अशोक का धम्म (धर्म) क्या था? | What Was Ashoka's Dhamma (Religion)?
अपने शासनकाल के आठवें वर्ष में मौर्य साम्राज्य के शासक सम्राट अशोक ने कलिंग के शासकों से युद्ध लड़ा। इस युद्ध में अशोक की विजय हुई, किंतु इस युद्ध के कारण भीषण नरसंहार हुआ। बहुत-सी महिलाएँ विधवा हो गईं और बच्चे अनाथ हो गए। जान-माल और संपत्ति की बहुत हानि हुई। इस भयावह घटना से सम्राट अशोक को बहुत दुःख हुए। इस कारण उन्होंने युद्ध का त्याग करने का प्रण लिया। उन्होंने शांति का मार्ग अपनाया। युद्ध त्यागकर शांति का मार्ग अपनाने की वजह से अशोक को भारतीय इतिहास का अनोखा सम्राट माना जाता है।
In the eighth year of his reign, Emperor Ashoka, the ruler of the Maurya Empire, fought a war with the rulers of Kalinga. Ashoka was victorious in this war, but due to this war there was a horrific massacre. Many women became widows and children became orphans. There was great loss of life and property. Emperor Ashoka was deeply saddened by this horrific incident. Because of this he took a vow to give up the war. He took the path of peace. Ashoka is considered to be the unique emperor of Indian history because of giving up war and adopting the path of peace.
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अशोक का धम्म (धर्म) [Ashoka's Dhamma (Religion)]
अशोक अपने राज्य में शांति चाहते थे। इस कारण वे ऐसे धर्म को अपनाना चाहते थे, जिसमें सभी प्राणियों के प्रति सद्भाव हो। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया। वे बौद्ध धर्म के उपदेशों और मान्यताओं से बहुत प्रभावित थे। आगे चलकर अशोक की आंतरिक और विदेश नीति भी बौद्ध धर्म से प्रेरित हुई। सम्राट अशोक ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच धर्म का प्रचार करवाया। इसके लिए उन्होंने 'धम्म महामात्रों' को नियुक्त किया। इसके अलावा साम्राज्य के सुदूर हिस्सों में धम्म के प्रचार के लिए अन्य अधिकारियों की नियुक्ति की गई।
Ashoka wanted peace in his kingdom. For this reason, he wanted to adopt such a religion, in which there is harmony towards all beings. He adopted Buddhism. He was greatly influenced by the teachings and beliefs of Buddhism. Later on, Ashoka's internal and foreign policy was also inspired by Buddhism. Emperor Ashoka got the religion propagated among different sections of the society. For this he appointed 'Dhamma Mahamatras'. Apart from this, other officials were appointed to propagate the Dhamma in the remote parts of the empire.
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धम्म घोष की नीति (Policy Of Dhamma Ghosh)
बुद्ध के उपदेशों से प्रेरित मौर्य सम्राट अशोक ने भेरीघोष के स्थान पर धम्म घोष की नीति अपनायी। इस नीति का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म का प्रचार करना था। यह नीति सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और नैतिक उद्देश्यों से प्रेरित थी। इस नीति को अशोक ने राजनीतिक अभ्युदय के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। इस नीति के अंतर्गत साम्राज्य के सुदूर भागों (मध्य एशिया, श्रीलंका आदि) में धर्म प्रचार हेतु विद्वानों एवं प्रचारकों को भेजा गया। धम्म घोष की यह नीति सांस्कृतिक विजय की नीति थी। प्रबुद्ध शासक के रूप में अशोक ने प्रचार द्वारा राजनीतिक प्रभाव के क्षेत्र में वृद्धि की।
Inspired by the teachings of Buddha, Mauryan emperor Ashoka adopted the policy of Dhamma Ghosh in place of Bherighosh. The main objective of this policy was to propagate Buddhism. This policy was driven by social, cultural, religious and moral objectives. Ashoka presented this policy as an example of political emergence. Under this policy, scholars and preachers were sent to the remote parts of the empire (Central Asia, Sri Lanka etc.) to propagate religion. This policy of Dhamma Ghosh was a policy of cultural conquest. As an enlightened ruler, Ashoka increased his sphere of political influence through propaganda.
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धम्म के उपदेश (Teachings Of Dhamma)
अपने साम्राज्य को सुदृढ़ बनाने के लिए अशोक ने धर्म का सहारा लिया। अशोक महात्मा बुद्ध के उपदेशों से प्रेरित थे। उन्होंने बुद्ध के विचारों को समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचाने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी प्रजा को नैतिक नियमों को अपनाने की सलाह दी और दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित किया। धर्म के उपदेशों से प्रेरित होकर कई समुदायों ने जीव हिंसा को त्याग दिया और कृषक बनकर अपना जीवन यापन करने लगे। अशोक ने धर्म का सहारा लेकर लोगों को "जियो और जीने दो" की शिक्षा दी। साथ ही उन्होंने अपनी प्रजा को जीवों के प्रति दया और भाई-बंधुओं के प्रति सद्व्यवहार का पाठ पढ़ाया। अशोक ने सहिष्णुता के आधार पर तत्कालीन समाज व्यवस्था को बनाए रखने का प्रयत्न किया।
Ashoka resorted to religion to strengthen his empire. Ashoka was inspired by the teachings of Mahatma Buddha. He tried to take the thoughts of Buddha to different sections of the society. He advised his subjects to adopt ethical rules and motivated them to help others. Inspired by the teachings of religion, many communities gave up violence and started living their lives as farmers. Ashoka taught the people of "live and let live" by taking the help of religion. Along with this, he taught his subjects the lesson of kindness towards living beings and good behavior towards brothers and brothers. Ashoka tried to maintain the then social order on the basis of tolerance.
