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ई-कचरा – दुष्परिणाम एवं प्रबंधन | E-Waste – Consequences And Management

अनुपयोगी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को किसी भी तरह के कचरे में फेंक दिया जाता है। खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कारण कचरा का एक समूह बन जाता है। इस समूह को 'ई-कचरा' कहते हैं। वर्तमान में तकनीकी क्षेत्र प्रगति करते जा रहा है। विद्युत उपकरणों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इस कारण ई-कचरा की मात्रा में भी वृद्धि होती जा रही है। ई-कचरे में कैडमियम, सीसा और पारे जैसे खतरनाक पदार्थ उपस्थित रहते हैं। इसलिए इन खतरनाक अपशिष्टों के कारण मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत के राज्यों द्वारा ई-कचरा का सही प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। इस वजह से पर्यावरण के लिए बहुत गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है। एक उल्लेखनीय तथ्य यह है कि ई-कचरा अन्य अपशिष्टों की तुलना में अधिक प्रदूषण फैलाता है। यह अन्य अपशिष्टों की तुलना में अधिक विषैला होता है। भारत के संदर्भ में ई-कचरे की मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है। इसका प्रबंधन करना देश के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। ई-कचरे का निपटान तभी किया जा सकता है, जब सरकार इससे निपटने के लिए कठोर नियम बनाए।

Useless electronic components are thrown in the garbage of any kind. Bad electronic components cause a bunch of garbage. This group is called 'e-waste'. Presently the technical field is progressing. The use of electrical appliances is increasing. Due to this the amount of e-waste is also increasing. E-waste contains hazardous substances such as cadmium, lead and mercury. Therefore due to these hazardous wastes there is adverse effect on human health. E-waste is not being properly managed by the states of India. Due to this a very serious problem has arisen for the environment. One notable fact is that e-waste causes more pollution than other wastes. It is more toxic than other wastes. In the context of India, the amount of e-waste is increasing day by day. Managing it has become a challenging task for the country. E-waste can be disposed only if the government makes strict rules to deal with it.

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ऊर्जा संकट– कारण एवं रोकथाम | Energy Crisis– Causes And Prevention

ई-कचरा का प्रबंधन करना, संपूर्ण विश्व के सामने एक समस्या बन गयी है। अनेक रिपोर्टों के अनुसार, बड़ी मात्रा में कचरे को विकसित देशों से विकासशील देशों में उपयोग हो चुके सामान के नाम पर भेजा जा रहा है। इस तरीके से ई-कचरा प्राप्त करने वाले प्रमुख देश एशियाई, अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी आदि हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि पुनर्चक्रण के खर्च से बचा जा सके। अतः इस प्रकार ई-कचरे के निर्यात को रोकने के लिए कठोर नियम बनाने चाहिए।

Managing e-waste has become a problem facing the whole world. According to several reports, large quantities of waste are being sent from developed countries to developing countries in the name of used goods. Major countries receiving e-waste in this manner are Asian, African, Latin American etc. This is done to avoid the cost of recycling. Therefore, strict rules should be made to stop the export of e-waste in this way.

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पादप ऊतक एवं जन्तु ऊतक | Plant Tissue And Animal Tissue

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों कि पहुँच दूर-दराज के क्षेत्रों तक है। इस कारण विश्व के बहुत से क्षेत्र ई-कचरे से प्रभावित हैं। इनसे निपटने के उपाय अपर्याप्त हैं। इनके प्रबंधन के लिए प्रभावित क्षेत्रों की सरकारों को अधिकृत 'ई-कचरा संग्रहण क्षेत्र' को अधिक सशक्त बनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को भी वैज्ञानिक ढंग से अपनाना चाहिए।

Electronic devices have access to remote areas. Due to this many areas of the world are affected by e-waste. The measures to deal with them are insufficient. For their management, the governments of the affected areas should empower the authorized 'e-waste collection area'. Apart from this, the process of recycling should also be adopted in a scientific manner.

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मृदा अपरदन– दुष्प्रभाव एवं बचाव | Soil Erosion– Effects And Prevention

वर्तमान में हमारे देश भारत में ई-कचरा बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न हो रहा है, किंतु इसका प्रबंधन बहुत कम किया जा रहा है। 'ई-कचरा प्रबंधन नियम 2011' के अनुसार एक बार प्रयोग हो जाने के बाद उपकरण का पुनर्चक्रण करना उत्पादक की जिम्मेदारी है। इस नियम के लागू होने के बावजूद भी उत्पादकों द्वारा इस विषय पर ध्यान नहीं दिया गया। कुछ उत्पादकों ने विनिमय योजना की शुरुआत की। इससे भी कोई विशेष लाभ नहीं मिला।

At present e-waste is being generated in very large quantity in our country, but its management is being done very little. As per 'E-Waste Management Rules 2011' it is the responsibility of the producer to recycle the equipment once it is used. Despite this rule being in force, the issue was not addressed by the producers. Some producers introduced exchange schemes. This also did not give any special benefit.

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ज्वारीय ऊर्जा का दोहन कैसे किया जाता है? | How Is Tidal Energy Harnessed?

ई-कचरे के पुनर्चक्रण में असफलता के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। ई-कचरे की मात्रा में वृद्धि होने के कारण भविष्य की पीढ़ियों के लिए खनिजों की कमी उत्पन्न हो सकती है। इस कारण हमारा भविष्य संकट में पड़ सकता है। अतः समय रहते हमें ई-कचरे का सही प्रबंधन करना चाहिए। इस क्षेत्र में एक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण से कार्य किया जाना चाहिए। ई-कचरे के प्रबंधन के लिए सरकार को सख्त कानून बनाने चाहिए। देश में डंपिग मैदानों के निर्माण पर रोक लगाना चाहिए। सरकार को अधिकृत संग्रहण केंद्र के अलावा अधिकृत पुनर्चक्रण और विघटकों पर कार्य करने की आवश्यकता है। ऐसा होने से ही ई-कचरे का निपटारा वैज्ञानिक ढंग से हो पाएगा। कचरा प्रबंधन नियम 2011 के अंतर्गत लागू नियम को और अधिक सख्त करने की जरूरत है। ई-कचरा की उत्पत्ति में कमी करने के लिए लोगों में जागरूकता लाना सबसे अधिक आवश्यक है।

Failure to recycle e-waste is polluting the environment. An increase in the amount of e-waste could lead to a shortage of minerals for future generations. Because of this our future may be in jeopardy. Therefore, we should do proper management of e-waste in time. Work in this area should be done from a comprehensive and holistic approach. The government should make strict laws for the management of e-waste. The construction of dumping grounds in the country should be banned. The government needs to act on authorized recycling and decomposers apart from authorized collection centres. Only then will the disposal of e-waste be done in a scientific manner. The rules applicable under the Waste Management Rules 2011 need to be made more stringent. In order to reduce the generation of e-waste, it is most important to create awareness among the people.

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चन्द्रगुप्त मौर्य कौन थे? | सेल्यूकस निकेटर और चन्द्रगुप्त मौर्य की संधि || History Of Chandragupta Maurya

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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