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चन्द्रगुप्त मौर्य कौन थे? | सेल्यूकस निकेटर और चन्द्रगुप्त मौर्य की संधि || History Of Chandragupta Maurya

चन्द्रगुप्त मौर्य का परिचय (Introduction of Chandragupta Maurya)

चन्द्रगुप्त मौर्य, मौर्य वंश के संस्थापक थे। वे मगध पर शासन करने वाले मौर्य वंश के पहले राजा थे। वे 322 ईसा पूर्व में राजा बने थे। उन्होंने 298 ईसा पूर्व तक शासन किया। उनकी माता का नाम 'मूर' था। मूर का अर्थ 'मौर्य' होता है। अतः चन्द्रगुप्त की माता के नाम पर ही उनके वंश का नाम मौर्य वंश पड़ गया। चंद्रगुप्त मौर्य की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। जस्टिन और यूनानी विद्वानों ने चन्द्रगुप्त मौर्य को 'सेण्ड्रोकोट्टस' के रूप में प्रस्तुत किया है। विलियम जोन्स नामक विद्वान ने यह सिद्ध कर दिया था, कि सेण्ड्रोकोट्टस ही चन्द्रगुप्त मौर्य थे। 'चन्द्रगुप्त' नाम का उल्लेख रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में मिलता है। इतिहासकारों के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य ने केवल 25 वर्ष की आयु में नंद वंश के राजा धनानंद को पराजित कर दिया था। इस कार्य में उनके गुरु 'चाणक्य' का विशेष योगदान रहा था। आचार्य चाणक्य ने 'अर्थशास्त्र' नामक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में मौर्य वंश के इतिहास का वर्णन किया गया है। चंद्रगुप्त और चाणक्य दोनों ने मिलकर पाटलिपुत्र पर मौर्य वंश की नींव रखी थी।

Chandragupta Maurya was the founder of the Maurya dynasty. He was the first king of the Maurya dynasty to rule Magadha. He became king in 322 BC. He ruled till 298 BC. His mother's name was 'Moor'. The meaning of Moore is 'Maurya'. Therefore, after the name of the mother of Chandragupta, the name of his dynasty was named Maurya dynasty. Historians have different opinions about the origin of Chandragupta Maurya. Justin and Greek scholars have presented Chandragupta Maurya as 'Sandrocottus'. A scholar named William Jones had proved that Sandrocottus was Chandragupta Maurya. The name 'Chandragupta' is mentioned in the Junagadh inscription of Rudradaman. According to historians, Chandragupta Maurya defeated King Dhanananda of the Nanda dynasty at the age of only 25. His mentor 'Chanakya' had a special contribution in this work. Acharya Chanakya wrote a book called 'Arthashastra'. The history of the Maurya dynasty has been described in this book. Both Chandragupta and Chanakya together laid the foundation of the Maurya dynasty on Pataliputra.

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चन्द्रगुप्त मौर्य का जीवन संघर्ष (Life struggle Of Chandragupta Maurya)

राजा बनने के बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने सर्वप्रथम गंगा के मैदानों पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया। उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए बहुत से कार्य किए। इसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने उत्तर-पश्चिम के क्षेत्रों पर अधिकार करना प्रारंभ किया। शीघ्र ही चंद्रगुप्त मौर्य ने पंजाब के समस्त प्रान्तों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार चंद्रगुप्त मौर्य राजा से सम्राट बन गए। चंद्रगुप्त मौर्य के समय पंचमार्क अथवा आहत सिक्कों की मुद्राएँ चलती थी।

After becoming the king, Chandragupta Maurya first established his complete control over the Gangetic plains. He did many things for the development of this area. After this Chandragupta Maurya started taking control of the areas of North-West. Soon Chandragupta Maurya captured all the provinces of Punjab. Thus Chandragupta Maurya went from king to emperor. At the time of Chandragupta Maurya, the currency of punchmark or hammered coins was in circulation.

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सेल्यूकस निकेटर और चन्द्रगुप्त मौर्य की संधि (Treaty Of Seleucus Nicator And Chandragupta Maurya)

सेल्यूकस निकेटर, अलेक्जेंडर का यूनानी अधिकारी था। उसने भारत के उत्तरी प्रान्तों के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था। चंद्रगुप्त मौर्य अपने देश के इन क्षेत्रों को विदेशियों से को मुक्त करवाना चाहते थे। अतः चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस निकेटर के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध की अवधि बहुत लंबी थी। इस युद्ध में अंततः 305 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य की जीत हुई और सेल्यूकस निकेटर की हार हुई। आगे चलकर दोनों शासकों के मध्य संधि हुई। दोनों ने संधि के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इस संधि के अंतर्गत सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य को भारत के उत्तरी प्रान्तों को सौंप दिया। सेल्यूकस द्वारा चन्द्रगुप्त मौर्य को दिए गए प्रमुख प्रान्त निम्नलिखित हैं–
1. अर्कोजिया (कंधार)
2. आरिया (हृदय)
3. परोपनिशे (काबुल)
4. गड्रोसिया (बलूचिस्तान)
इन प्रान्तों के बदले चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को 500 हाथी भेंट में दिए। इस संधि के अंतर्गत सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री 'यूनानी मकेदोनियन राजकुमारी' को भी चंद्रगुप्त मौर्य को दे दिया। चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस की पुत्री से विवाह किया। फलस्वरुप चन्द्रगुप्त और सेलियूकस के बीच संधि पक्की हो गई। दोनों एक-दूसरे के सम्बन्धी बन गये। सेल्यूकस निकेटर ने चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में अपने दूत 'मेगस्थनीज' को भेजा था। मेगस्थनीज ने 'इंडिका' नामक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक में मौर्य वंश के इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। मेगस्थनीज के अलावा सेल्यूकस ने 'दैमकोस' नामक यूनानी दूत को बिंदुसार के दरबार में भेजा था।

