ऊर्जा संकट– कारण एवं रोकथाम | Energy Crisis– Causes And Prevention
ऊर्जा संकट का परिचय (Introduction To Energy Crisis)
प्रकृति में पारम्परिक ऊर्जा के स्रोत सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। वर्तमान में इन ऊर्जा स्रोतों का दोहन बढ़ता जा रहा है। बढ़ती जनसंख्या और मानव की बढ़ती सुख-सुविधाओं के कारण इन स्रोतों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। फलस्वरूप ईंधन, विद्युत और ऊर्जा के स्रोतों में लगातार कमी होती जा रही है। ऊर्जा स्रोतों की इस कमी को 'ऊर्जा संकट' कहा जाता है।
Conventional energy sources are available in limited quantities in nature. At present the exploitation of these energy sources is increasing. These sources are being over-exploited due to increasing population and increasing amenities of human beings. As a result, the sources of fuel, electricity and energy are becoming increasingly scarce. This shortage of energy sources is called 'energy crisis'.
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ऊर्जा संकट के कारण (Due To Energy Crisis)
वर्तमान में कोयला, प्राकृतिक गैस, खनिज तेल आदि प्राकृतिक स्रोतों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। इस कारण प्रकृति के इन मूल्यवान खनिज भंडारों की उपलब्धता कम होती जा रही है। फलस्वरूप मानव को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण भी ऊर्जा संकट के लिए उत्तरदायी है। वनों के ह्रास के चलते वर्षा में कम हो रही है। परिणामस्वरूप विद्युत उत्पादन में अवरोध उत्पन्न हो रहे हैं। इन सबके अलावा मानवीय क्रियाकलाप भी ऊर्जा संकट के लिए बराबर के हिस्सेदार हैं। मानव उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों का लापरवाहीपूर्ण प्रयोग करते हैं। इस कारण ऊर्जा स्रोत शीघ्रता से कम होते जा रहे हैं।
Currently natural sources like coal, natural gas, mineral oil etc. are being over-exploited. Due to this the availability of these valuable mineral deposits of nature is decreasing. As a result, man is facing energy crisis. Environmental pollution is also responsible for the energy crisis. Due to the loss of forests, the rainfall is decreasing. As a result, there are interruptions in power generation. Apart from all this, human activities are also equal contributors to the energy crisis. Human beings make reckless use of available energy resources. For this reason the energy sources are rapidly depleting.
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ऊर्जा संकट की रोकथाम (Energy Crisis Prevention)
पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा, गोबर गैस आदि ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का प्रयोग करना चाहिए। इन ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग से ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों का प्रयोग कम किया जाता है। अतः वैकल्पिक स्रोतों का दोहन होने से पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत लंबी अवधि तक प्रयोग में लाए जा सकते हैं। ऊर्जा संकट के निवारण के लिए ऊर्जा स्रोतों का नवीनीकरण करना चाहिए। ऊर्जा स्रोतों का मितव्ययिता से प्रयोग करना चाहिए। जीवाश्म ईंधन का प्रयोग करना चाहिए। इन सभी उपायों का प्रयोग कर हम ऊर्जा संकट का निवारण कर सकते हैं।
Alternative sources of energy like wind energy, solar energy, water energy, dung gas etc. should be used. By using these energy sources, the use of conventional sources of energy is reduced. Therefore, due to the exploitation of alternative sources, conventional energy sources can be used for a long period. Renewal of energy sources should be done to solve the energy crisis. Energy sources should be used sparingly. Fossil fuel should be used. Using all these measures, we can solve the energy crisis.
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निष्कर्ष (Conclusion)
ऊर्जा संकट के चलते मानव का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। सुख-सुविधाएँ खत्म हो जाएगीं। औद्योगिक विकास रुक जाएगा। यातायात के साधन समाप्त हो जाएगें। भोजन पकाना मुश्किल हो जाएगा। अतः स्पष्ट है कि ऊर्जा-संरक्षण मानव के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि ऊर्जा संरक्षण नहीं किया गया तो, ऊर्जा के अभाव में संपूर्ण मानव जाति पुनः आदिम युग के मानवों में परिवर्तित हो जाएगी।
Human's life will be disturbed due to energy crisis. Amenities will run out. Industrial development will stop. The means of transport will run out. Cooking food will be difficult. Therefore, it is clear that energy conservation is very important for human beings. If energy is not conserved, in the absence of energy, the entire human race will again be transformed into the humans of the primitive age.
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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