यह संसार क्षणभंगुर है – जैनेन्द्र कुमार
खेल (कहानी) से लिया गया गद्य
यह संसार क्षणभंगुर है। इसमें दुःख क्या और सुख क्या। जो जिससे बनाया है वह उसी में लय हो जाता है– इसमें शोक और उद्वेग की क्या बात है? यह संसार जल का बुदबुदा है, फूटकर किसी रोज़ जल में ही मिल जाएगा। फूट जाने में ही बुदबुदे की सार्थकता है। जो यह नहीं समझते, वे दया के पात्र हैं। री मुर्खा लड़की, तू समझ। सब ब्रह्माण्ड ब्रह्म का है और उसी में लीन हो जाएगा। इससे तू किस लिए व्यर्थ व्यथा सह रही है?
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सन्दर्भ
प्रस्तुत गद्यांश 'खेल' नामक कहानी से लिया गया है। इसके लेखक 'जैनेन्द्र कुमार' (आधुनिक प्रेमचन्द) हैं।
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प्रसंग
प्रस्तुत गद्य में लेखक ने संसार की नश्वरता और क्षणभंगुरता को प्रस्तुत किया है।
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व्याख्या
प्रस्तुत गद्य में मनोहर (कहानी का पात्र), सुरबाला (कहानी की पात्र) से कहता है कि "यह संसार नाशवान है। पलभर में यह नष्ट हो सकता है।" इस संसार के दुःख और सुख का कोई मोल नहीं है। इस संसार में जो भी दिखाई देता है, वह नष्ट होने वाला है। इस संसार की रचना परमात्मा के द्वारा की गई है। अन्त समय में यह संसार उसी परमात्मा में विलीन हो जाएगा। यह संसार पानी के बुलबुले के समान है। पानी का बुलबुला जो अभी दिखाई दे रहा है। कुछ क्षण बाद फूटकर यह पानी में ही मिल जाएगा। पानी में विलीन हो जाने में ही पानी के बुलबुले का महत्व है। संसार की क्षणभंगुरता से सम्बन्धित इस तथ्य को समझना आवश्यक है। जो लोग इस तथ्य को नहीं समझते, वे सहानुभूति के योग्य हैं। हे अज्ञानी बालिका! तुझे भी यह समझ लेना चाहिए, कि यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ब्रह्म का है और अन्त समय में यह ब्रह्म में ही विलीन हो जाएगा। अतः तू व्यर्थ पीड़ा सहन कर रही है।
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विशेष
प्रस्तुत गद्य से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. यह संसार क्षणभंगुर है और पलभर में ही नष्ट हो जाएगा।
2. सृजन का विनाश होना निश्चित है।
3. प्रस्तुत गद्य में शुद्ध साहित्य खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
4. विचारात्मक शैली में लेखन किया गया है।
5. संसार के कटु सत्य को उजागर किया गया है।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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