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भारत में शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु | Winter Season And Summer Season In India

भारत की प्रमुख ऋतुएँ (Major Seasons Of India)

विशिष्ट मौसमी प्रतिरूप भारत की मानसूनी जलवायु की प्रमुख विशेषता है। भारत में एक ऋतु से दूसरे ऋतु में मौसम की अवस्थाओं में बहुत अधिक बदलाव होता है। मुख्य रूप से देश के आंतरिक भागों में यह परिवर्तन व्यापक रूप से दिखाई देते हैं। भारत के तटीय क्षेत्रों के तापमान में बहुत अधिक भिन्नता नहीं होती है। तटीय क्षेत्रों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक वर्षा होती है। भारत के संदर्भ में मुख्य रूप से चार ऋतुओं का उल्लेख किया जाता है। ये ऋतुएँ निम्नलिखित हैं–
1. शीत ऋतु
2. ग्रीष्म ऋतु
3. क्षेत्रीय विविधताओं के साथ मानसून का आगमन
4. मानसून की वापसी।

Special seasonal pattern is the main feature of the monsoon climate of India. There is a lot of change in the weather conditions in India from one season to another. These changes are widely visible mainly in the interior parts of the country. There is not much variation in temperature in the coastal areas of India. Coastal areas receive more rainfall than other areas. In the context of India, mainly four seasons are mentioned. These seasons are as follows–
1. Winter
2. Summer
3. Monsoon arrival with regional variations
4. Return of Monsoon.

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भारतीय मानसून का आगमन एवं वापसी | Indian Monsoon Arrival And Withdrawal

भारत में शीत ऋतु (Winter Season In India)

भारत के उत्तरी हिस्सों में शीत ऋतु मध्य नवंबर से आरंभ होती है और इसका अंत फरवरी में होता है। भारत के उत्तरी क्षेत्रों में दिसंबर और जनवरी के महीनों में सबसे ज्यादा ठंड रहती है। तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर कम होते जाता है। शीत ऋतु में भारत के पूर्वी तट (चेन्नई) का औसत तापमान 24℃ से 25℃ के मध्य रहता है। दक्षिण भारत के इस तापमान के विपरीत भारत के उत्तरी क्षेत्रों में तापमान 10℃ से 15℃ के मध्य रहता है। भारत के उत्तरी क्षेत्रों में शीत ऋतु में दिन गर्म और रातें ठंडी रहती हैं। इन क्षेत्रों में तुषारापात होना सामान्य बात है। शीत ऋतु में हिमालय के ऊपरी ढालों पर हिमपात होता है।

The winter season in northern parts of India starts from mid-November and ends in February. The months of December and January are the coldest in the northern regions of India. The temperature decreases from south to north. The average temperature of the east coast of India (Chennai) in winter ranges from 24℃ to 25℃. In contrast to this temperature in South India, the temperature in the northern regions of India ranges from 10℃ to 15℃. In the northern regions of India, the days are hot and the nights cool in winter. It is common to have snowfall in these areas. Snowfall occurs on the upper slopes of the Himalayas in winter.

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भारत पर मानसूनी पवनों का प्रभाव | Effect Of Monsoon Winds On India

शीत ऋतु में भारत से उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं। इन पवनों का प्रवाह स्थल से समुद्र की ओर होता है। फलस्वरुप देश के अधिकतर हिस्सों में शुष्क मौसम रहता है। इन पवनों के कारण तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में वर्षा होती है। तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में ये पवनें समुद्र से स्थल की ओर प्रवाहित होती हैं। इस कारण ये पवनें तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में वर्षा करती हैं।

North-East trade winds blow from India in winter. These winds flow from land to sea. As a result, dry season prevails in most parts of the country. These winds cause rainfall in the coastal areas of Tamil Nadu. In the coastal areas of Tamil Nadu, these winds blow from sea to land. Because of this, these winds bring rain in the coastal areas of Tamil Nadu.

