An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



प्रयोगवाद– विशेषताएँ एवं महत्वपूर्ण कवि

  • BY:
     RF competition
  • Posted on:
    November 28, 2021

प्रयोगवाद का परिचय

हिंदी के ऐतिहासिक युग प्रयोगवाद का आरंभ सन् 1943 ईस्वी से हुआ। सन् 1943 में ही अज्ञेय के संपादन में प्रथम तार सप्तक को प्रकाशित किया गया था। इसकी भूमिका में अज्ञेय जी ने लिखा है– "ये कवि नवीन राहों के अन्वेषी हैं।" स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद अज्ञेय के संपादन में 'प्रतीक' नामक मासिक पत्रिका को प्रकाशित किया गया। इसमें प्रयोगवादी काव्य के स्वरूप को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसके बाद प्रयोगवादी काव्य का विकास होने लगा। सन् 1951 में दूसरा तार सप्तक प्रकाशित किया गया। आगे चलकर तीसरे सप्तक को भी प्रकाशित किया गया। जीवन और जगत के प्रति आस्था के भाव प्रयोगवाद के महत्वपूर्ण तत्व हैं। प्रयोगवादी काव्य में साम्यवाद के प्रति अनास्था व्यक्त की गई है। प्रयोगवादी कवि कला को केवल कला के लिए और अपने अहं की अभिव्यक्ति के लिए मानते हैं। अहं का विसर्जन और साहित्य का सामाजीकरण प्रयोगवादी काव्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं। प्रयोगवादी कवियों की अनुभूति का केंद्र उनका अहं है। इनके काव्य में 'मैं' शब्द का अधिकाधिक प्रयोग किया गया है। जीवन के प्रति विभिन्न कुंठाओं ने प्रयोगवादी कवियों को शंकाकुल और भयाकुल बना दिया है। प्रयोगवादी कवि कविताओं के माध्यम से बहुत कुछ कहना चाहते हैं, परंतु कुछ कह नहीं पाते। जीवन की निराशाओं से दबकर कवि या तो कल्पना लोक की बातें करते हैं अथवा वास्तविकता से दूर रहना चाहते हैं। उनमें पलायन की प्रवृत्ति स्पष्ट दिखाई देती है। प्रयोगवादी कवियों ने नवीन उपमानों, छंद विधानों, नवीन शब्दों आदि का प्रयोग किया है। साथ ही उन्होंने शब्दों में नए अर्थ भरने के प्रयास भी किए हैं।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
प्रगतिवाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि

प्रयोगवादी काव्य की विशेषताएँ

प्रयोगवादी काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
1. नए उपमानों का उपयोग– प्रयोगवादी कवियों ने अपनी कविताओं में पुराने और प्रचलित उपमानों का प्रयोग न करके, उनके स्थान पर नवीन उपमानों का प्रयोग किया है। इन कवियों का मानना है, कि काव्य के पुराने उपमान अब बासी हो गए हैं।
2. प्रेम भावनाओं का अंकन– कवियों ने अपने काव्य में प्रेम भावनाओं का खुला चित्रण किया है। इससे काव्य में अश्लीलता का समावेश हो गया है।
3. बुद्धित्व की प्रतिष्ठा– प्रयोगवादी कवियों ने बुद्धिवाद को विशेष महत्व प्रदान किया है। इस वजह से उनके काव्य में कहीं-कहीं दुरूहता आ गई है।
4. निराशावाद की प्रधानता– कवियों ने अपनी प्रयोगवादी रचनाओं में मानव मन की निराशा, कुंठा और हताशा को अभिव्यक्त किया है।
5. लघुमानववाद की प्रधानता– प्रयोगवादी कविताओं में मानव से जुड़ी प्रत्येक वस्तु को महत्व दिया गया है। साथ ही उन्हें को कविताओं का विषय बनाया गया है।
6. अहं की प्रधानता– प्रयोगवादी कवि फ्रायड के मनोविश्लेषण से प्रभावित थे। वे अपने अहं को अधिक महत्वपूर्ण मानते थे।
7. अंधविश्वासों एवं रूढ़ियों का विरोध– इस काल के काव्यों में रूढ़ियों के प्रति विद्रोह व्यक्त किया गया है। प्रयोगवादी कवियों ने रूढ़ि मुक्त नवीन समाज की स्थापना पर बल दिया है।
8. मुक्त छंदों की प्रधानता– प्रयोगवादी कवियों ने अपनी कविताओं में मुक्त छंदों का प्रयोग किया है।
9. व्यंग्य प्रधान कविताएँ– प्रयोगवादी युग के कवियों ने व्यक्ति और समाज दोनों पर अनेक व्यंग्य कँसे हैं।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
रहस्यवाद (विशेषताएँ) तथा छायावाद व रहस्यवाद में अंतर

प्रयोगवादी कवि एवं उनकी रचनाएँ

प्रयोगवादी युग के प्रमुख कवि एवं उनकी महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय– हरी घास पर क्षण भर, इंद्रधनुष ये रौंदे हुए, इत्यलम
2. गजानन माधव मुक्तिबोध– चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक धूल
3. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना– एक सूनी नाव, बाँस के पुल, काठ की घंटियाँ
4. धरमवीर भारती– ठंडा लोहा, अंधायुग, कनुप्रिया
5. गिरिजा कुमार माथुर– धूप के धान, नाश और निर्माण, शिला पंख चमकीले
6. नरेश मेहता– बन पाँखी, संशय की एक रात
7. भारत भूषण अग्रवाल– ओ अप्रस्तुत मन।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
छायावाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com



आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
pragyaab.com

  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

मजदूर दिवस - इतिहास, महत्व और श्रमिक कल्याण की दिशा में पहल | श्रमिकों के संघर्ष, अधिकार और सम्मान का वैश्विक प्रतीक दिवस

1 मई को मनाया जाने वाला मजदूर दिवस श्रमिकों की मेहनत, बलिदान और अधिकारों के लिए समर्पित एक जागरूकता और प्रेरणा का प्रतीक दिवस है।

Read more

कुँआ, बोरवेल या बावड़ी का पानी ठंडी में गरम एवं गर्मी में ठंडा क्यों लगता है? | Why does the water of a well, borewell or stepwell feel hot in winter and cold in summer?

इस लेख में कुँआ, बोरवेल या बावड़ी का पानी ठंडी में गरम एवं गर्मी में ठंडा क्यों लगता है? (Why does the water of a well, borewell or stepwell feel hot in winter and cold in summer?) की जानकारी दी गई है।

Read more

मॉडल आंसर शीट विषय- गणित कक्षा 4थी (प्रश्न सहित उत्तर) अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन 2023-24 Set-A | Model Answer Sheet

इस भाग में मॉडल आंसर शीट विषय- गणित कक्षा 4थी (प्रश्न सहित उत्तर) अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन 2023-24 (हिन्दी माध्यम) की दी गई है।

Read more

Follow us

subscribe

Note― अपनी ईमेल id टाइप कर ही सब्सक्राइब करें। बिना ईमेल id टाइप किये सब्सक्राइब नहीं होगा।