प्राचीन भारत के पुरातात्विक स्त्रोत– अभिलेख, स्मारक, भवन, सिक्के, मूर्तियाँ, चित्रकला, मुहरें
प्राचीन भारत के पुरातात्विक स्त्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के प्रमुख पुरातात्विक स्रोत निम्नलिखित हैं–
1. अभिलेख
2. स्मारक एवं भवन
3. प्राचीन सिक्के
4. मूर्तिकला
5. चित्रकारी
6. प्राचीन मुहरें।
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अभिलेख क्या होते हैं? | प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेख
स्मारक एवं भवन
प्राचीन काल में भारत में बहुत से मन्दिरों का निर्माण किया गया था। इन मंदिरों के अवशेष सम्पूर्ण भारत में बिखरे हुए हैं। इन मन्दिरों से जनता की धर्मनिष्ठा और आध्यात्मिकता का पता चलता है। मंदिरों के अलावा महलों का भी निर्माण किया गया था। महलों और मंदिरों के निर्माण की विभिन्न शैलियों से प्राचीन भारत में वास्तुकला के विकास का ज्ञान होता है। देवगढ़ का दशावतार मंदिर (झाँसी), भीतरगाँव का मन्दिर (कानपुर) आदि हिन्दु वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। भारत के अतिरिक्त दक्षिण-पूर्व एशिया के कई द्वीपों से हिन्दु कला एवं संस्कृति के स्मारक प्राप्त हुए हैं। कम्बोडिया में स्थित अंगकोरवाट मन्दिर हिन्दु कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
प्राचीन भारत में मन्दिरों के निर्माण की शैलियों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है–
1. नागर शैली– उत्तर भारत के मन्दिरों का निर्माण इस शैली में किया गया था। खजुराहो का कन्दरिया महादेव मन्दिर इस शैली में निर्मित किया गया था।
2. बेसर शैली– इस शैली के मन्दिरों का निर्माण मध्य भारत में किया जाता था।
3. द्रविड़ शैली– इस शैली के मन्दिरों का निर्माण दक्षिण भारत में किया जाता था। तंजौर का राजराजेश्वर मन्दिर द्रविड़ शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है।
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1. प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के स्त्रोत | पुरातात्विक स्त्रोत और साहित्यिक स्त्रोत || Sources To Know Ancient Indian History
2. मगध का हर्यक वंश– बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदायिन, नागदशक
3. मगध का नन्द वंश– महापद्मनन्द, धनानन्द
प्राचीन सिक्के
प्राचीन काल में राजाओं द्वारा सिक्के ढलवाए जाते थे। इन सिक्कों से कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। सिक्कों के अध्ययन को 'न्यूमिस्मेटिक्स' कहा जाता है। सर्वाधिक सिक्के 206 ईसा पूर्व से लेकर 300 ईस्वी तक के भारतीय इतिहास के प्राप्त हुए हैं। कुछ सिक्कों पर तिथि भी अंकित है। इनसे कालक्रम का निर्धारण करने में सहायता प्राप्त होती है। प्राचीन सिक्के ताँबा, चाँदी, सोना, सीसा आदि धातुओं से निर्मित किए जाते थे। प्राचीन सिक्कों को 'आहत सिक्के' या 'पंचमार्क सिक्के' कहा जाता था। ये सिक्के ईसा पूर्व पाँचवी सदी के हैं। ये सिक्के ठप्पा मारकर बनाये जाते थे। इस कारण भारतीय भाषाओं में इन्हें आहत मुद्रा कहा जाता है। इन सिक्कों पर पेड़, मछली, साँड़, हाथी और अर्द्धचन्द्र आदि चिह्न बने हुए प्राप्त हुए हैं। सर्वाधिक सिक्कों का निर्माण मौर्योत्तर काल में किया गया था। ये सिक्के सीसा, चाँदी, ताँबा, सोना आदि धातुओं के बनाये जाते थे। सातवाहन शासकों ने सीसे और गुप्त शासकों ने सोने के सिक्के चलवाये थे। सिक्कों पर सर्वप्रथम लेख लिखने का कार्य यवन शासकों ने किया। समुद्रगुप्त की एक मुद्रा प्राप्त हुई है, जिसमें उसे वीणा बजाते हुए दिखाया गया है। यह समुद्रगुप्त के संगीत प्रेमी होने का प्रमाण है।
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मूर्तिकला
प्राचीन भारत में मूर्तियों के निर्माण की प्रथा कुषाण काल से आरम्भ हुई थी। कुषाण काल में निर्मित मूर्तियों पर विदेशों का प्रभाव दिखाई देता है। मथुरा कला की मूर्तियाँ पूर्णतः स्वदेशी हैं। भरहुत, बोधगया, साँची, अमरावती आदि स्थानों से विभिन्न मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। इन मूर्तियों से जनसाधारण के जीवन की अति सजीव झलक देखने को मिलती है।
चित्रकारी
अजंता की गुफाओं से विभिन्न प्राचीन चित्र प्राप्त हुए हैं। इन चित्रों में मनोभावों की सुन्दर झलक देखने को मिलती है। 'माता और शिशु', 'मरणासन्न राजकुमारी' आदि गुप्त काल में निर्मित चित्र हैं। इन चित्रों से गुप्त काल की कलात्मक उन्नति का ज्ञान होता है। अजंता की सबसे प्रसिद्ध चित्रकारी 'बोधिसत्व पद्मपाणि' का चित्र है। यह चित्रित चित्रकारी है।
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2. हड़प्पा सभ्यता के स्थल एवं उनसे प्राप्त वास्तुकला एवं मूर्तिकला के उदाहरण | Harappan Architecture And Sculpture
3. हड़प्पा सभ्यता की वास्तुकला | Architecture Of Harappan Civilization
4. हड़प्पा सभ्यता की मोहरें | Seals Of Harappan Civilization
5. हड़प्पा सभ्यता की मूर्ति कला | Statues Of Harappan Civilization
प्राचीन मुहरें
प्राचीन मुहरों से भारतीय इतिहास के विषय में बहुत सी जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। इनसे प्राचीन भारत के व्यापारिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन के विषय में ज्ञान होता है। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और बसाढ़ से मिट्टी की मुहरें प्राप्त हुई हैं। इन मुहरों पर विभिन्न धार्मिक प्रतीक बने हुए हैं।
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1. मौर्य कला एवं स्थापत्य कला | Mauryan Art - Architecture
2.मौर्य काल की दरबारी कला | Court Art Of The Mauryan Period
3. मौर्य काल की लोकप्रिय कला | Popular Art Of The Mauryan Period
4. मौर्योत्तर कालीन कला की जानकारी | Post-Mauryan Art
5. मौर्योत्तर काल की स्थापत्य कला- गुफाएँ एवं स्तूप | Architecture Of The Post-Mauryan Period - Caves And Stupas
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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