रावरे दोषु न पायन को – गोस्वामी तुलसीदास
केवट प्रसंग
रावरे दोषु न पायन को, पगधूरिको भूरि प्रभाउ महा है।
पाहन तें बन-बाहनु काठको कोमल है, जलु खाइ रहा है।।
पावन पाय पखारि कै नाव चढ़ाइहौं, आयसु होत कहा है।
तुलसी सुनि केवट के बर बैन हँसे प्रभु जानकी ओर हहा है।।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
एहि घाटतें थोरिक दूरि अहै– गोस्वामी तुलसीदास
शब्दार्थ
रावरे- आपके, पायन- पैरों, पगधूरिको- पैरों की धूल, भूरि- बहुत अधिक, पाहन- पत्थर, काठ को- लकड़ी का, पावन- पवित्र, पखारि- धोकर, आयसु- आज्ञा, बर बैन- श्रेष्ठ वचन, जानकी- देवी सीता।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
नाम अजामिल-से खल कोटि – गोस्वामी तुलसीदास
सन्दर्भ
प्रस्तुत पद 'केवट प्रसंग' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना 'गोस्वामी तुलसीदास' ने की है।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
यह तन काँचा कुम्भ है – कबीर दास
प्रसंग
प्रस्तुत पद में केवट भगवान श्री राम से पैर धुलवाने का आग्रह कर रहा है। पैर धुलवाने के बाद ही वह प्रभु को अपनी नाव में बैठाना चाहता है।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
यह संसार क्षणभंगुर है – जैनेन्द्र कुमार
व्याख्या
केवट भगवान श्री राम से कहता है कि हे प्रभु! आपके पैरों का कोई दोष नहीं है, किन्तु आपके पैरों की धूल अत्यन्त प्रभावशाली है। आपके चरणों की धूल का स्पर्श पाकर एक पत्थर नारी के रूप में परिवर्तित हो गया था। उस पत्थर की तुलना में, मेरी नाव तो बहुत कोमल है और लकड़ी की बनी हुई है। इस पर यह पानी में पड़ी गल रही है। आपके पैरों की धूल का स्पर्श पाकर मेरी नाव तुरन्त ही किसी अन्य रूप में परिवर्तित हो सकती है। अतः मैं आपके पवित्र चरण कमलों को धोकर ही, आपको नाव में बैठाऊँगा। इससे मेरे मन में कोई भय नहीं रहेगा। अतः हे प्रभु! आप मुझे अपने चरण कमलों को धोने देने की आज्ञा प्रदान करें। तुलसीदास जी कहते हैं कि केवट के चतुराई भरे श्रेष्ठ वचनों को सुनकर, प्रभु श्री राम देवी सीता की ओर देखकर मुसकुरा दये।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
माटी कहै कुम्हार से – कबीर दास
काव्य सौन्दर्य
प्रस्तुत पद से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. भावानुरूप साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया गया है।
2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
3. केवट की वाक्-पटुता का अंकन किया गया है।
4. केवट की भक्ति भावना को प्रस्तुत किया गया है।
5. भगवान श्री राम के चरणों की धूल का स्पर्श पाकर शिला अहिल्या नारी के रूप में परिवर्तित हो गई थी।
6. पद-मैत्री का प्रयोग किया गया है।
7. प्रस्तुत पद में सामाजिक समरसता के भाव प्रकट किये गए हैं।
8. पौराणिक गाथाओं से सम्बद्ध पद है।
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' का जीवन परिचय
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. गोस्वामी तुलसीदास– जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
2. नाटक क्या है? | नाटक का इतिहास एवं प्रमुख नाटककार
3. सूरदास का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
4. जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
5. एकांकी क्या है? | एकांकी का इतिहास एवं प्रमुख एकांकीकार
हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. छायावाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
2. रहस्यवाद (विशेषताएँ) तथा छायावाद व रहस्यवाद में अंतर
3. प्रगतिवाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
4. प्रयोगवाद– विशेषताएँ एवं महत्वपूर्ण कवि
5. नई कविता– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
Comments