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मगध का हर्यक वंश– बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदायिन, नागदशक

हर्यक वंश के प्रमुख शासक

हर्यक वंश के प्रमुख शासक एवं उनके शासन करने की अवधि निम्नलिखित है–
1. बिम्बिसार (52 वर्ष) - 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व,
2. अजातशत्रु (32 वर्ष) - 492 ईसा पूर्व से 460 ईसा पूर्व,
3. उदायिन (16 वर्ष) - 460 ईसा पूर्व से 444 ईसा पूर्व,
4. नागदशक (32 वर्ष) - 444 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व।

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बिम्बिसार (544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व)

बिम्बिसार मगध का प्रथम शक्तिशाली शासक था। इसे हर्यक वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। इसके शासनकाल के दौरान मगध ने विशिष्ट राजनीतिक प्रतिष्ठा प्राप्त की। बिम्बिसार केवल 15 वर्ष की आयु में मगध का राजा बन गया था। उसने अपनी समझदारी, प्रतिभा और दूरदर्शिता के द्वारा मगध को भारतवर्ष के सबसे समृद्ध राज्य के रूप में स्थापित किया था। बिम्बिसार ने लगभग 52 वर्षों तक शासन किया। जैन साहित्य के अनुसार उसका एक अन्य नाम 'श्रेणिक' था।

उसने वैवाहिक सम्बन्धों के द्वारा अपने राज्य मगध की नींव रखी थी। बिम्बिसार ने निम्नलिखित विवाह किये थे–
1. बिम्बिसार ने प्रथम विवाह कोशलराज की पुत्री महाकोशला देवी से किया था। वह प्रसेनजित की बहन थी। इस विवाह में बिम्बिसार को काशी प्रान्त उपहार स्वरूप प्रदान किया गया था। काशी से एक लाख रुपये की वार्षिक आय होती थी।
2. बिम्बिसार ने दूसरा विवाह वैशाली की लिच्छवि राजकुमारी चेल्लना (छलना) से किया था। इसी लिच्छवि राजकुमारी से बिम्बिसार का पुत्र अजातशत्रु उत्पन्न हुआ था।
3. बिम्बिसार ने तीसरा विवाह पंजाब के मद्र कुल की राजकुमारी क्षेमा से किया था।

वैवाहिक सम्बन्धों के द्वारा बिम्बिसार को विशिष्ट राजनीतिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। मगध से उत्तर भारत की ओर राज्य विस्तार का मार्ग प्रसस्त हुआ। इस प्रकार बिम्बिसार ने एक समृद्ध और शक्तिशाली साम्राज्य का निर्माण किया। बिम्बिसार ने अंग को जीतकर उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया तथा अपने पुत्र अजातशत्रु को वहाँ का शासक नियुक्त किया। बिम्बिसार ने अवन्ति नरेश चंडप्रद्योत को मित्रता की और अपने राजवैद्य जीवक को उसके उपचार के लिए भेजा। बिम्बिसार की उसके पुत्र अजातशत्रु ने हत्या कर दी और अजातशत्रु स्वयं 492 ईसा पूर्व को मगध का राजा बन गया।

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अजातशत्रु (492 ईसा पूर्व से 460 ईसा पूर्व)

बिम्बिसार के पश्चात् मगध पर उसके पुत्र अजातशत्रु ने शासन किया। वह लगभग 492 ईसा पूर्व को मगध का राजा बना था। उसने 460 ईसा पूर्व तक शासन किया। उसका उपनाम 'कुणिक' था। अपने 32 वर्षों के शासनकाल के दौरान अजातशत्रु ने कई युद्ध किये और अपने राज्य का विस्तार किया। वह जैन धर्म का अनुयायी था। पुराणों के अनुसार उसने लगभग 28 वर्षों तक शासन किया।

अजातशत्रु का कोशल नरेश प्रसेनजित से युद्ध हुआ था। इस युद्ध में प्रसेनजित की पराजय तथा अजातशत्रु की विजय हुई थी। आगे चलकर दोनों राजाओं के मध्य सन्धि हो गई और प्रसेनजित ने अपनी पुत्री राजकुमारी वाजिरा का विवाह अजातशत्रु से करवा दिया। अजातशत्रु का लिच्छवियों से भी युद्ध हुआ था। इस युद्ध में अजातशत्रु की जीत हुई थी। इस युद्ध में अजातशत्रु की उसके कूटनीतिज्ञ मित्र 'वस्सकार' ने बहुत सहायता की थी। इस युद्ध में अजातशत्रु ने 'महाशिलाकंटक' तथा 'रथमूसल' जैसे अस्त्रों का प्रयोग किया था। अजातशत्रु के शासनकाल के दौरान राजगृह की सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था। 460 ईसा पूर्व के दौरान अजातशत्रु की उसके पुत्र उदायिन ने हत्या कर दी।

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उदायिन (460 ईसा पूर्व से 444 ईसा पूर्व)

अजातशत्रु के बाद उसका पुत्र उदायिन मगध का शासक बना।उसने लगभग 460 ईसा पूर्व से शासन करना आरम्भ किया था। वह लगभग 444 ईसा पूर्व तक मगध पर शासन करता रहा। उसने लगभग 16 वर्षों तक शासन किया था। पुराणों और जैन ग्रन्थों के अनुसार उदायिन ने गंगा और सोन नदी के संगम तट पर कुसुमपुरा (पाटलिपुत्र) नामक नगर की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया। वह जैन धर्म का उपासक था।

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नागदशक (444 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व)

उदायिन के पश्चात् उसका पुत्र नागदशक मगध का राजा बना। वह हर्यक वंश का अन्तिम शासक था। उसने लगभग 444 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व तक शासन किया। उसने लगभग 32 वर्षों तक शासन किया। वह एक अयोग्य शासक था। उसके अमात्य शिशुनाग ने उसकी हत्या कर दी। शिशुनाग ने लगभग 412 ईसा पूर्व के दौरान मगध पर एक नये वंश शिशुनाग वंश की नींव रखी। इस प्रकार मगध से हर्यक वंश का अंत हो गया।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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