भारत पर मानसूनी पवनों का प्रभाव | Effect Of Monsoon Winds On India
भारतीय मानसून (Indian Monsoon)
भारत की जलवायु पर मानसूनी पवनों का बहुत अधिक प्रभाव रहता है। प्राचीन काल में विदेशों से भारत आने वाले नाविकों ने सर्वप्रथम मानसूनी हवाओं के प्रवाह पर ध्यान दिया था। पवन तंत्र की दिशा विपरीत हो जाने की वजह से उन्हें लाभ हुआ। चूँकि उनके जहाज पवन के प्रवाह की दिशा पर निर्भर थे, इसीलिए वे सही-सलामत भारत के तट पर पहुँच गए। जो अरबवासी भारत आये थे, उन्होंने भारत के इस पवन तंत्र के मौसमी उत्क्रमण को 'मानसून' कहा। भारत में मानसून का प्रभाव उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में लगभग 20° उत्तर और 20° दक्षिण के मध्य रहता है।
Monsoon winds have a great influence on the climate of India. In ancient times, sailors who came to India from abroad first noticed the flow of monsoon winds. They benefited because the direction of the wind system was reversed. Since their ships depended on the direction of the wind, they reached the coast of India safely. The Arabs who came to India called the seasonal reversal of this wind system of India 'monsoon'. The effect of monsoon in India is between 20° North and 20° South in tropical regions.
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भारतीय मानसून से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. कई बार भारत के स्थलीय हिस्सों पर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। साथ ही इस हिस्सों के आस-पास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बन जाता है। ऐसा होने का प्रमुख कारण स्थल और जल के गर्म व ठंडे होने की विभेदी प्रक्रिया है।
2. गर्मियों के दिनों में गंगा के मैदान के ऊपर अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र बन जाता है। इसे विषुववतीय गर्त कहा जाता है। यह प्रायः विषुवत् वृत्त के 5° उत्तर में स्थित होता है। इसे मानसून ऋतु में मानसून गर्त कहा जाता है।
3. हिंद महासागर में मेडागास्कर (अफ्रीका) के पूर्व में लगभग 20° दक्षिणी अक्षांश के ऊपर उच्च दाब वाला क्षेत्र होता है। इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति और तीव्रता बहुत अधिक होते हैं। ये भारतीय मानसून को प्रभावित करते हैं।
4. गर्मियों के दिनों में तिब्बत का पठार बहुत अधिक गर्म हो जाता है। इस कारण इस पठार के ऊपर समुद्र तल से लगभग 9 किलो मीटर की ऊँचाई पर तीव्र ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं और उच्च दाब का निर्माण होता है।
5. गर्मियों के दिनों में हिमालय पर उत्तर-पश्चिमी जेट धाराओं का प्रभाव रहता है। साथ ही भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव रहता है।
The following are important facts related to the Indian monsoon–
1. Sometimes a low pressure area arises over the terrestrial parts of India. At the same time, an area of high pressure is formed over the seas around this parts. The main reason for this happening is the differential process of heating and cooling of land and water.
2. In the summer, an inter-tropical convergence zone is formed over the Gangetic plain. This is called the equatorial trough. It is usually located 5° north of the equator. It is called monsoon trough in monsoon season.
3. In the Indian Ocean, east of Madagascar (Africa) there is a high pressure area above about 20° south latitude. The position and intensity of this high pressure area are very high. These influence the Indian monsoon.
4. The plateau of Tibet becomes very hot during summers. Due to this, strong vertical air currents and high pressure are formed over this plateau at a height of about 9 km above sea level.
5. The north-westerly jet streams influence the Himalayas during summer. In addition, the tropical easterly jet streams over the Indian peninsula remain.
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अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (Intertropical Convergence Zone)
विषुवतीय अक्षांशों पर विस्तृत गर्त और निम्न दाब का क्षेत्र अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र कहलाता है। इन क्षेत्रों पर उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें आपस में मिलती हैं। ये क्षेत्र विषुवत् वृत्त के लगभग समानांतर होते हैं। ये क्षेत्र सूर्य की आभासी गति के साथ-साथ उत्तर अथवा दक्षिण की ओर से खिसकते हैं।
The area of wide trough and low pressure at equatorial latitudes is called inter-tropical convergence zone. The north-east and south-east trade winds meet over these regions. These regions are almost parallel to the equator. These regions move north or south along with the apparent motion of the Sun.
