प्रागैतिहासिक चित्रकला (पाषाण काल की चित्रकला) | Prehistoric Painting (Stone Age Painting)
प्रागैतिहासिक चित्रकला सामान्यतः चट्टानों पर की गई थी। ये सभी चित्रकलाएँ एक प्रकार शैल उत्कीर्णन हैं। इन शैल उत्कीर्णनों को 'पेट्रोग्लिफ' कहा जाता है। प्रागैतिहासिक चित्रकला का पहला समूह मध्य प्रदेश की भीमबेटका की गुफाओं में खोजा गया था। प्रागैतिहासिक चित्रकला के प्रमुख तीन चरण इस प्रकार हैं–
1. उच्च पुरापाषाण काल की चित्रकला
2. मध्यपाषाण काल की चित्रकला
3. ताम्रपाषाण काल की चित्रकला
Prehistoric painting was usually done on rocks. All these paintings are a type of rock engraving. These shell engravings are called 'petroglyphs'. The first group of prehistoric paintings were discovered in the Bhimbetka caves of Madhya Pradesh. The main three phases of prehistoric painting are as follows—
1. Upper Paleolithic Painting
2. Painting of Mesolithic Period
3. Chalcolithic painting
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उच्च पुरापाषाण काल की चित्रकला (Upper Paleolithic Painting)
उच्च पुरापाषाण काल की अवधि 40,000 से 10,000 ईसा पूर्व है। इस अवधि के दौरान चट्टानी आश्रयों की गुफाओं की दीवारें क्वार्टजाइट पत्थर से बनी होती थीं। इसलिए इन दीवारों पर बने चित्रों को रंग करने के लिए विभिन्न खनिजों का प्रयोग किया जाता था। इसके अंतर्गत प्रयोग किया जाने वाला प्रमुख खनिज पदार्थ चूने और पानी के साथ मिश्रित गेरू था। उच्च पुरापाषाण काल के चित्रकार सफेद, लाल, पीले और हरे रंगों के निर्माण के लिये विभिन्न खनिजों का प्रयोग करते थे। इन खनिज रंगों ने उनकी रूचि को और अधिक विस्तृत बनाया। काले, सफेद, लाल और हरे रंगों का उपयोग जंगली भैंसे, हाथी, गैंडे और बाघ जैसे बड़े जानवरों के चित्रों को रंगे करने के लिए किया जाता था। मानवीय आकृतियों के अंतर्गत नर्तकी के चित्रों को रंग करने के लिए सामान्यतः हरे रंग का उपयोग किया जाता था। लाल रंग का प्रयोग आखेटक के चित्र को रंग करने के लिए किया जाता था।
The Upper Paleolithic period is from 40,000 to 10,000 BCE. The cave walls of rock shelters during this period were made of quartzite stone. Therefore, various minerals were used to color the paintings on these walls. The main mineral used under this was ocher mixed with lime and water. Painters of the Upper Palaeolithic used different minerals to make white, red, yellow and green colors. These mineral colors further broadened his interest. Black, white, red and green colors were used to color the images of large animals such as bison, elephant, rhinoceros and tiger. Green was commonly used to color the images of dancers under human figures. Red color was used to color the portrait of the hunter.
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भीमबेटका शैल चित्रकलाएँ | Bhimbetka Rock Paintings
मध्यपाषाण काल की चित्रकला (Painting of Mesolithic Period)
मध्यपाषाण काल की अवधि 10,000 से 4,000 ईसा पूर्व है। इस अवधि के चित्रों में मुख्य रूप से लाल रंग का प्रयोग किया जाता था। उच्च पुरापाषाण काल की तुलना में इस अवधि के चित्र आकार में छोटे होते थे। इन चित्रों के सामान्य दृश्यों में से एक समूह में शिकार करने का है। इसके अतिरिक्त चित्रों के अन्य प्रमुख विषय चराई गतिविधियाँ एवं सवारी दृश्य हैं।
Mesolithic period is from 10,000 to 4,000 BC. The color red was mainly used in the paintings of this period. The paintings of this period were smaller in size as compared to the Upper Paleolithic period. One of the common scenes in these pictures is of hunting in a group. In addition, other major subjects of the paintings are grazing activities and riding scenes.
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भारतीय चित्रकलाएँ– परिचय, सिद्धांत, शैलियाँ | Indian Paintings– Introduction, Principles, Styles
ताम्रपाषाण काल की चित्रकला (Chalcolithic Painting)
इस काल में हरे और पीले रंगों का प्रयोग कर बनाये जाने वाले चित्रों की संख्या बढ़ती गयी। इस युग के अधिकांश चित्र युद्ध दृश्यों के चित्रण पर केन्द्रित हैं। इन चित्रों में कई लोग घोड़े और हाथी पर भी बैठे हुये हैं। कुछ लोगों के हाथों में धनुष-बाण हैं। ये सभी दृश्य संभवतः मुठभेड़ की तैयारी के संकेत हैं। ताम्रपाषाण काल के गुफास्थल उत्तर ऐतिहासिक काल में भी आबाद थे। क्योंकि इन गुफा स्थलों से सम्राट अशोक के काल एवं गुप्त काल के ब्राह्मी लिपि के लेख एवं चित्र प्राप्त हुए हैं।
The number of paintings made using green and yellow colors increased during this period. Most of the paintings of this era focused on the depiction of battle scenes. In these pictures, many people are also sitting on horses and elephants. Some people have bows and arrows in their hands. All these scenes are probably signs of preparation for the encounter. The Chalcolithic cave sites were also inhabited in the later historical period. Because inscriptions and pictures of Brahmi script of Emperor Ashoka and Gupta period have been received from these cave sites.
