भारत की प्राकृतिक वनस्पति | Natural Vegetation Of India
वनस्पति का परिचय (Introduction To Botanicals)
हमारा भारत एक विशाल देश है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत, विश्व के मुख्य 12 जैव विविधता वाले देशों में शामिल है। यहाँ पर 47,000 से भी अधिक जातियों के पौधे पाए जाते हैं। जैव विविधता के आधार पर भारत का विश्व में दसवाँ स्थान है और एशिया में चौथा स्थान है। भारत में लगभग 15,000 प्रकार के फूलों के पौधे पाये जाते हैं। भारत में विश्व के कुल 6% फूलों के पौधे पाए जाते हैं। भारत में बहुत से बिना फूलों वाले पौधे भी पाये जाते हैं। शैवाल (एलेगी), फर्न, कवक (फंजाई) आदि इसके अंतर्गत शामिल हैं। वनस्पति के अलावा भारत में लगभग 89,000 प्रजातियों के जानवर निवास करते हैं। साथ ही विभिन्न प्रजातियों की मछलियाँ, ताजे और समुद्री पानी में निवास करती हैं।
Our India is a huge country. Various types of plant species are found here. India is included in the top 12 biodiversity countries of the world. More than 47,000 species of plants are found here. India ranks tenth in the world on the basis of biodiversity and fourth in Asia. About 15,000 types of flowering plants are found in India. India has 6% of the world's flowering plants. Many flowering plants are also found in India. Algae, ferns, fungi, etc. are included under this. Apart from vegetation, about 89,000 species of animals reside in India. In addition, different species of fish live in fresh and sea water.
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भारत में वर्षा ऋतु (मानसून का आगमन) | Rainy Season In India (Arrival Of Monsoon)
प्राकृतिक वनस्पति (अक्षत वनस्पति) [Natural Vegetation]
वनस्पति का वह भाग जो मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होता है, 'प्राकृतिक वनस्पति' कहलाता है। इस प्रकार की वनस्पति पर लंबे समय तक मानवीय प्रभाव नहीं पड़ता। इसे 'अक्षत वनस्पति' भी कहा जाता है। विभिन्न प्रकार की कृषिगत फसलें, फल और बागान आदि वनस्पति प्राकृतिक वनस्पति के अंतर्गत नहीं आते। इन्हें केवल वनस्पति कहा जा सकता है।
That part of vegetation which is produced on its own without human help is called 'natural vegetation'. This type of vegetation is not affected by human for a long time. It is also known as 'Inexhaustible vegetation'. Various types of agricultural crops, fruits and plantations etc. do not come under natural vegetation. These can only be called botanicals.
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भारत में शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु | Winter Season And Summer Season In India
देशज एवं विदेशज वनस्पति (Indigenous And Exotic Flora)
वनस्पति का वह भाग जो मूल रूप से भारतीय है, 'देशज' वनस्पति कहलाता है। इसके अतिरिक्त जो पौधे भारत से बाहर से लाए गए हैं, उन्हें 'विदेशज' पौधे कहा जाता है। अतः स्पष्ट है कि विदेशज पौधे विदेशों से लाए जाते हैं। किसी विशेष क्षेत्र में, किसी विशेष समय में पौधों की उत्पत्ति को 'वनस्पति जगत' कहा जाता है। इसी प्रकार 'प्राणी जगत' जानवरों के विषय में जानकारी देता है।
That part of the vegetation which is Indian in origin is called 'indigenous' plant. Apart from this, the plants which have been brought from outside India are called 'foreign' plants. Therefore, it is clear that exotic plants are brought from abroad. The origin of plants in a particular area, at a particular time, is called 'botanical kingdom'. Similarly 'animal world' gives information about animals.
