भित्ति चित्रकला एवं लघु चित्रकला | Mural Painting & Miniature Painting
भारतीय चित्रकला का वर्गीकरण (Classification of Indian Paintings)
भारतीय चित्रकला को मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है–
1. भित्ति चित्रकला
2. लघु चित्रकला
Indian painting can be mainly classified into two parts–
1. Mural painting
2. Miniature painting
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भित्ति चित्रकला (Mural painting)
ठोस संरचना की दीवारों पर की गई चित्रकारी भित्ति चित्रकला के रूप में संदर्भित की जाती है। भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही भित्ति चित्र अस्तित्व में रहे हैंं। इन चित्रों की तिथि लगभग 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 10वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य आँकी गई है। इस प्रकार की चित्रकारी के साक्ष्य भारत के कई स्थानों में देखे जा सकते हैं। भारतवर्ष में भित्ति चित्रों की सुंदरता और उत्कृष्टता को अजंता की गुफाओं, अर्मामलई की गुफाओं, रावण छाया गुफा आश्रय, बाघ की गुफाओं, एलोरा में सित्तानवासल और कैलाश मंदिरों जैसे पुरातात्विक स्थलों में देखा जा सकता है। अधिकांश चित्रकलाएँ या तो प्राकृतिक गुफाओं में है या चट्टानों को काटकर बनाए गए कक्षों में हैं। इन भित्ति चित्रकलाओं के आम विषय हिंदु, बौद्ध एवं जैन धर्म हैं। इसके अलावा लौकिक भवन के अलंकरण के लिए भी भित्ति चित्रकलाओं का प्रयोग किया जाता था। इस प्रकार की रचना का एक उदाहरण जोगीमारा गुफा के एक प्राचीन रंगमंच के कक्ष में देखा जा सकता है।
Painting done on the walls of a concrete structure is referred to as mural painting. In India, murals have been in existence since ancient times.The date of these paintings is estimated between 10th century BC to 10th century AD. Evidence of this type of painting can be seen in many places of India. The beauty and excellence of murals in India can be seen in the archaeological sites like Ajanta Caves, Armamalai Caves, Ravana Chhaya Cave Shelter, Tiger Caves, Sittanavasal at Ellora and Kailash Temples. Most of the paintings are either in natural caves or in rock-cut chambers. The common themes of these mural paintings are Hinduism, Buddhism and Jainism. Apart from this, mural paintings were also used for the decoration of the temporal building. An example of this type of composition can be seen in the chamber of an ancient theater in Jogimara Cave.
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लघु चित्रकला (Miniature painting)
Miniature अर्थात् 'लघु' शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'मिनियम' से लिया गया है। मिनियम का शाब्दिक अर्थ 'लाल रंग का शीशा' होता है। इस लाल रंग का प्रयोग पुनर्जागरण काल के दौरान प्रदीप्त पांडुलिपियों में किया जाता था। मिनियम शब्द के अर्थ में कुछ असंगति पैदा होती है। इस शब्द का अर्थ 'आकार में छोटा' भी होता है। भारतीय चित्रकला के लघुचित्र आकार में छोटे तथा विस्तृत विवरण देने वाले होते हैं। भारतवर्ष में लघचित्रों की लंबी परंपरा रही है। इसके साथ ही देश में लघुचित्रों की विभिन्न शैलियों का विकास हुआ है। इन शैलियों में संरचना और अनुपात की दृष्टि से काफी अंतर है।
The word 'miniature' is derived from the Latin word 'minium'. The literal meaning of Miniam is 'red colored glass'. This red color was used in illuminated manuscripts during the Renaissance period. Some inconsistency arises in the meaning of the word miniam. The word also means 'small in size'. The miniatures of Indian painting are small in size and give detailed descriptions. There is a long tradition of miniature paintings in India. Along with this, different styles of miniature paintings have developed in the country. These styles differ greatly in terms of composition and proportion.
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लघु चित्रकला की तकनीक (Miniature Painting Techniques)
लघु चित्र बनाने की कई पूर्व शर्ते हैं, जिन्हें लघुचित्र बनाने के लिए पूरा करना अनिवार्य होता है। ये शर्तें इस प्रकार हैं–
लघुचित्र का आकार 25 वर्ग इंच से अधिक नहीं होना चाहिए। चित्र का विषय वास्तविक आकार के 1/6 से अधिक स्थान पर चित्रित नहीं किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए 9 इंच के वयस्क सिर को 1.5 इंच से अधिक स्थान पर चित्रित नहीं किया जाना चाहिए। इन शर्तों को पूरा करने पर ही लघुचित्रों का चित्रण किया जा सकता है। अधिकतर भारतीय लघुचित्रों में मानव आकृतियों को एक पृष्ठीय रूपरेखा के साथ चित्रित किया गया है। सामान्यतः मानव आकृतिओं की आँखें बाहर की ओर उभरी हुई हैं तथा उनकी नाक नुकीली व कमर पतली है। राजिस्थानी लघु चित्रों में पात्रों का रंग भूरा है, जबकि मुगल लघुचित्रों में पात्रों का रंग उजला है। भगवान कृष्ण के समान दिव्य प्राणियों को नीले रंग से चित्रित किया गया है। महिला मानव आकृतियों के बाल बहुत लंबे हैं तथा उनकी आँखों और बालों का रंग सामान्यतः काला है। पुरुष मानव आकृतियों को पारंपरिक पोषाक के साथ चित्रित किया गया है और उन्हें पगड़ी पहने हुए दिखाया गया है।
There are several pre-conditions for making miniatures, which must be fulfilled in order to make miniatures. These conditions are as follows–
The size of the miniature should not exceed 25 square inches. The subject of the picture should not be depicted in more than 1/6 of the actual size. For example an adult head of 9 inches should be painted no more than 1.5 inches in space. Miniature paintings can be painted only if these conditions are met. Most of the Indian miniatures depict human figures with a dorsal outline. Human figures generally have their eyes bulging outwards and their noses pointed and waists thin. The color of the characters in the Rajasthani miniatures is brown, whereas the color of the characters in the Mughal miniatures is light. Divine beings like Lord Krishna are depicted with blue colour. Female human figures have very long hair and their eyes and hair are generally black in color. Male human figures are depicted in traditional attire and shown wearing a turban.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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