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धम्म की विशेषताएँ (Features Of Dhamma)
अशोक का धर्म संकुचित नहीं था। धर्म का प्रमुख उद्देश्य समाज को सुव्यवस्थित बनाए रखना था। धर्म के अंतर्गत अनेक उपदेश दिए जाते थे। पिता की आज्ञा मानना, ब्राह्मणों और बौद्ध भिक्षुओं का आदर करना, दासों व सेवकों के प्रति दया भाव आदि धर्म के अंतर्गत दिये जाने वाले प्रमुख उपदेश थे। ये उपदेश ब्राह्मण और बौद्ध दोनों ही धर्मों में दिये जाते हैं।
Ashoka's religion was not narrow. The main objective of religion was to maintain order in the society. Many sermons were given under religion. Obedience to the father, respect for Brahmins and Buddhist monks, compassion for slaves and servants etc. were the main teachings given under religion. These teachings are given in both Brahmanical and Buddhist religions.
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धम्म के प्रभाव (Effects Of Dhamma)
सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य में राजनीतिक एकता स्थापित की। उन्होंने संपूर्ण राज्य को एक धर्म, एक भाषा और एक लिपि के सूत्र में बाँधने का प्रयास किया। उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए विभिन्न अभिलेख निर्मित करवाए। इन अभिलेखों को ब्राह्मी लिपि में लिखा जाता था। इसके अलावा खरोष्ठी, यूनानी और अरामेइक लिपियों में भी अभिलेख लिखे जाते थे। धर्म प्रचार के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के कार्यों से साम्राज्य के प्रशासन को लाभ प्राप्त हुआ। साथ ही विदेशों से संपर्क स्थापित हुए। गंगा के मैदान और पिछड़े दूरदर्शी प्रदेशों का विकास हुआ। नैतिक संस्कृति का पालन करना, साम्राज्य के मध्यवर्ती इलाकों की मुख्य विशेषता थी। यहाँ पर बौद्ध धर्म को बहुत अधिक महत्व प्राप्त हुआ। साथ ही बौद्ध धर्म निचले दक्कन, कलिंग और उत्तरी बंगाल में भी फैल गया।
Emperor Ashoka established political unity in his empire. He tried to bind the entire state in the thread of one religion, one language and one script. He got various inscriptions made for the propagation of Buddhism. These inscriptions were written in Brahmi script. Apart from this, inscriptions were also written in Kharoshthi, Greek and Aramaic scripts. The administration of the empire benefited from the actions of the officials appointed for the propagation of religion. Also contacts with foreign countries were established. The Gangetic plain and backward far-sighted regions developed. The observance of a moral culture was the main feature of the central regions of the empire. Buddhism gained a lot of importance here. Simultaneously Buddhism also spread to the lower Deccan, Kalinga and North Bengal.
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अशोक ने अपनी प्रजा पर बौद्ध धर्म को लादने की चेष्टा नहीं की। उन्होंने सहिष्णुता के साथ धर्म का प्रचार किया और अपने विचारों को समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचाया। धर्म के माध्यम से विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के मध्य समन्वय स्थापित होने से साम्राज्य का विकास हुआ। अतः स्पष्ट है कि अशोक ने धर्म को राजनीतिक अभ्युदय के एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया। कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक नितांत शांतिवादी बन गए। यह कथन पूरी तरह सत्य नहीं है। वैसे तो अशोक ने अपने साम्राज्य को सुदृढ़ बनाने के लिए व्यावहारिक नीति का अनुसरण किया, किंतु उन्होंने अपराधियों को दंड देने के लिए अधिकारियों को भी नियुक्त किया था। अशोक ने कलिंग विजय के बाद कलिंग को अपने पास रखा। इसके अलावा उन्होनें विशाल सेना को भी विघटित नहीं होने दिया।
Ashoka did not try to impose Buddhism on his subjects. He propagated religion with tolerance and took his ideas to different sections of the society. The empire developed due to the establishment of coordination between different religious sects through religion. So it is clear that Ashoka used religion as an instrument of political emergence. After the Kalinga war, Ashoka became a staunch pacifist. This statement is not completely true. Although Ashoka followed a practical policy to strengthen his empire, he also appointed officers to punish the criminals. Ashoka kept Kalinga with him after the Kalinga conquest. Apart from this, he also did not allow the huge army to disintegrate.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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