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स्वातंत्र्योत्तर वास्तुकला― लॉरी बेकर और चार्ल्स कोरिया | Post-Independence Architecture― Laurie Baker And Charles Correa
इस काल के चित्रों का दूसरा समूह मध्यप्रदेश के नरसिंहगढ़ से प्राप्त हुआ है। यहाँ से सूखने के लिए रखी गई चित्तीदार हिरण की खाल को दिखाने वाले चित्र प्राप्त हुए हैं। यह इस सिद्धांत पर कार्य करता है, कि चमड़ा बनाने की कला वस्त्र आश्रय एवं कपड़ा बनाने के लिए मनुष्य द्वारा ईजाद करवायी गयी। इन चित्रों के अलावा अन्य प्रमुख चित्र वीणा जैसे संगीत वाद्य यंत्रों के हैं। अन्य महत्वपूर्ण चित्र सर्पिल, विषम कोण एवं चक्र के जटिल ज्यामितीय आकार वाले चित्र हैं।
The second group of paintings of this period has been received from Narsinghgarh in Madhya Pradesh. Pictures showing the skin of a spotted deer kept for drying have been obtained from here. It works on the principle that the art of making leather was invented by man to make cloth shelter and cloth. Apart from these paintings, other prominent paintings are of musical instruments like the Veena. Other important drawings are spirals, oblique angles and circles with complex geometric shapes.
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वास्तुकला की राजपूत शैली व शिख शैली तथा अवध वास्तुकला | Rajput Style And Sikh Style Of Architecture And Awadh Architecture
उत्तर ऐतिहासिक काल के कुछ महत्वपूर्ण चित्र छत्तीसगढ़ के सरगुज़ा जिले के रामगढ़ पहाड़ी क्षेत्र में स्थित जोगीमारा की गुफाओं से प्राप्त हुये हैं। इन चित्रों का चित्रण लगभग 1000 ईसा पूर्व के दौरान किया गया था। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में विभिन्न प्रकार की गुफाएँ स्थित हैं। इनमें से प्रमुख गुफाएँ उदकुदा, गरागोदी, खेरखेडा, गोटीटोला, कुलगाँव आदि की गुफाएँ है। इन गुफाओं से मानव मूर्तियों, पशुओं, हथेली की छाप, बैलगाड़ी आदि के चित्र प्राप्त हुए हैं।
Some important paintings of the post-historic period have been found from the caves of Jogimara located in the Ramgarh hill area of Surguja district of Chhattisgarh. These paintings were painted around 1000 BC. Various types of caves are located in Kanker district of Chhattisgarh. The main caves are Udkuda, Garagodi, Kherkheda, Gotitola, Kulgaon, etc. Human sculptures, animals, palm prints, bullock carts etc. have been found in these caves.
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मुगल वास्तुकला― जहाँगीर, शाहजहाँ (ताजमहल), औरंगजेब | Mughal Architecture― Jahangir, Shah Jahan (Taj Mahal), Aurangzeb
इसी प्रकार के चित्र हमें छत्तीसगढ़ के कोरिया ज़िले में स्थित घोडसर और कोहाबउर जैसे शैल स्थलों से प्राप्त हुये हैं। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण आकर्षक स्थल दुर्ग जिले का चितवा डोंगरी है। यहाँ से गधे की सवारी करती हुई चीनी आकृति, ड्रैगन तथा कृषि कार्यों से सम्बद्ध चित्र प्राप्त हुये हैं। कई आकर्षक शैल चित्र बस्तर जिले में स्थित लिमदरिहा और सरगुजा ज़िले में स्थित ऊगदी व सीतालेखनी से भी प्राप्त हुये हैं। ओडिशा में अवस्थित गुडाहाण्डी रॉक सेल्टर और योगीमाथा रॉक सेल्टर भी प्रारंभिक शैल चित्रकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
Similar images have been received from rock sites like Ghodsar and Kohabur located in Koriya district of Chhattisgarh. Apart from this, another important attractive place is Chitwa Dongri of Durg district. Chinese figure riding a donkey, dragon and pictures related to agricultural work have been received from here. Many attractive rock paintings have also been received from Limdariha located in Bastar district and Ugadi and Sitalekhni located in Surguja district. The Gudahandi Rock Selter and Yogimatha Rock Selter located in Odisha are also excellent examples of early rock painting.
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हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मृद्भाण्ड एवं आभूषण | Pottery And Jewelery From Harappan Civilization
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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