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मानसून से संबंधित तथ्य (Facts About Monsoon)
दक्षिणी महासागरों के ऊपर दाब की अवस्थाओं में परिवर्तन के कारण मानसूनी पवनें प्रभावित होती हैं। कई बार दक्षिण प्रशांत महासागर के उष्ण कटिबंधीय पूर्वी भाग में उच्च दाब होता है। इस स्थिति में हिंद महासागर के उष्ण कटिबंधीय पूर्वी भाग में निम्न दाब होता है। कुछ विशेष वर्षों में वायुदाब की स्थिति विपरीत हो जाती है। इन परिस्थितियों में पूर्वी प्रशांत महासागर के ऊपर हिंद महासागर की तुलना में निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है। यह एक नियतकालीन परिवर्तन है। इस परिवर्तन को दक्षिणी दोलन कहा जाता है। उत्तरी ऑस्ट्रेलिया का डार्विन हिंद महासागर के 12°30' दक्षिण अथवा 131° पूर्व में स्थित है। ताहिती प्रशांत महासागर के 18° दक्षिण अथवा 149° पश्चिम में स्थित है। डार्विन और ताहिती के दाब के अंतर की गणना मानसून की तीव्रता के पूर्वानुमान के लिए की जाती है। यदि दाब का अंतर ऋणात्मक है, तो इसका अर्थ होगा कि मानसूनी पवनें औसत से कम और देरी से आने वाली हैं।
Monsoon winds are affected by changes in pressure conditions over the southern oceans. Sometimes high pressure occurs in the tropical eastern part of the South Pacific Ocean. In this situation, there is a low pressure in the tropical eastern part of the Indian Ocean. In some particular years the situation of air pressure becomes reverse. Under these conditions, an area of low pressure is formed over the eastern Pacific Ocean as compared to the Indian Ocean. This is a periodic change. This change is called the Southern Oscillation. Darwin of northern Australia is located at 12°30' south or 131° east of the Indian Ocean. Tahiti is located 18° south or 149° west of the Pacific Ocean. The pressure difference between Darwin and Tahiti is calculated to predict the intensity of the monsoon. If the pressure difference is negative, it means that the monsoon winds are below average and delayed.
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एलनीनो (El Nino)
एलनीनो, दक्षिणी दोलन से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण लक्षण है। यह एक गर्म समुद्री जलधारा है। यह पेरू की ठंडी धारा के स्थान पर प्रत्येक 2 अथवा 5 वर्ष के अंतराल में पेरू तट से होकर प्रवाहित होती है। दाब की अवस्था में बदलाव का संबंध एलनीनो से है। इस परिघटना को एंसो (ENSO) अथवा 'एलनीनो दक्षिणी दोलन' के नाम से जाना जाता है। अन्य शब्दों में कहा जाए तो ठंडी पेरू जलधारा के स्थान पर अस्थाई तौर पर गर्म जलधारा के विकास को एलनीनो कहा जाता है। एलनीनो स्पैनिश भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ बच्चा होता है। यह बच्चा बेबी क्राइस्ट को अभिव्यक्त करता है, क्योंकि एलनीनो धारा क्रिसमस के समय प्रवाहित होना शुरू होती है। एलनीनो की उपस्थिति में समुद्र की सतह का तापमान बढ़ जाता है। इस कारण उस क्षेत्र में व्यापारिक पवनें शिथिल हो जाती हैं।
The El Nino is an important feature associated with the Southern Oscillation. It is a warm ocean current. Instead of the cold current of Peru, it flows through the Peruvian coast every 2 or 5 years. The change in the state of pressure is related to El Nino. This phenomenon is known as ENSO or 'Elnino Southern Oscillation'. In other words, the development of a temporarily warm current in place of the cold Peru current is called El Nino. El Nino is a Spanish word. It literally means child. This child represents the Baby Christ, as the El Nino current begins to flow at Christmas time. In the presence of El Nino, the sea surface temperature rises. Due to this the trade winds in that area get relaxed.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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