नाम अजामिल-से खल कोटि – गोस्वामी तुलसीदास
केवट प्रसंग
नाम अजामिल-से खल कोटि अपार नदीं भव बूड़त काढ़े।
जो सुमिरें गिरि मेरु सिलाकन होत, अजाखुर बारिधि बाढ़े।।
तुलसी जेहि के पदपंकज तें प्रगटी तटिनी, जो हरै अघ गाढ़े।
ते प्रभु या सरिता तरिबे कहुँ माँगत नाव करारें है ठाढ़े।।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
यह तन काँचा कुम्भ है – कबीर दास
शब्दार्थ
अजामिल- एक डाकू, खल- दुष्ट या दुर्जन, कोटि- करोड़ों, अपार- जिसका पार न पाया जाय, भव- संसार, सुमिरें- स्मरण करना, गिरि- पर्वत, मेरु- सुमेरू पर्वत, सिलाकन- पत्थर के टुकड़े के समान, अजाखुर- बकरी के खुर का चिह्न, बारिधि- समुद्र, पदपंकज- चरण कमल, तटिनी- गंगा, अघ गाढ़े- बहुत से पाप, ते- वे, सरिता- नदी, तरिबै- पार करने को, करारें- किनारे, ठाढ़े- खड़े।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
यह संसार क्षणभंगुर है – जैनेन्द्र कुमार
सन्दर्भ
प्रस्तुत पद्यांश 'केवट प्रसंग' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना 'गोस्वामी तुलसीदास' ने की है।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
माटी कहै कुम्हार से – कबीर दास
प्रसंग
प्रस्तुत पद में भगवान राम के गंगा पार करने के लिए केवट के पास पधारने का वर्णन किया गया है।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
कबीर दास का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
व्याख्या
जिस भगवान श्री राम ने अजामिल जैसे करोड़ों दुष्टों (दुर्जनों) को असीमित गहरे संसार रूपी सागर में डूबने से बचा लिया है। जिस प्रभु का स्मरण करते ही सुमेरू जैसे विशाल पर्वत भी पत्थर के टुकड़े के समान बन जाते हैं। बकरी के खुर के निशान में विशाल सागर दिखाई देते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस भगवान श्री राम के चरण कमलों से गंगा नदी प्रगट हुई है। गंगा नदी मनुष्य के पापों को दूर करती है। वे ही प्रभु श्री राम गंगा नदी को पार करने के लिए, उसके तट पर खड़े होकर केवट से नाव के द्वारा उस पर पहुँचाने का आग्रह कर रहे हैं।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
उपन्यास क्या है? | उपन्यास का इतिहास एवं प्रमुख उपन्यासकार
काव्य सौन्दर्य
प्रस्तुत पद से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. प्रस्तुत पद्यांश में भगवान श्री राम की लीलाओं का वर्णन किया गया है।
2. भगवान श्री राम मानव रूप में गंगा नदी के किनारे खड़े होकर केवट से नदी पार कराने का आग्रह कर रहे हैं।
3. भाव अनुगामिनी भाषा का प्रयोग किया गया है।
4. अनुप्रास, रूपक आदि अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
5. 'अजामिल' जैसे महापापी के उद्धार का उल्लेख किया गया है।
6. पौराणिक कथाओं से सम्बन्धित पद्य प्रस्तुत है।
7. प्रस्तुत पद्यांश में सामाजिक समरसता के भाव प्रकट किये गये हैं।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' का जीवन परिचय
अजामिल कौन था?
अजामिल एक डाकू था। नारद जी के द्वारा उपदेश देने पर उसे स्वयं द्वारा किए गए पापकर्मों का बोध हुआ। उसने अपने पापों का पश्चताप करने का प्रयत्न किया। नारद जी के कहने पर उसने अपने पुत्र का नाम 'नारायण' रखा। मरणासन्न अवस्था में उसके द्वारा अपने पुत्र का नाम 'नारायण' बारम्बार पुकारने पर अन्तिम समय में उसे मोक्ष प्राप्त हुआ।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
एकांकी क्या है? | एकांकी का इतिहास एवं प्रमुख एकांकीकार
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. छायावाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
2. रहस्यवाद (विशेषताएँ) तथा छायावाद व रहस्यवाद में अंतर
3. प्रगतिवाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
4. प्रयोगवाद– विशेषताएँ एवं महत्वपूर्ण कवि
5. नई कविता– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
1. बीती विभावरी जाग री― जयशंकर प्रसाद
2. मैया मैं नाहीं दधि खायो― सूरदास
3. मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी― सूरदास
4. बानी जगरानी की उदारता बखानी जाइ― केशवदास
5. मैया, मोहिं दाऊ बहुत खिझायो― सूरदास
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
Comments