कोरिआलिस बल, जेट धाराएँ, चक्रवातीय विक्षोभ | Corialis Force, Jet Streams, Cyclonic Disturbances
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं–
1. अक्षांश
2. ऊँचाई
3. व्यापारिक पवनें और कोरिआलिस बल
4. वायुदाब एवं पवन तंत्र
5. ऊपरी वायु परिसंचरण और जेट धाराएँ
6. पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ और उष्ण कटिबंधीय चक्रवात।
The following are the major factors affecting the climate of India–
1. Latitude
2. Height
3. Trade winds and Corialis force
4. Air pressure and wind system
5. Upper air circulation and jet streams
6. Western Cyclonic Disturbance and Tropical Cyclone.
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अक्षांश (Latitude)
कर्क रेखा भारत के मध्य से होकर गुजरती है। यह पश्चिम में कच्छ के रन से लेकर पूर्व में मिजोरम से होकर गुजरती है। भारत का लगभग आधा हिस्सा कर्क रेखा के दक्षिण में स्थित है। यह क्षेत्र उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहलाता है। भारत का आधा भाग कर्क रेखा के उत्तर में स्थित है। इस क्षेत्र को उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहा जाता है। अतः स्पष्ट है कि भारत की जलवायु में उष्ण कटिबंधीय जलवायु और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु दोनों की विशेषताएँ उपस्थित हैं।
The Tropic of Cancer passes through the middle of India. It runs from the Rann of Kutch in the west to Mizoram in the east. Almost half of India lies to the south of the Tropic of Cancer. This region is called the tropical zone. Half of India lies to the north of the Tropic of Cancer. This region is called the sub-tropical zone. So it is clear that the climate of India has the characteristics of both tropical climate and sub-tropical climate.
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ऊँचाई (Height)
भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत स्थित है। इसकी ऊँचाई लगभग 6000 मीटर है। भारत का तटीय क्षेत्र भी बहुत विशाल है। इसकी अधिकतम ऊँचाई लगभग 30 मीटर है। चूँकि हिमालय पर्वत बहुत ऊँचा है, इसलिए वह मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को रोक देता है। फलस्वरूप ठंडी हवाएँ भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश नहीं कर पाती। इसलिए भारतीय उपमहाद्वीप में मध्य एशिया की तुलना में ठंड कम पड़ती है।
The Himalaya Mountains are situated in the north of India. Its height is about 6000 meters. The coastal area of India is also very vast. Its maximum height is about 30 meters. Since the Himalaya mountain is very high, it blocks the cold winds coming from Central Asia. As a result, cold air is not able to enter the Indian subcontinent. Therefore, the Indian subcontinent gets less cold than Central Asia.
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व्यापारिक पवनें (Trade Winds)
भारत उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनों वाले क्षेत्र में अवस्थित है। व्यापारिक पवनों की उत्पत्ति उत्तरी गोलार्द्ध की उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब वाली पट्टियों से होती है। ये पवनें दक्षिण की ओर बहती हैं, किंतु कोरिआलिस बल की वजह से दाहिनी ओर विक्षेपित हो जाती हैं। इसके बाद ये पवनें विषुवतीय निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर बढ़ती हैं। व्यापारिक पवनें स्थलीय भागों पर उत्पन्न होती हैं और बहती हैं, इसलिए इनमें नमी की मात्रा बहुत कम होती है। इन पवनों द्वारा वर्षा बहुत कम या नहीं होती है।
India is situated in the region of north-east trade winds. The trade winds originate from the subtropical high pressure belts of the northern hemisphere. These winds blow south, but are deflected to the right due to the Corialis force. After this, these winds move towards the equatorial low pressure area. Trade winds originate and blow over terrestrial parts, so they have very little moisture content. There is little or no rainfall from these winds.
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कोरिआलिस बल (Corialis Force)
पृथ्वी के घूर्णन की वजह से उत्पन्न आभासी बल को कोरिआलिस बल कहा जाता है। इस बल के कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर विक्षेपित हो जाती हैं। इसे 'फेरेल के नियम' के नाम से भी जाना जाता है।
The apparent force due to the rotation of the earth is called the Corialis force. Due to this force, the winds are deflected to the right in the Northern Hemisphere and to the left in the Southern Hemisphere. It is also known as 'Ferrell's law'.