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भारतीय मानसून का आगमन एवं वापसी | Indian Monsoon Arrival And Withdrawal
भारतीय वनस्पति में विविधता के कारण (Reasons For Diversity In Indian Flora)
भारतीय वनस्पति में बहुत अधिक विविधता है। भारत में कई प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। भारतीय वनस्पति में इतनी अधिक विविधता होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं–
1. भारतीय भूभाग
2. मृदा में विविधता
3. तापमान में अन्तर
4. सूर्य का प्रकाश
5. वर्षा का वितरण
6. पारिस्थितिक तंत्र।
Indian flora is very diverse. Many types of flora are found in India. Following are the main reasons for having such a high diversity in Indian flora–
1. Indian Territory
2. Diversity in Soil
3. Difference in temperature
4. Sunlight
5. Distribution of rainfall
6. Ecosystem.
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भारत पर मानसूनी पवनों का प्रभाव | Effect Of Monsoon Winds On India
भारतीय भूभाग (Indian Territory)
किसी भी क्षेत्र की वनस्पति, भूमि के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों से प्रभावित होती है। पर्वत, पठार, मैदान, शीतोष्ण कटिबंध आदि क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। धरातल के स्वभाव का वनस्पति पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। यदि किसी क्षेत्र की भूमि उपजाऊ है, तो वहाँ पर कृषि आसानी से की जा सकती है। उबड़-खाबड़ एवं असमतल भूभाग पर कृषि आसानी से नहीं की जा सकती। जंगल तथा घास के मैदानों में वन्य प्राणियों को आश्रय मिलता है।
Vegetation of any area is affected by land, both directly and indirectly. Different types of vegetation are found in the mountains, plateaus, plains, temperate zone etc. The nature of the land has a great influence on the vegetation. If the land of an area is fertile, then agriculture can be done easily there. Agriculture cannot be done easily on rough and uneven terrain. Wild animals get shelter in forests and grasslands.
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कोरिआलिस बल, जेट धाराएँ, चक्रवातीय विक्षोभ | Corialis Force, Jet Streams, Cyclonic Disturbances
मृदा में विविधता (Diversity In Soil)
भारत के विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग प्रकार की मृदाएँ पाई जाती है। ये विभिन्न प्रकार की मृदाएँ विविध प्रकार की वनस्पतियों का आधार है। किसी भी क्षेत्र की वनस्पति, उस क्षेत्र की मृदा पर निर्भर करती है। मरुस्थल में बलुई मृदा पाई जाती है, इसलिए यहाँ कटीली झाड़ियों का विकास हुआ है। नदियों के डेल्टा की भूमि बहुत उपजाऊ होती है, इसलिए यहाँ पर पर्णपाती वन पाए जाते हैं। पर्वतों की ढलानों पर मृदा की परत गहरी होती है, इसलिए यहाँ पर शंकुधारी वनों का विकास हुआ है।
Different types of soils are found at different places in India. These different types of soils are the basis of different types of vegetation. The vegetation of any area depends on the soil of that area. Sandy soil is found in the desert, so thorny bushes have developed here. The land of river deltas is very fertile, hence deciduous forests are found here. The soil layer is deep on the slopes of the mountains, so coniferous forests have developed here.
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जलवायवी नियंत्रण– अक्षांश, ऊँचाई, वायु दाब, समुद्र से दूरी, महासागरीय धाराएँ, उच्चावच लक्षण | Climate Control
तापमान में अन्तर (Temperature Difference)
किसी भी क्षेत्र की वनस्पति की विशेषताएँ तापमान पर निर्भर करती हैं। भारत के हिमालय पर्वत की ढलानों एवं अन्य पहाड़ियों पर 915 मीटर की ऊँचाई से ऊपर तापमान गिरने लगता है। इस कारण इन क्षेत्रों की वनस्पति प्रभावित होने लगती है। इस कारण यहाँ की वनस्पति उष्ण कटिबन्धीय से उपोष्ण, शीतोष्ण और अल्पाइन वनस्पतियों में बदल जाती है।
The characteristics of vegetation of any region depend on the temperature. The temperature starts falling above the height of 915 meters on the slopes and other hills of the Himalaya Mountains of India. Due to this the vegetation of these areas starts getting affected. Due to this the vegetation changes from tropical to sub-tropical, temperate and alpine vegetation.
