गोलीय दर्पण क्या है? | अवतल और उत्तल दर्पण || What Is Spherical Mirror? | Concave And Convex Mirror
गोलीय दर्पण (Convex Mirror)
जिन परावर्तक वस्तुओं अर्थात् दर्पणों की सतहें गोलीय होती हैं, उन्हें 'गोलीय दर्पण' कहते हैं। गोलीय दर्पण की सतह भी समतल दर्पण की सतह के समान परावर्तक होती है, किन्तु गोलीय दर्पण समतल दर्पण से अलग होते हैं। गोलीय दर्पण में अभिलम्ब की दिशा हर बिन्दु पर एक समान नहीं होती। इस दर्पण में बनने वाले प्रतिबिम्ब, समतल दर्पण में बनने वाले प्रतिबिम्ब से भिन्न होते हैं। इसका कारण यह है कि गोलीय दर्पण की सतह गोलीय होती है। स्टील की थाली, चम्मच आदि के पृष्ठ के सामने किसी वस्तु को रखने पर, उस थाली या चम्मच में वस्तु का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। ये प्रतिबिम्ब गोलीय दर्पण में बने प्रतिबिम्ब होते हैं। अर्थात् स्टील की थाली, चम्मच आदि एक प्रकार का गोलीय दर्पण है। गोलीय पृष्ठों से परावर्तन का अध्ययन करने के लिए गोलीय दर्पण का प्रयोग किया जाता है।
Reflective objects i.e. mirrors which have spherical surfaces are called 'spherical mirrors'. The surface of a spherical mirror is also reflective like the surface of a plane mirror, but spherical mirrors are different from plane mirrors. The direction of normal in a spherical mirror is not the same at every point. The image formed in this mirror is different from the image formed in a plane mirror. This is because the surface of a spherical mirror is spherical. When an object is placed in front of the surface of a steel plate, spoon, etc., the image of the object is visible in that plate or spoon. These images are the images formed in a spherical mirror. That is, a steel plate, spoon etc. is a type of spherical mirror. A spherical mirror is used to study the reflection from spherical surfaces.
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अवतल और उत्तल दर्पण (Concave And Convex Mirror)
भौतिक शास्त्र में गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं–
1. अवतल दर्पण
2. उत्तल दर्पण।
अवतल दर्पण– किसी गोलीय सतह के उत्तल या बाहरी पृष्ठ पर पॉलिश करने से उसका अवतल या भीतरी पृष्ठ परावर्तक हो जाता है। इसे अवतल दर्पण कहा जाता है। अवतल दर्पण में परावर्तक पृष्ठ के सामने कोई वस्तु रखने पर, अवतल दर्पण में उस वस्तु का प्रतिबिम्ब दिखायी देता है।
उत्तल दर्पण– किसी गोलीय सतह के अवतल या भीतरी पृष्ठ पर पॉलिश करने से उसका उत्तल या बाहरी पृष्ठ परावर्तक हो जाता है। इसे उत्तल दर्पण कहा जाता है। उत्तल दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के सामने कोई वस्तु रखने पर, उत्तल दर्पण में उस वस्तु का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है।
There are two types of spherical mirrors in physics–
1. Concave mirror
2. Convex mirror.
Concave Mirror– Polishing on the convex or outer surface of a spherical surface makes its concave or inner surface reflective. This is called a concave mirror. When an object is placed in front of the reflecting surface in a concave mirror, the image of that object is visible in the concave mirror.
Convex Mirror– Polishing on a concave or inner surface of a spherical surface makes its convex or outer surface reflective. This is called a convex mirror. When an object is placed in front of the reflecting surface of a convex mirror, the image of that object is visible in the convex mirror.
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गोलीय दर्पण से सम्बन्धित परिभाषाएँ (Definitions Related To Spherical Mirror)
गोलीय दर्पण से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं–
वक्रता केन्द्र– गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक विशाल गोले का भाग होता है। इस गोले के केन्द्र को गोलीय दर्पण का 'वक्रता केन्द्र' कहते हैं। इसे अंग्रेजी के अक्षर C से प्रदर्शित किया जाता है।
वक्रता त्रिज्या– गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक विशाल गोले का भाग होता है। इस गोले की त्रिज्या को गोलीय दर्पण की 'वक्रता त्रिज्या' कहा जाता है। इसे अंग्रेजी के अक्षर R से प्रदर्शित किया जाता है।
ध्रुव– गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केन्द्र को दर्पण का ध्रुव कहा जाता है। इसे अंग्रेजी के अक्षर P से प्रदर्शित किया जाता है।
मुख्य अक्ष– गोलीय दर्पण के ध्रुव और वक्रता केन्द्र से होकर गुजरने वाली काल्पनिक सीधी रेखा को गोलीय दर्पण का मुख्य अक्ष कहा जाता है।
मुख्य फोकस– कई बार प्रकाश किरण, प्रकाश स्रोत से निकलकर गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष के समानान्तर चलने लगती है। इसके बाद यह किरण गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ से टकरा जाती है। इससे यह किरण परिवर्तित हो जाती है। परावर्तन के पश्चात् प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु से होकर जाती है या आती हुई प्रतीत होती है, उस बिन्दु को गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस कहा जाता है। इसे अंग्रेजी के अक्षर F से प्रदर्शित करते हैं। अवतल दर्पण में प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् जाती हुई प्रतीत होती है, जबकि उत्तल दर्पण में प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात् आती हुई प्रतीत होती है।
द्वारक– गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की वृत्ताकार सीमा रेखा के व्यास को गोलीय दर्पण का द्वारक कहा जाता है।
The following are the major definitions related to spherical mirror–
Centre of Curvature– The reflecting surface of a spherical mirror is part of a larger sphere. The center of this sphere is called the 'center of curvature' of the spherical mirror. It is represented by the letter C in English.
Radius of Curvature– The reflecting surface of a spherical mirror is part of a larger sphere. The radius of this sphere is called the 'radius of curvature' of the spherical mirror. It is represented by the letter R in English.
Pole– The center of the reflecting surface of a spherical mirror is called the pole of the mirror. It is represented by the letter P in English.
Principal axis– An imaginary straight line passing through the pole and center of curvature of a spherical mirror is called principal axis of a spherical mirror.
principal focus– Sometimes a ray of light emerges from the light source and starts running parallel to the principal axis of the spherical mirror. After this this ray collides with the reflecting surface of the spherical mirror. This converts this ray. The point on the principal axis through which the light ray passes or appears to come after reflection is called the principal focus of the spherical mirror. It is represented by the English letter F. In a concave mirror the ray of light appears to leave after reflection, whereas in a convex mirror the ray of light appears to come after reflection.
Aperture– The diameter of the circular boundary line of the reflecting surface of a spherical mirror is called the aperture of the spherical mirror.
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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