An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



छायावाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि

छायावाद की परिभाषाएँ

आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में द्विवेदी युग के बाद हिंदी की जिस काव्य धारा ने हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाया, उसे 'छायावाद' कहते हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से स्वच्छंद प्रेम भावना, प्रकृति में मानवीय क्रियाकलापों व भाव-व्यापारों के आरोपण तथा कला की दृष्टि से लाक्षणिकता प्रधान नवीन अभिव्यंजना-पद्धति आदि छायावादी काव्य की मूल विशेषताएँ हैं। अनेक विद्वानों ने छायावाद को परिभाषित किया है। प्रमुख विद्वान एवं उनके द्वारा दी गई छायावाद की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं–
1. डॉ. नगेंद्र ने छायावाद को परिभाषित करते हुए कहा है, कि "स्थूल के प्रति सूक्ष्म के विद्रोह" को छायावाद कहा जा सकता है।
2. प्रकृति पर चेतना के आरोप को भी छायावाद कहा गया है।
3. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने भी छायावाद को परिभाषित करते हुए कहा है, कि "प्रस्तुत के स्थान पर उसकी व्यंजना करने वाली छाया के रूप में अप्रस्तुत कथन को छायावाद कहा जा सकता है।"
4. जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रवर्तक हैं। उन्होंने छायावाद को परिभाषित करते हुए लिखा है, "छायावादी कविता वाणी का वह लावण्य है, जो स्वयं में मोती के पानी जैसी छाया, तरलता और युवती के लज्जा भूषण जैसी श्री से संयुक्त होता है। यह तरल छाया और लज्जा श्री ही छायावादी कवि की वाणी का सौंदर्य है।"
जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा छायावाद के आधार स्तंभ कहे जाते हैं।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
मैथिलीशरण गुप्त– कवि परिचय

छायावाद की प्रमुख विशेषताएँ

छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
1. श्रृंगार रस का प्रयोग– छायावादी युग की कविताओं में श्रृंगार रस का प्रयोग किया गया है। इस युग का काव्य मुख्य रूप से श्रृंगारी है। यह श्रृंगार अतीन्द्रिय सूक्ष्म श्रृंगार है। छायावाद का यह श्रृंगार कौतूहल और विस्मय का विषय है। यह कोई उपभोग की वस्तु नहीं है। इसकी अभिव्यंजना में कल्पना एवं सूक्ष्मता है।
2. व्यक्तिवाद की प्रधानता– छायावादी कवियों ने अपनी कविताओं में व्यक्तिगत भावनाओं को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने कविताओं के माध्यम से अपने सुख-दुख और हर्ष-शोक वाणी प्रदान करते हुए प्रस्तुत किया है।
3. प्रकृति का अनूठा चित्रण– छायावादी कवियों ने प्रकृति के विभिन्न रूपों का अपनी रचनाओं में चित्रण किया है। प्रकृति पर मानव व्यक्तित्व का आरोप छायावादी काव्य की अनूठी विशेषता है। छायावादी काव्य में प्रकृति को नारी के रूप में देखकर उसके सूक्ष्म सौंदर्य का वर्णन किया गया है।
4. सूक्ष्म आंतरिक सौंदर्य का चित्रण– छायावादी काव्य में सूक्ष्म आंतरिक सौंदर्य का चित्रण किया गया है। बाह्य सौंदर्य की तुलना में आंतरिक सौंदर्य को अधिक महत्व प्रदान किया गया है। सौंदर्य के उपासक कवियों ने नारी के सौंदर्य के अलग-अलग रंगों का आवरण प्रस्तुत किया है।
5. काव्य में वेदना और करुणा की अधिकता– छायावादी काव्य में वेदना और करुणा की अधिकता पाई जाती है। छायावादी युग के समाज के करुणामयी होने के प्रमुख कारण हृदयगत भावों की अभिव्यक्ति की अपूर्णता, अभिलाषाओं की विफलता, प्रेयसी की निष्ठुरता, सौंदर्य की नश्वरता, मानवीय दुर्बलताओं के प्रति संवेदनशीलता, प्रकृति की रहस्यमयता आदि हैं।
6. अज्ञात सत्ता के प्रति प्रेमभाव– अज्ञात सत्ता के प्रति छायावाद के कवियों में हृदयगत प्रेम की अभिव्यक्ति पाई जाती है। इस अज्ञात सत्ता को कवि प्रेयसी और चेतन प्रकृति के रूप में देखता है। यह ज्ञात सत्ता ब्रह्म से अलग है।
7. नारी के प्रति नवीन भावना– छायावादी काव्य में श्रृंगार और सौंदर्य से तात्पर्य नारी से है। नारी केवल प्रेम की पूर्ति का साधन मात्र नहीं है। यह भाव जगत की सुकुमार देवी है। रीतिकालीन नारी के विपरीत छायावादी नारी अधिक सजग थी। उसे सम्मानजनक स्थान प्रदान किया गया था।
8. जीवन-दर्शन– छायावाद में जीवन के प्रति भावात्मक दृष्टिकोण को अपनाया गया है। काव्य का मूल दर्शन सर्वात्मवाद है। संपूर्ण जगत मानव चेतना से स्पंदित दिखाई देता है।
9. अभिव्यंजना शैली का प्रयोग– छायावादी कवियों ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने हेतु प्रतीकात्मक और लाक्षणिक शैली का प्रयोग किया है। कवियों ने भाषा में अमिधा के स्थान पर लक्षणा तथा व्यंजना का उपयोग किया है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
हिन्दी का इतिहास– द्विवेदी युग (विशेषताएँ एवं कवि)