Selecus Nicator was a Greek officer of Alexander. He had captured some areas of the northern provinces of India. Chandragupta Maurya wanted to free these areas of his country from foreigners. So there was a war between Chandragupta Maurya and Seleucus Nicator. The duration of this war was very long. This battle eventually led to the victory of Chandragupta Maurya in 305 BC and the defeat of Seleucus Nicator. Later a treaty was signed between the two rulers. Both signed the treaty documents. Under this treaty, Seleucus handed over the northern provinces of India to Chandragupta Maurya. Following are the major provinces given by Seleucus to Chandragupta Maurya–
1. Arkogia (Kandahar)
2. Aria (heart)
3. Paropanishe (Kabul)
4. Gadrosia (Balochistan)
In exchange for these provinces, Chandragupta Maurya presented 500 elephants to Seleucus. Under this treaty, Seleucus Nicator also gave his daughter 'Greek Macedonian princess' to Chandragupta Maurya. Chandragupta Maurya married the daughter of Seleucus. As a result, the treaty between Chandragupta and Seleucus was confirmed. Both became related to each other. Seleucus Nicator sent his messenger 'Megasthenes' to the court of Chandragupta Maurya. Megasthenes wrote a book called 'Indica'. Important information related to the history of Maurya dynasty has been given in this book. Apart from Megasthenes, Seleucus sent a Greek messenger named 'Damakos' to Bindusara's court.

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चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन के अन्तिम दिन (Last days Of life Of Chandragupta Maurya)

चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस के साथ संधि होने के बाद समस्त सिन्धु प्रान्तों पर अधिकार कर लिया। वर्तमान में यह क्षेत्र आधुनिक अफगानिस्तान में है। इसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य वापस मध्य भारत में चले गए। उन्होंने नर्मदा नदी के उत्तरी प्रांतों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार उन्होंने एक विस्तृत साम्राज्य बना लिया। इसके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी राजगद्दी छोड़ दी। उन्होंने अपने पुत्र बिन्दुसार को सम्राट बना दिया और स्वयं पाटलिपुत्र छोड़कर चले गये। चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म को अपना लिया था। आगे चलकर वे भद्रबाहु के नेतृत्व में जैन सन्तों के साथ मैसूर के निकट श्रवणबेलगोला में चले गये। यहीं पर उन्होंने जैन धर्म की 'संथारा प्रथा' के अनुसार अपने प्राण त्याग दिये। संथारा प्रथा के अनुसार, व्यक्ति भूखा, प्यासा और एकांत में रहकर अपने प्राण त्याग देता है।

Chandragupta Maurya took control of all the Indus provinces after a treaty with Seleucus. Presently this area is in modern Afghanistan. After this Chandragupta Maurya went back to Central India. He captured the northern provinces of the Narmada river. Thus he made a vast empire. After this Chandragupta Maurya left his throne. He made his son Bindusara the emperor and left Pataliputra himself. Chandragupta Maurya adopted Jainism in the last days of his life. Later he moved to Shravanabelagola near Mysore with the Jain sages under the leadership of Bhadrabahu. It was here that he gave up his life according to the 'Santhara Pratha' of Jainism. According to the Santhara custom, a person gives up his life by staying hungry, thirsty and in solitude.

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मौर्य इतिहास जानने के स्त्रोत (Sources To Know Mauryan History)

मौर्य वंश और चंद्रगुप्त मौर्य के इतिहास का उल्लेख 'मुद्राराक्षस' नामक नाटक में मिलता है। इसकी नाटक रचना 'विशाखादत्त' ने की थी। चंद्रगुप्त मौर्य के शत्रुओं का विरोध करने के लिए आचार्य चाणक्य द्वारा बनायी गई विभिन्न नीतियों का उल्लेख इस नाटक में मिलता है। इसके अलावा रुद्रदामन के 'गिरनार अभिलेख' से भी चंद्रगुप्त मौर्य के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। इस अभिलेख के अनुसार, चन्द्रगुप्त मौर्य ने सौराष्ट्र तक के प्रदेश पर विजय प्राप्त कर ली थी। उन्होंने यहाँ का प्रशासन सीधे अपने हाथों पर ले लिया था। इस प्रान्त में चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल 'पुष्यगुप्त' था। यहीं पर 'सुदर्शन' नामक झील का निर्माण करवाया गया था।

The history of Maurya dynasty and Chandragupta Maurya is mentioned in the play 'Mudrarakshasa'. Its play was composed by 'Vishakhadatta'. Various policies made by Acharya Chanakya to oppose the enemies of Chandragupta Maurya are mentioned in this play. Apart from this, information about Chandragupta Maurya is also obtained from Rudradaman's 'Girnar inscription'. According to this inscription, Chandragupta Maurya had conquered the region up to Saurashtra. He took the administration here directly into his own hands. In this province, the governor of Chandragupta Maurya was 'Pushyagupta'. It was here that a lake named 'Sudarshan' was built.

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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