प्राचीन भारत के ऐतिहासिक स्त्रोत– ब्राह्मण ग्रंथ, वेदांग, सूत्र, महाकाव्य, पुराण
ब्राह्मण ग्रंथ
ब्राह्मण ग्रंथों से उत्तर वैदिक कालीन समाज और संस्कृति से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। प्राचीन भारत के ऐतिहासिक स्त्रोतों में ब्राह्मण ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है। ब्राह्मण ग्रंथ वैदिक साहित्य की व्याख्या हेतु लिखे गए थे। ये ग्रंथ केवल पद्य के रूप में हैं, गद्य के रूप में नहीं। प्रत्येक वैदिक संहिता के लिए अलग-अलग ब्राह्मण ग्रंथ लिखे गए हैं। प्राचीन भारत के वेद एवं उनके ब्राह्मण ग्रंथ निम्नलिखित हैं–
1. ऋग्वेद– ऐतरेय और कौषितकी ब्राह्मण
2. यजुर्वेद– शतपथ और तैत्तिरीय ब्राह्मण
3. सामवेद– पञ्चविश और षडविश ब्राह्मण
4. अथर्व वेद– गोपथ ब्राह्मण।
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प्राचीन भारत के पुरातात्विक स्त्रोत 'वेद'– ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद
वेदांग
वेदों को भली-भाँति समझने के लिए वेदांगों की रचना की गई थी। ये ग्रंथ वेदों के शुद्ध उच्चारण तथा यज्ञ आदि करने में सहायक थे। वैदिक काल के प्रमुख वेदांग निम्नलिखित हैं–
1. शिक्षा– उच्चारण विधि
2. ज्योतिष– भाग्यफल
3. कल्प– कर्मकाण्ड
4. व्याकरण– शब्द व्युत्पत्ति
5. निरुक्त– भाषा विज्ञान
6. छन्द– चतुष्पदी श्लोक।
सूत्र
वैदिक साहित्य को अक्षुण्ण बनाए रखने हेतु सूत्र साहित्य की रचना की गई थी। सूत्रों के अध्ययन से यज्ञीय विधि-विधानों, कर्मकाण्डों, राजनीति, विधि, व्यवहार आदि से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। प्रमुख सूत्र निम्नलिखित हैं–
1. श्रौत सूत्र
2. गृह्य सूत्र
3. धर्म सूत्र।
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महाकाव्य
वैदिक साहित्य के पश्चात् भारतीय साहित्य में महाकाव्यों का समय आता है। भारत के दो प्रमुख महाकाव्य रामायण और महाभारत हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से महाकाव्यों को विशेष महत्व नहीं दिया जाता, क्योंकि इन ग्रंथों में वर्णित अधिकांश कथाएँ काल्पनिक हैं।
रामायण– यह भारतवर्ष का आदिकाव्य है। इसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। इस ग्रंथ में हिन्दुओं, यवनों और शकों के संघर्ष का वर्णन किया गया है।
महाभारत– इसकी रचना वेदव्यास ने की थी। इस महाकाव्य से प्राचीन भारत की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक दशा का ज्ञान होता है।
पुराण
पुराणों में प्राचीन भारत की घटनाओं का क्रमबद्ध वर्णन किया गया है। इनकी कुल संख्या 18 है। पुराणों के रचयिता और संकलनकर्ता लोमहर्ष और उनके पुत्र उग्रश्रवा हैं। सभी पुराणों में मत्स्यपुराण सबसे प्राचीन और प्रामाणिक माना जाता है। पुराणों के माध्यम से प्राचीन काल से लेकर गुप्त काल तक की ऐतिहासिक घटनाओं के विषय में जानकारी मिलती है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले के इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए पुराण एकमात्र विश्वसनीय साहित्यिक स्रोत हैं।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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