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वायुदाब एवं पवन तंत्र (Air Pressure And Wind System)
भारत का वायु दाब एवं पवन तंत्र अद्वितीय है। शीत ऋतु में भारत के उत्तर में उच्च दाब होता है। इस क्षेत्र की ठंडी शुष्क हवाएँ दक्षिण में स्थित निम्न दाब वाले महासागरीय क्षेत्र के ऊपर बहती हैं। ग्रीष्म ऋतु में, आंतरिक एशिया और उत्तर-पूर्वी भारत के ऊपर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस वजह से गर्मी के दिनों में वायु की दिशा पूर्ण रूप से बदल जाती है। वायु दक्षिण में अवस्थित हिंद महासागर के उच्च दाब वाले क्षेत्र से दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होने लगती है। इसके बाद ये विषुवत वृत्त को पार कर दक्षिण की ओर मुड़ते हुए भारतीय उपमहाद्वीप पर अवस्थित निम्न दाब की ओर प्रवाहित होने लगती है। इन्हें दक्षिण-पश्चिम 'मानसून पवनें' कहा जाता है। ये पवनें महासागरों के ऊपर बहती हैं और नमी ग्रहण करती हैं। भारत की मुख्य भूमि पर वर्षा इन्हीं पवनों के कारण होती है।
India's air pressure and wind system is unique. In winter, high pressure occurs in the north of India. The cold dry winds of this region blow over the low pressure ocean area located in the south. In summer, an area of low pressure develops over interior Asia and north-east India. Because of this, the direction of the wind changes completely during the summer. The wind starts blowing in the southeast direction from the high pressure area of the Indian Ocean located in the south. After that it crosses the equator and turns towards the south and starts flowing towards the low pressure located on the Indian subcontinent. These are called south-west 'monsoon winds'. These winds blow over the oceans and absorb moisture. Rainfall on the mainland of India is due to these winds.
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ऊपरी वायु परिसंचरण (Upper Air Circulation)
भारत में, ऊपरी वायु परिसंचरण पर पश्चिमी प्रवाह का प्रभाव रहता है। इस प्रवाह का एक प्रमुख घटक जेट धारा है। जेट धाराएँ लगभग 27° से 30° उत्तर अक्षांशों के मध्य अवस्थित होती हैं। इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ के नाम से जाना जाता है। भारत में, जेट धाराएँ ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर पूरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में बहती हैं। जेट धाराओं के पश्चिमी प्रवाह के द्वारा देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ आते हैं। गर्मियों के दिनों में, सूर्य की आभासी गति के साथ ही उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धारा हिमालय के उत्तर में चली जाती हैं। एक पूर्वी जेट धारा गर्मी के महीनों में प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर लगभग 14° उत्तरी अक्षांश में बहती हैं। इसे उपोष्ण कटिबंधीय जेट धारा के नाम से भी जाना जाता है।
In India, the upper air circulation is influenced by the western flow. A major component of this flow is the jet stream. Jet streams are located between about 27° to 30° North latitudes. These are known as subtropical western jet streams. In India, jet streams flow south of the Himalayas throughout the year except in summer. Western cyclonic disturbances are brought in the north and north-west parts of the country by the western flow of jet streams. During the summer, with the apparent motion of the Sun, the subtropical westerly jet stream moves north of the Himalayas. An easterly jet stream flows over peninsular India during the summer months at about 14°N latitude. It is also known as subtropical jet stream.
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जेट धाराएँ (Jet Streams)
क्षोभमण्डल की अधिकतम ऊँचाई 12000 मीटर से अधिक हो सकती है। जेट धाराएँ एक संकरी पट्टी में स्थित क्षोभमण्डल में अत्यधिक ऊँचाई वाली पश्चिमी हवाएँ होती हैं। इनकी गति गर्मी में 110 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसके अलावा सर्दियों में इनकी गति 184 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। जेट धाराएँ अलग-अलग प्रकार की होती हैं। विभिन्न जेट धाराओं में सबसे स्थिर मध्य अक्षांशीय और उपोष्ण कटिबंधीय जेट धाराएँ हैं।
The maximum height of the troposphere can exceed 12000 m. Jet streams are high altitude westerly winds in the troposphere located in a narrow belt. Their speed is 110 kilometers per hour in summer. Apart from this, their speed in winter is 184 kilometers per hour. There are different types of jet streams. The most stable of the various jet streams are the mid-latitude and subtropical jet streams.
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पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ (Western Cyclonic Disturbance)
सर्दी के महीनों में उत्पन्न होने वाले पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्र से आने वाले पश्चिमी प्रवाह के कारण होते हैं। ये चक्रवात प्रायः भारत के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों को प्रभावित करते हैं। उष्ण कटिबंधीय चक्रवात मानसूनी महीनों के अलावा अक्टूबर और नवंबर के महीनों में भी आते हैं। ये पूर्वी प्रवाह के एक भाग होते हैं। ये देश के तटीय हिस्सों को प्रभावित करते हैं। देश के कई हिस्सों में इन चक्रवातों के कारण बहुत नुकसान होता है। उदाहरण के लिए प्रत्येक वर्ष आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय हिस्सों में चक्रवात के कारण जान-माल और संपत्ति की बहुत हानि होती है।
Western cyclonic disturbances arising in the winter months are due to the westerly flow from the Mediterranean region. These cyclones usually affect the north and north-western parts of India. Apart from the monsoon months, tropical cyclones also occur in the months of October and November. They are a part of the eastern flow. They affect the coastal parts of the country. These cyclones cause a lot of damage in many parts of the country. For example, every year in the coastal parts of Andhra Pradesh and Odisha, there is a lot of loss of life and property and property due to cyclones.
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भारत में अपवाह तंत्र– हिमालय की नदियाँ एवं प्रायद्वीपीय नदियाँ | Drainage System In India– Himalayan Rivers And Peninsular Rivers
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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