हिन्दी गद्य विधा 'रेखाचित्र' क्या होते हैं? | संस्मरण और रेखाचित्र में अन्तर
रेखाचित्र की परिभाषा
जिस विधा में क्रमबद्धता का ध्यान न रखकर किसी व्यक्ति की आकृति, उसकी चाल-ढाल, स्वभाव, अन्य शारीरिक विशेषताओं आदि का शब्दों द्वारा सजीव चित्रण किया जाता है, रेखाचित्र कहलाता है। इसे अंग्रेजी भाषा में 'रेखाचित्र' कहा जाता है। रेखाचित्र मूल रूप से चित्रकला का शब्द है। रेखाओं के द्वारा बना हुआ चित्र रेखाचित्र कहलाता है। चित्र में रेखाएँ जो काम करती हैं, वही काम साहित्य में शब्द करते हैं।
जब लेखक शब्दों के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु या दृश्य का इस प्रकार वर्णन करता है कि आँखों के आगे उस व्यक्ति, वस्तु या दृश्य का चित्र खिंचता चला जाए, तो इसे रेखाचित्र कहा जाता है। इसे 'शब्दचित्र' भी कहा जाता है। अतः जब हम किसी घटना, व्यक्ति या वस्तु का शब्दों के माध्यम से ऐसा कलात्मक वर्णन करते हैं कि आँखों के सामने उस घटना, व्यक्ति या वस्तु का चित्र उपस्थित हो जाता है, तो उसे रेखाचित्र कहा जाता है। रेखाचित्र, गद्य के नए रूप की प्रमुख विधा है। श्री रामवृक्ष बेनीपुरी ने 'शब्दचित्र' को रेखाचित्र कहा है। कलात्मकता इसकी पहली शर्त है।
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रेखाचित्रकार एवं उनकी रचनाएँ
हिन्दी साहित्य के प्रमुख रेखाचित्रकार एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. रामवृक्ष बेनीपुरी– माटी की मूरतें
2. महादेवी वर्मा– अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ
3. माखनलाल चतुर्वेदी– समय के पांव
4. बनारसीदास चतुर्वेदी– औरंगजेब (यह हिन्दी का प्रथम रेखाचित्र है और सन् 1912 में रचित किया गया था।)
5. कृष्णा सोबती– हम हशमत।
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रेखाचित्र और संस्मरण में अन्तर
रेखाचित्र और संस्मरण में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं–
1. संस्मरण किसी विशेष व्यक्ति का ही होता है, जबकि रेखाचित्र किसी सामान्य व्यक्ति का भी हो सकता है।
2. संस्मरण वास्तविक होता है। अर्थात् यह यथार्थ प्रधान होता है। रेखाचित्र चरित्रप्रधान होता है।
3. संस्मरण व्यक्तिपरक होता है। रेखाचित्र में लेखक पूर्णतः तटस्थ होता है।
4. संस्मरण का विषय कोई विशेष व्यक्ति या विशेष घटना होता है, जबकि रेखाचित्र के विषय विविध हो सकते हैं।
5. संस्मरण विषयी प्रधान होता है, रेखाचित्र विषय प्रधान होता है।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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