अलंकार क्या है? | वक्रोक्ति, अतिशयोक्ति और अन्योक्ति अलंकार
अलंकार की परिभाषा
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों या धर्मों को अलंकार कहा जाता है। अलंकार का सामान्य अर्थ 'गहना' या 'अभूषण' होता है।
अलंकार के प्रकार
अलंकार मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं–
1. शब्दालंकार
2. अर्थालंकार
3. उभयालंकार।
वक्रोक्ति, अतिशयोक्ति और अन्योक्ति अलंकार, शब्दालंकार और अर्थालंकार के अंतर्गत आते हैं।
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वक्रोक्ति अलंकार
जहाँ कथित का ध्वनि द्वारा दूसरा अर्थ ग्रहण किया जाए, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण– 1. मैं सुकुमारि नाथ वन जोगु।
तुमहि उचित तप, मोकहूँ भोगू।
जब भगवान श्री राम ने सीताजी से उनके साथ न आने के लिए आग्रह किया था, तब सीताजी भगवान श्रीराम से उपरोक्त वाक्य कहा था। इसका अर्थ होता है, कि मैं राजकुमारी हूँ और महलों में रहने के योग्य है तथा आप वन में रहने के योग्य हैं। आप वन में रहकर तप करेंगे और मैं यहाँ महलों में सुख से रहूँगी।
2. को तुम हौ? घन श्याम अहै? घन श्याम अहौ कितहूँ बरसौ
चितचोर कहावत है हम तो, तहँ जाँहु जहाँ घन है सरसौ।
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अतिशयोक्ति अलंकार
जहाँ लोक सीमा का अतिक्रमण करके किसी वस्तु या विषय का वर्णन बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण– 1. पड़ी अचानक नदी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।
2. देख लो साकेत नगरी है यही
स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।
3. अद्भुत एक अनुपम बाग
जुगल कमल पर गज क्रीडत है, तापर सिंह करत अनुराग।
4. पानी परात को हाथ छुयो नहीं नैनन के जल से पग धोए।
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अन्योक्ति अलंकार
जहाँ प्रस्तुत के माध्यम से अप्रस्तुत का अर्थ ध्वनित हो, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। अर्थात् जहाँ किसी बात को सीधे या प्रत्यक्ष न कहकर अप्रत्यक्ष रूप से कहते हैं, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण– 1. माली आवत देखकर, कलियन करि पुकारि
फूले-फूले चुन लिए, काल्हि हमारी बारि।
2. जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सो बीति बहार
अब अलि रही गुलाब में, अपत कटीली डार।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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