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जलवायु (भारत की जलवायु), मौसम, ऋतु | Climate (Climate Of India), Weather, Seasons
सूर्य का प्रकाश (Sunlight)
किसी भी क्षेत्र पर सूर्य के प्रकाश का समय निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है–
1. उस क्षेत्र का अक्षांश
2. उस क्षेत्र की ऋतुएँ
3. समुद्र तल से ऊँचाई।
गर्मी की ऋतु में प्रकाश अधिक मिलने के कारण वृक्ष शीघ्रता से वृद्धि करते हैं।
The time of sunlight on any area depends on the following factors–
1. Latitude of that area
2. Seasons of that region
3. Height above sea level.
Trees grow faster due to more light in summer.
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नदी प्रदूषण एवं नदी संरक्षण | River Pollution And River Conservation
वर्षा का वितरण (Distribution Of Rain)
भारत में होने वाली सारी वर्षा दक्षिण-पश्चिमी मानसून और उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण होती है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों के द्वारा जून से सितंबर तक वर्षा होती है। वर्षा के वितरण के कारण भी वनस्पतियाँ प्रभावित होती हैं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सघन वन पाए जाते हैं। इसके विपरीत कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सघन वन नहीं पाए जाते। यहाँ पर पतले वन पाए जाते हैं। वन मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। वन नवीकरण योग्य संसाधन हैं। एक बार नष्ट हो जाने के बाद इनकी पुनः उत्पत्ति की जा सकती है। वन वातावरण की गुणवत्ता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये स्थानीय जलवायु, मृदा अपरदन और नदियों की धारा को नियंत्रित करते हैं। ये पर्यावरण प्रदूषण को रोकते हैं। वन (जंगल) भारत के बहुत सारे उद्योगों के आधार हैं। वनों से प्राप्त होने वाले विभिन्न उपयोगी पदार्थों के द्वारा ही अनेक उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। वन अनेक भारतीय समुदायों को जीविका प्रदान करते हैं। वनों के द्वारा बहुत से रोजगार मिलते हैं। इन सबके अलावा वनों में मनोरम प्राकृतिक दृश्य रहते हैं। इस कारण ये देश-विदेश से विभिन्न पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। वन पवन और तापमान को नियंत्रित करते हैं। साथ ही वर्षा लाने में भी सहायता करते हैं। वनों से मृदा को जीवाश्म मिलता है। वन, वन्य प्राणियों को आश्रय प्रदान करते हैं।
All the rainfall in India is due to Southwest Monsoon and Northeast Monsoon. The southwest monsoon winds bring rainfall from June to September. Vegetation is also affected by the distribution of rainfall. In areas with high rainfall, dense forests are found. In contrast, dense forests are not found in areas with low rainfall. Thin forests are found here. Forests are very essential for human beings. Forests are renewable resources. Once destroyed, they can be regenerated. Forests also play an important role in enhancing the quality of the environment. They control the local climate, soil erosion and the flow of rivers. They prevent environmental pollution. Forests are the basis of many industries in India. Many useful items are made from the various useful materials obtained from the forests. Forests provide sustenance to many Indian communities. Many jobs are generated through forests. Apart from all this, there are picturesque natural scenes in the forests. Due to this, they attract various tourists from home and abroad. Forests regulate wind and temperature. They also help in bringing rain. Soil gets fossils from forests. Forests provide shelter to wild animals.
