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भारतीय इतिहास – अजातशत्रु कौन था? | Indian History – Who Was Ajatashatru?

अजातशत्रु का भारत के इतिहास में विशेष महत्व है। अजातशत्रु मगध के सम्राट बिंबिसार का पुत्र था। उसके बचपन का नाम 'कुणिक' था। आगे चलकर उसे अजातशत्रु के नाम से जाना गया। वह सत्ता का लालची था। राजा बनने के लिए उसने अपने पिता की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसने मगध का शासन अपने हाथों में ले लिया। अपने शासनकाल के दौरान उसने विस्तार की नीति को अपनाया। उसने अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार दूर-दूर तक किया। उसने एक विशाल और शक्तिशाली साम्राज्य का निर्माण किया। उसके शासनकाल के दौरान मगध अपने विकास के चर्मोत्कर्ष पर था।

Ajatshatru has a special significance in the history of India. Ajatashatru was the son of Emperor Bimbisara of Magadha. His childhood name was 'Kunik'. Later he came to be known as Ajatashatru. He was greedy for power. He killed his father to become the king. After this he took the rule of Magadha in his hands. During his reign he adopted the policy of expansion. He expanded the boundaries of his kingdom far and wide. He built a huge and powerful empire. Magadha was at the zenith of its development during his reign.

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अजातशत्रु ने लगभग 493 ईसा पूर्व से 461 ईसा पूर्व तक शासन किया। ऐतिहासिक स्त्रोत सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार, अजातशत्रु ने लगभग 32 वर्षों तक शासन किया था। वैसे तो अजातशत्रु ने अपने जीवन में बहुत से गलत कार्य किये थे, किन्तु फिर भी वह एक वीर और प्रतापी राजा था। उसकी कीर्ति सम्पूर्ण भारतवर्ष में व्याप्त थी। 461 ईसा पूर्व के दौरान अजातशत्रु की उसके पुत्र उदयन ने हत्या कर दी थी।

Ajatashatru ruled from about 493 BC to 461 BC. According to historical sources Sinhalese legends, Ajatashatru ruled for about 32 years. Although Ajatashatru had done many wrong things in his life, but still he was a brave and majestic king. His fame was spread all over India. Ajatashatru was assassinated by his son Udayana during 461 BCE.

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अजातशत्रु ने सर्वप्रथम कौशल और वैशाली के राज्यों पर विजय प्राप्त की थी। लगभग 16 वर्ष की लम्बी अवधि के बाद उसने काशी और वज्जि संघ पर विजय प्राप्त की थी। अजातशत्रु का अवन्ति के राजा प्रद्योत से भी बैर था। किन्तु वह अवन्ति के राजा को युद्ध में परास्त नहीं कर पाया था। शत्रुओं से युद्ध करने के लिए अजातशत्रु 'महाशिलाकण्टकय्' नामक शस्त्र का प्रयोग करता था। यह एक अपक्षेपी अस्त्र था। इसके अलावा वह 'फ्रथमूसलय्' नामक शस्त्र का प्रयोग भी करता था। उसने राजगृह में एक मजबूत दुर्ग का निर्माण करवाया था।

Ajatashatru first conquered the kingdoms of Kaushal and Vaishali. After a long period of about 16 years he had conquered Kashi and Vajji Sangha. Ajatashatru also had enmity with Pradyot, the king of Avanti. But he could not defeat the king of Avanti in the battle. Ajatashatru used to use a weapon called 'Mahashilakantakaya' to fight with the enemies. It was a missile. Apart from this, he also used a weapon called 'Fruthmusalaya'. He had built a strong fort in Rajagriha.

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अजातशत्रु एक धार्मिक व्यक्ति था। प्रारम्भ में वह बौद्ध धर्म का विरोधी था, किन्तु आगे चलकर वह बौद्ध धर्म अनुयायी बन गया। इस बात की पुष्टि भरहुत स्तूप की एक वेदिका के ऊपर उत्कीर्णित लेख से होती है। यहाँ लिखा हुआ है कि "अजातशत्रु भगवान बुद्ध की वन्दना करता है।" अजातशत्रु ने महात्मा बुद्ध के कुछ अवशेषों को लेकर राजगृह में एक स्तूप बनवाया था। उसके शासनकाल के दौरान प्रथम बौद्ध सभा का आयोजन किया गया था। इस सभा का आयोजन राजगृह में सप्तपर्णि गुफा में किया गया था। इसका आयोजन 483 ईसा पूर्व के दौरान किया गया था। इस सभा में बुद्ध की शिक्षाओं का 'फ्रसुत्तपिटकय्' और 'फ्रिवनयपिटकय्' नामक ग्रन्थों में संकलित किया गया।

Ajatashatru was a religious person. Initially he was opposed to Buddhism, but later he became a follower of Buddhism. This is confirmed by an inscription inscribed on top of an altarpiece of Bharhut Stupa. It is written here that "Ajatashatru worships Lord Buddha." Ajatashatru built a stupa in Rajgriha with some relics of Mahatma Buddha. The first Buddhist assembly was organized during his reign. This meeting was organized in the Saptaparni cave in Rajgriha. It was organized during 483 BC. The teachings of the Buddha in this assembly were compiled into texts named 'Frasuttapitakaya' and 'Frivanaypitakaya'.

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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