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कोरिआलिस बल, जेट धाराएँ, चक्रवातीय विक्षोभ | Corialis Force, Jet Streams, Cyclonic Disturbances

शीत ऋतु में भारत के उत्तरी क्षेत्रों में, एक कमजोर उच्च दाब का क्षेत्र बन जाता है। इस क्षेत्र से हल्की पवनें बाहर की ओर प्रवाहित होती हैं। इसके बाद ये पवनें उच्चावच से प्रभावित होकर पश्चिम और उत्तर-पश्चिम से गंगा घाटी की ओर प्रवाहित होती हैं। सामान्यतः इस मौसम के दौरान आसमान साफ, तापमान और आर्द्रता कम रहते हैं। साथ ही पवनें शिथिल व परिवर्तित होते जाती हैं।

In winter, a weak high pressure area is formed over northern regions of India. Light winds blow out from this region. After this, these winds get influenced by the relief and flow from the west and north-west towards the Ganges valley. The skies are generally clear, the temperature and humidity are low during this season. At the same time the winds become looser and change.

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जलवायवी नियंत्रण– अक्षांश, ऊँचाई, वायु दाब, समुद्र से दूरी, महासागरीय धाराएँ, उच्चावच लक्षण | Climate Control

ठंड के दिनों में भारत के उत्तरी मैदानों में पश्चिम और उत्तर-पश्चिम से चक्रवाती विक्षोभ का अंतःप्रवाह होता है। यह विक्षोभ कम दाब वाली प्रणाली है। यह प्रणाली भूमध्य सागर और पश्चिमी एशिया के ऊपर उत्पन्न होती है। यह प्रणाली पश्चिमी पवनों के साथ भारत में प्रवेश करती है। इन पवनों की वजह से शीत ऋतु में मैदानी क्षेत्रों में वर्षा होती है। इसके अलावा पर्वतों पर हिमपात होता है। यह हिमपात बहुत आवश्यक होता है। शीत ऋतु में वर्षा होने को 'महावट' कहा जाता है। इस वर्षा की कुल मात्रा कम होती है। यह वर्षा रबी की फसलों के लिए बहुत अनिवार्य होती है। प्रायद्वीपीय भागों में शीत ऋतु स्पष्ट नहीं होती है। इन क्षेत्रों में समुद्री पवनों के प्रभाव की वजह से शीत ऋतु में तापमान के प्रारूप में कोई परिवर्तन नहीं होता।

During cold days, there is an inflow of cyclonic disturbances from the west and north-west over the northern plains of India. This disturbance is a low pressure system. This system originates over the Mediterranean Sea and Western Asia. This system enters India with westerly winds. Due to these winds, there is rainfall in the plains in winter. Apart from this, there is snow on the mountains. This snowfall is very important. Rainfall in winter is called 'Mahavat'. The total amount of this rainfall is less. This rain is very essential for Rabi crops. Winter is not pronounced in the peninsular parts. Due to the influence of sea winds in these areas, there is no change in the temperature pattern in winter.

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जलवायु (भारत की जलवायु), मौसम, ऋतु | Climate (Climate Of India), Weather, Seasons

भारत में ग्रीष्म ऋतु (Summer Season In India)

भारतवर्ष में मार्च से मई तक ग्रीष्म ऋतु रहती है। सूर्य की उत्तर की ओर आभासी गति की वजह से भूमंडलीय ताप पट्टी उत्तर की ओर खिसक जाती है। इस कारण विभिन्न अक्षांशों पर मार्च से मई के दौरान तापमान में वृद्धि हो जाती है। इस तापमान को रिकॉर्ड कर ताप पट्टी के स्थानांतरण के प्रभाव का पता किया जाता है। मार्च के महीने के दौरान दक्कन के पठार का उच्च तापमान लगभग 38℃ रहता है। अप्रैल के महीने के दौरान मध्यप्रदेश और गुजरात का तापमान लगभग 42℃ रहता है। मई के महीने में भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों का तापमान 45℃ रहता है। ग्रीष्म ऋतु में प्रायद्वीपीय भारत का तापमान कम रहता है, क्योंकि ये क्षेत्र समुद्र के प्रभाव से प्रभावित रहते हैं।

