आत्मकथा क्या होती है? | प्रमुख आत्मकथा लेखक एवं उनकी रचनाएँ
आत्मकथा की परिभाषा
आत्मकथा हिन्दी साहित्य की वह गद्य विधा है, जिसमें लेखक अपनी स्वयं की कथा लिखता है। आत्मकथा काल्पनिक भी हो सकती है। इसमें रचनाकार दृष्टा और भोक्ता दोनों बना रहता है। मानव जीवन में अटूट आस्था का होना आत्मकथा का प्रमुख तत्व है। आत्मकथा के द्वारा देशकाल और वातावरण का सही ज्ञान होता है। साथ ही मूल घटना का कोई पक्ष अस्पष्ट नहीं रहता। घटना सूत्र कहीं प्रधान रूप धारण करता है और कहीं गौण रहता है। आत्मकथा में लेखक के अनेक अज्ञात व गोपनीय पहलू प्रगट होते हैं। इसमें घटनाओं के स्थान पर व्यक्तित्व प्रकाशन और आत्मोद्घाटन पर बल दिया जाता है। भारतेन्दु युग अन्य विधाओं की भाँति इस विधा के लिए भी उर्वर सिद्ध हुआ है।
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प्रमुख आत्मकथा लेखक एवं उनकी रचनाएँ
हिन्दी साहित्य के प्रमुख आत्मकथा लेखक एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र– कुछ आप बीती कुछ जग बीती
2. वियोगी हरि– मेरा जीवन प्रवाह
3. राहुल सांकृत्यायन– मेरी जीवन यात्रा
4. महात्मा गांधी– सत्य के प्रयोग
5. गुलाबराय– मेरी असफलताएँ
6. हरिवंश राय बच्चन– क्या भूलूँ? क्या याद करूँ?
7. पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र– अपनी खबर।
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1. यह तन काँचा कुम्भ है – कबीर दास
2. नाम अजामिल-से खल कोटि – गोस्वामी तुलसीदास
3. एहि घाटतें थोरिक दूरि अहै– गोस्वामी तुलसीदास
4. रावरे दोषु न पायन को – गोस्वामी तुलसीदास
5. प्रभुरुख पाइ कै, बोलाइ बालक घरनिहि – गोस्वामी तुलसीदास
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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