियम, मैग्नीशियम, एल्युमिनियम और कैल्शियम को उनके गलित क्लोराइडों के विद्युत अपघटन से प्राप्त किया जाता है। ऋण आवेशित इलेक्ट्रोड (कैथोड) पर धातुएँ निक्षेपित हो जाती हैं और धन आवेशित इलेक्ट्रोड (एनोड) पर क्लोरीन मुक्त होती है। इन अभिक्रियाओं को रासायनिक समीकरण के रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है–
कैथोड पर, Na+ + e- → Na
एनोड पर, 2Cl- → Cl2 + 2e-
The metals at the top of the reactivity series are highly reactive. These cannot be obtained from their compounds on heating with carbon. These metals have higher affinity for oxygen than with carbon. Therefore these metals are obtained by electrolytic reduction. Oxides of sodium, magnesium, calcium, aluminum, etc. cannot be reduced to metals by reduction of carbon. Sodium, magnesium, aluminum and calcium are obtained by electrolysis of their molten chlorides. The metals are deposited at the negatively charged electrode (cathode) and chlorine is liberated at the positively charged electrode (anode). These reactions can be written in the form of chemical equation as–
At cathode, Na+ + e- → Na
At the anode, 2Cl- → Cl2 + 2e-
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धातुओं की जल के साथ रासायनिक अभिक्रियाएँ | Chemical Reactions Of Metals With Water
विद्युत अपघटनी परिष्करण (Electrolytic Refining)
विभिन्न अपचयन प्रक्रमों का उपयोग कर प्राप्त हुई धातुएँ पूर्ण रूप से शुद्ध नहीं होती। इन धातुओं में कुछ अपद्रव्य उपस्थित रहते हैं। इन अशुद्धियों को हटाकर ही शुद्ध धातुएँ प्राप्त की जा सकती हैं। 'विद्युत अपघटनी परिष्करण' धातुओं से अपद्रव्य को हटाने की सबसे प्रचलित विधि है। जिंक, कॉपर, टिन, निकिल, सिल्वर, गोल्ड आदि धातुओं का परिष्करण विद्युत अपघटन के द्वारा किया जाता है। इसके अंतर्गत शुद्ध धातु प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम अशुद्ध धातु को एनोड और शुद्ध धातु की पतली परत को कैथोड बनाया जाता है। धातु के लवण विलियन का प्रयोग विद्युत अपघट्य के रूप में किया जाता है। इसके पश्चात् विद्युत अपघट्य में धारा प्रवाहित की जाती है। फलस्वरूप एनोड पर स्थित अशुद्ध धातु विद्युत अपघट्य में घुल जाती है। इतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु विद्युत अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है। विलेय अशुद्धियाँ विलियन में चली जाती हैं और अविलेय अशुद्धियाँ एनोड की तली पर निक्षेपित हो जाती हैं, जिसे 'एनोड पंक' कहा जाता है।
Metals obtained using various reduction processes are not completely pure. Some impurities are present in these metals. Pure metals can be obtained only by removing these impurities. Electrolytic refining is the most popular method of removing impurities from metals. Refining of metals like zinc, copper, tin, nickel, silver, gold etc. is done by electrolysis. Under this, to obtain pure metal, first the impure metal is made anode and a thin layer of pure metal is made cathode. The salt solution of the metal is used as an electrolyte. After this, current is passed through the electrolyte. As a result, the impure metal at the anode dissolves in the electrolyte. The same amount of pure metal is deposited at the cathode by electrolyte. The soluble impurities go into the solution and the insoluble impurities are deposited at the bottom of the anode, which is called 'anode punk'.
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धातुओं की अम्ल, क्षारक और ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया | Reaction Of Metals With Acids, Bases And Oxygen
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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