
रीतिकाल की विशेषताएँ और धाराएँ | प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ
रीतिकाल की धाराएँ
रीतिकालीन काव्य को तीन धाराओं में विभाजित किया जा सकता है–
1. रीतिबद्ध काव्य
2. रीतिमुक्त काव्य
3. रीतिसिद्ध काव्य।
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अर्थ के आधार पर वाक्यों के प्रकार
रीतिकाल की विशेषताएँ
रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
1. प्रकृति का उद्दीपन रूप में चित्रण।
2. ब्रज मिश्रित अवधी भाषा का प्रयोग।
3. वीर एवं श्रृंगार रस की प्रधानता।
4. नीति और भक्ति सम्बन्धी काव्य रचनाएँ।
5. मुक्तक काव्य रचनाएँ।
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प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ
रीतिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. घनानन्द– सुजान सागर
2. केशवदास– कविप्रिया, रामचन्द्रिका
3. पद्माकर– पद्माभरण
4. भूषण– शिवराज भूषण
5. बिहारी– बिहारी सतसई
6. रसनिधि– विष्णुपद कीर्तन।
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1. आए हौ सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपै– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
2. जो पूर्व में हमको अशिक्षित या असभ्य बता रहे– मैथिलीशरण गुप्त
3. जो जल बाढ़ै नाव में– कबीरदास
4. देखो मालिन, मुझे न तोड़ो– शिवमंगल सिंह 'सुमन'
5. शब्द सम्हारे बोलिये– कबीरदास
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
pragyaab.com
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