छायावादी कवि एवं उनकी रचनाएँ

छायावाद के प्रमुख कवि एवं उनकी महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. जयशंकर प्रसाद– कामायनी (महाकाव्य), आँसू, लहर, झरना।
2. सुमित्रानंदन पंत– पल्लव, गुंजन, ग्रंथि, वीणा, उच्छवास।
3. महादेवी वर्मा– नीरजा, रश्मि, निहार, सांध्यगीत।
4. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'– परिमल, गीतिका, तुलसीदास, अनामिका।
5. रामकुमार वर्मा– चित्र-रेखा, निशीथ, आकाशगंगा।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
हिंदी का इतिहास– भारतेन्दु युग (विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि)

उत्तर छायावाद

उत्तर छायावाद में श्रृंगार रस और प्रेम भाव की एक अलग काव्यधारा चली थी। इस युग में एक सीमित क्षेत्र में बहुत-सी अनुभूतियाँ व्यक्त की गई हैं। इस तरह की प्रवृत्ति अधिक नहीं चल पायी थी। उत्तर छायावाद के कवियों ने काव्य में श्रृंगार, प्रेम और प्रकृति का चित्रण किया गया है। इन काव्यों में छायावाद के विकास के लक्षण दिखाई देते हैं। छायावादी काव्यधारा की त्रयी प्रसाद, पंत और निराला के रूप में जानी जाती है। साथ ही उत्तर छायावाद की काव्यधारा की त्रयी बच्चन, सुमन और अंचल के रूप में जानी जाती है। छायावाद के प्रमुख कवि निम्नलिखित हैं–
1. हरिवंशराय बच्चन
2. गोपाल सिंह नेपाली
3. रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
4. हरिकृष्ण प्रेमी।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
भज मन चरण कँवल अविनासी– मीराबाई

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

कुँआ, बोरवेल या बावड़ी का पानी ठंडी में गरम एवं गर्मी में ठंडा क्यों लगता है? | Why does the water of a well, borewell or stepwell feel hot in winter and cold in summer?

इस लेख में कुँआ, बोरवेल या बावड़ी का पानी ठंडी में गरम एवं गर्मी में ठंडा क्यों लगता है? (Why does the water of a well, borewell or stepwell feel hot in winter and cold in summer?) की जानकारी दी गई है।

Read more

मॉडल आंसर शीट विषय- गणित कक्षा 4थी (प्रश्न सहित उत्तर) अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन 2023-24 Set-A | Model Answer Sheet

इस भाग में मॉडल आंसर शीट विषय- गणित कक्षा 4थी (प्रश्न सहित उत्तर) अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन 2023-24 (हिन्दी माध्यम) की दी गई है।

Read more

Follow us

subscribe