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भारत में झीलें | Lakes In India
भारत की वनस्पतियों का विनाश (Destruction Of Flora Of India)
भारतीय वनस्पतियों में अनेक कारणों से परिवर्तन आये हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि योग्य भूमि की माँग में वृद्धि हुई है।उद्योगों का विकास होने के कारण वनों से बहुत अधिक मात्रा में उपयोगी पदार्थ लिए जा रहे हैं। शहरीकरण के कारण वनों की कटाई की जा रही है। इसके अलावा पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था के लिए भी वनों की कटाई की जा रही है। इससे धीरे-धीरे वनों के क्षेत्रफल कम होते जा रहे हैं। सन् 2003 में भारत के वनों का कुल क्षेत्रफल 68 लाख वर्ग किलोमीटर था। भारत के बहुत से क्षेत्रों में वन क्षेत्र सही मायने में प्राकृतिक नहीं है। कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे हिमालय, मध्य भारत, मरुस्थल आदि को छोड़ दिया जाए तो शेष भागों में प्राकृतिक वनस्पति आंशिक या पूर्ण रुप से नष्ट हो चुकी है। इसका सबसे बड़ा कारण प्राकृतिक पर्यावरण में मानवीय हस्तक्षेप है। सन् 2001 में वनों का कुल क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल का 20.55% था।
Indian flora has undergone changes due to many reasons. Due to the increasing population, the demand for arable land has increased. Due to the development of industries, a lot of useful substances are being taken from the forests. Deforestation is being done due to urbanization. Apart from this, deforestation is also being done for the arrangement of fodder for the animals. Due to this gradually the area of forests is decreasing. In 2003, the total area of India's forests was 68 lakh square kilometers. In many areas of India, the forest area is not natural in the true sense. Barring some important areas like Himalayas, Central India, desert etc., the natural vegetation has been partially or completely destroyed in the remaining parts. The biggest reason for this is human interference in the natural environment. In 2001, the total area of forests was 20.55% of the area of India.
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महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, तापी | Mahanadi, Godavari, Krishna, Kaveri, Narmada, Tapi
पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem)
पृथ्वी पर पौधों और जीवों का वितरण मुख्य रूप से जलवायु द्वारा निर्धारित होता है। किसी भी क्षेत्र के पौधों की प्रकृति उस क्षेत्र के प्राणी जीवन को प्रभावित करती है। जब किसी क्षेत्र की वनस्पति परिवर्तित हो जाती है तो उस क्षेत्र का प्राणी जीवन भी परिवर्तित हो जाता है। पादप और प्राणी आपस में संबंधित होते हैं। पौधे एवं प्राणी मिलकर एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं। मनुष्य भी इस पारिस्थितिक तंत्र का एक भाग है। विभिन्न मानवीय क्रियाओं के द्वारा पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहे हैं। मनुष्य वन्य जीवन और वनस्पति को अपने लाभ के लिए प्रयोग करता है। इस कारण प्राकृतिक संसाधन धीरे-धीरे नष्ट होते जा रहे हैं। मानव इन संसाधनों का बहुत अधिक प्रयोग कर रहा है। वृक्षों की कटाई की जा रही है। जानवरों का शिकार किया जा रहा है। इस कारण पारिस्थितिक तंत्रों में असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। फलस्वरुप पर्यावरण की बहुत सी प्रजातियाँ विलुप्त होते जा रही हैं। धरातल पर एक विशेष प्रकार की वनस्पति अथवा प्राणी जीवन वाले विशाल पारिस्थितिक तंत्र को 'जीवोम' कहा जाता है। जीवोम की पहचान पादप पर आधारित होती है।
The distribution of plants and animals on Earth is mainly determined by climate. The nature of plants of any area affects the animal life of that area. When the vegetation of an area changes, the animal life of that area also changes. Plants and animals are related to each other. Plants and animals together make up an ecosystem. Human beings are also a part of this ecosystem. Ecosystems are being affected by various human activities. Man uses wildlife and vegetation to his advantage. Due to this natural resources are gradually getting destroyed. Humans are using these resources a lot. Trees are being cut. Animals are being hunted. This is causing imbalance in the ecosystems. As a result, many species of the environment are becoming extinct. A large ecosystem containing a particular type of plant or animal life on the surface is called 'biome'. Identification of biome is based on plant.
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भारत में ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र | Brahmaputra River System In India
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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