The summer season is from March to May in India. Due to the apparent northward motion of the Sun, the global heat belt shifts towards the north. Due to this, the temperature increases during March to May at different latitudes. By recording this temperature, the effect of the transfer of the heat bar is ascertained. The high temperature of the Deccan Plateau during the month of March is around 38℃. The temperature of Madhya Pradesh and Gujarat remains around 42℃ during the month of April. The temperature in the north-western parts of India remains 45℃ in the month of May. The temperature of peninsular India remains low in summer, as these regions are affected by the influence of the sea.

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नदी प्रदूषण एवं नदी संरक्षण | River Pollution And River Conservation

ग्रीष्म ऋतु में भारत के उत्तरी हिस्सों में तापमान में वृद्धि होती है। साथ ही वायुदाब कम होते जाता है। मई माह के अंत तक थार के मरुस्थल, पटना, छोटानागपुर पठार आदि क्षेत्रों में कम दाब का लंबवत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इससे एक गर्त का निर्माण हो जाता है। पवन का परिसंचरण इस गर्त के चारों ओर प्रारंभ हो जाता है।

The temperature rises in the northern parts of India in summer. Simultaneously, the air pressure decreases. By the end of May, a vertical area of ​​low pressure is generated in the Thar desert, Patna, Chotanagpur plateau etc. This creates a trough. The circulation of wind starts around this trough.

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भारत में झीलें | Lakes In India

'लू' पवनें ग्रीष्म ऋतु का एक प्रभावी लक्षण है। लू धूल भरी गर्म और शुष्क पवनें होती हैं। ये पवनें ग्रीष्म ऋतु में दिन के समय भारत के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में चलती हैं। कई बार ये पवनें शाम के समय भी चलती हैं। इन पवनों का प्रभाव बहुत घातक होता है। इनके संपर्क में आने पर मनुष्य बीमार भी हो सकता है। भारत के उत्तरी हिस्सों में मई महीने में धूल भरी आँधियाँ चलती हैं। ये आँधियाँ अस्थायी रूप से आराम पहुँचाती हैं। ये तापमान को कम कर देती हैं। ये अपने साथ ठण्डे समीर और हल्की वर्षा लाती हैं। फलस्वरूप कभी-कभी तीव्र हवाओं के साथ गरज वाली मूसलाधार वर्षा भी होती है। कई बार हिम वृष्टि भी होती है। यह वर्षा एवं हिम वृष्टि वैशाख के महीने में होती है। इस कारण पश्चिम बंगाल एवं अन्य क्षेत्रों में इसे 'काल वैशाखी' के नाम से जाना जाता है। ग्रीष्म ऋतु के अंत में कर्नाटक और केरल में पूर्व-मानसूनी वर्षा होती है। इस वर्षा के कारण आम जल्दी पक जाते हैं। इसलिये इसे 'आम्र वर्षा' के नाम से जाना जाता है।

'Loo' Winds are an effective symptom of summer season. A heat wave is a dusty hot and dry wind. These winds blow in the north and north-western parts of India during the day time in summer. Sometimes these winds blow even in the evening. The effect of these winds is very fatal. Humans can also become ill if they come in contact with them. Dust storms blow in the northern parts of India in the month of May. These storms bring temporary relief. They reduce the temperature. They bring with them cold breezes and light rain. As a result, sometimes strong winds are accompanied by torrential downpours. Sometimes there is snowfall also. This rain and snow showers occur in the month of Vaishakh. For this reason in West Bengal and other regions it is known as 'Kaal Vaisakhi'. Karnataka and Kerala receive pre-monsoon rains at the end of summer. Due to this rain, mangoes ripen early. That's why it is known as 'Mango rain'.

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महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, तापी | Mahanadi, Godavari, Krishna, Kaveri, Narmada, Tapi

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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