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भारत में वर्षा ऋतु (मानसून का आगमन) | Rainy Season In India (Arrival Of Monsoon)

वर्षा ऋतु (Rainy Season)

भारत में वर्षा ऋतु 15 जून से आरंभ होती है। इस ऋतु का अंत अक्टूबर माह में होता है। वर्षा ऋतु से प्राप्त होने वाला जल हमारे लिए बहुत उपयोगी होता है। हमारे देश की फसलों के लिए जल का प्रमुख स्त्रोत वर्षा ही है। अतः हमारे लिए वर्षा ऋतु का बहुत ज्यादा महत्व है।

The rainy season in India starts from 15th June. This season ends in the month of October. Water obtained from the rainy season is very useful for us. Rain is the main source of water for the crops of our country. That's why the rainy season is very important for us.

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भारत में शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु | Winter Season And Summer Season In India

भारत में जून महीने की शुरुआत में उत्तरी मैदानों में निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है। यह क्षेत्र दक्षिणी गोलार्द्ध की व्यापारिक पवनों को आकर्षित करता है। दक्षिण-पूर्व की ये व्यापारिक पवनें, दक्षिणी समुद्रों के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पन्न होती हैं। ये पवनें गर्म महासागरों के ऊपर से होकर गुजरती हैं। ये पवनें अपने साथ भारत में बहुत अधिक मात्रा में नमी (आर्द्रता) लाती हैं। ये पवनें बहुत तीव्र होती हैं। ये 30 किमी प्रति घंटे के औसत वेग से गमन करती हैं। सुदूर उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के अलावा ये पवनें देश के शेष भाग में लगभग एक महीने में पहुँच जाती हैं। इइन पवनों को भारत में 'मानसूनी पवनों' के नाम से जाना जाता है।

A low pressure area is formed in the northern plains in the beginning of June in India. This region attracts the trade winds of the Southern Hemisphere. These trade winds from the southeast originate in the sub-tropical regions of the southern seas. These winds pass over warm oceans. These winds bring with them a large amount of moisture (humidity) in India. These winds are very strong. They travel at an average velocity of 30 km per hour. Apart from the far north-eastern regions, these winds reach the rest of the country in about a month. These winds are known as 'monsoon winds' in India.

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भारतीय मानसून का आगमन एवं वापसी | Indian Monsoon Arrival And Withdrawal

वर्षा ऋतु में भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का अंतर्वाह रहता है। इस वजह से देश का मौसम पूरी तरह परिवर्तित हो जाता है। मौसम के शुरूआत में पश्चिम घाट के पवनमुखी क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। यह वर्षा लगभग लगभग 250 से.मी० से अधिक होती है। दक्कन का पठार और मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में वर्षा होती है। ये दोनों क्षेत्र वृष्टि छाया प्रदेश के अंतर्गत आते हैं। इस मौसम की अधिकांश वर्षा देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में होती है। मासिनराम में सबसे अधिक वर्षा होती है। मासिनराम खासी पहाड़ी के दक्षिणी श्रृंखलाओं में स्थित है। इस क्षेत्र विश्व में सबसे अधिक औसत वर्षा प्राप्त करता है। गंगा की घाटी में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में बहुत कम वर्षा होती है।

India receives inflow of south-west monsoon during the rainy season. Due to this the weather of the country changes completely. At the beginning of the season, the windward regions of the Western Ghats receive heavy rainfall. This rainfall is more than about 250 cm. The Deccan plateau and some areas of Madhya Pradesh receive rainfall. Both these areas come under the rain shadow region. Most of the rainfall of this season falls in the north-eastern parts of the country. The highest rainfall occurs in Masinram. Masinram is situated in the southern ranges of the Khasi Hills. This region receives the highest average rainfall in the world. The amount of rainfall decreases from east to west in the Ganges valley. Parts of Rajasthan and Gujarat receive very little rainfall.

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भारत पर मानसूनी पवनों का प्रभाव | Effect Of Monsoon Winds On India

वर्षा में विराम (Rain Break)

वर्षा ऋतु में आर्द्र और शुष्क दोनों प्रकार के अंतराल होते हैं। अन्य शब्दों में कहा जाये तो मानसूनी वर्षा एक समय में केवल कुछ दिनों तक ही होती है। इनमें वर्षा रहित अंतराल भी होते हैं। मानसून में आने वाले ये विराम मानसूनी गर्त की गति से संबंधित होते हैं। अनेक कारणों से गर्त और इसका अक्ष उत्तर अथवा दक्षिण की ओर खिसकता रहता है। इस वजह से वर्षा का स्थानिक वितरण सुनिश्चित होता है। जब मानसून के गर्त का अक्ष मैदान के ऊपर होता है, तब इन क्षेत्रों में वर्षा अच्छी होती है। दूसरी ओर अक्ष हिमालय के निकट चला जाता है। इस स्थिति में मैदानों में लंबे समय तक शुष्क अवस्था रहती है। साथ ही हिमालय की नदियों के पर्वतीय जलग्रहण क्षेत्रों में विस्तृत वर्षा होती है। इस भारी वर्षा की वजह से मैदानी क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ें आती हैं। साथ ही जान और माल की भारी क्षति होती है। उष्ण कटिबंधीय निम्न दाब की तीव्रता और आवृत्ति भी मानसूनी वर्षा की मात्रा तथा समय को निर्धारित करती है। यह निम्न दाब का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनता है एवं मुख्य स्थलीय भाग को पार कर जाता है। यह गर्त निम्न दाब के मानसून गर्त के अक्ष के अनुसार होता है। मानसून को इसकी अनिश्चितता के लिए जाना जाता है। शुष्क और आर्द्र स्थितियों की तीव्रता, आवृत्ति व समय काल में भिन्नता होती है। इस वजह से यदि एक हिस्से में बाढ़ आती है, तो दूसरे हिस्से में सूखा पड़ता है। इसका आगमन और वापसी प्रायः अव्यवस्थित होता है। इसलिए यह कभी-कभी देश के किसानों की कृषि कार्यों को अव्यवस्थित कर देता है। इस वजह से किसानों को नुकसान होता है।

The rainy season has both wet and dry intervals. In other words, monsoon rains occur only for a few days at a time. They also have rainless intervals. These breaks in the monsoon are related to the movement of the monsoon trough. Due to various reasons, the trough and its axis keep shifting towards north or south. Due to this the spatial distribution of rainfall is ensured. When the axis of the monsoon trough is above the plain, then these areas receive good rainfall. On the other hand the axis goes near the Himalayas. In this condition, the plains remain dry for a long time. Also, there is extensive rainfall in the mountain catchment areas of the Himalayan rivers. This heavy rainfall causes devastating floods in the plains. Also, there is heavy loss of life and property. The intensity and frequency of tropical low pressure also determines the amount and timing of monsoon rainfall. This low pressure area is formed over the Bay of Bengal and crosses the main land area. This trough follows the axis of the low pressure monsoon trough. Monsoon is known for its uncertainty. Dry and wet conditions vary in intensity, frequency and duration. Because of this, if there is a flood in one part, then there is a drought in the other part. Its arrival and return are often chaotic. Hence it sometimes disturbs the agricultural operations of the farmers of the country. Due to this farmers suffer loss.

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कोरिआलिस बल, जेट धाराएँ, चक्रवातीय विक्षोभ | Corialis Force, Jet Streams, Cyclonic Disturbances

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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