सिन्धु (हड़प्पा) सभ्यता की नगर योजना और नगरों की विशेषताएँ
सिन्धु सभ्यता की नगरीय व्यवस्था की विशेषताएँ
सिन्धु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। यह अपनी समकालीन अन्य सभ्यताओं की तुलना में अधिक विकसित थी। पुरातात्त्विक अवशेषों और अनुसंधानों से हमें सिंधु सभ्यता की नगरीय व्यवस्था का ज्ञान होता है। इस नगरीय व्यवस्था की सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित थीं–
1. पर्यावरण के अनुकूल अद्भुत नगर नियोजन।
2. जल निकास प्रणाली।
इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। (Also read these 👇 episodes of History.)
सिंधु घाटी सभ्यता– परिचय, खोज, नामकरण, काल निर्धारण एवं भौगोलिक विस्तार
नगरों का वर्गीकरण
इस सभ्यता के लगभग सभी नगर निम्नलिखित दो भागों में विभाजित थे–
1. प्रथम भाग– इस भाग में ऊँचे दुर्ग निर्मित थे। इन दुर्गों में शासक वर्ग के लोग निवास करते थे।
2. दूसरा भाग– इस भाग में नगर अथवा आवास क्षेत्र के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। ये अपेक्षाकृत बड़े थे। सामान्यतः इन स्थानों पर शिल्पकार, कारीगर व श्रमिक निवास करते थे।
इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। (Also read these 👇 episodes of History.)
प्राचीन काल में भारत आने वाले चीनी यात्री– फाहियान, ह्वेनसांग, इत्सिंग
सिन्धु सभ्यता के नगरों की विशेषताएँ
सिन्धु सभ्यता के नगरों हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और कालीबंगा की नगर योजना लगभग एकसमान थी। कालीबंगा और रंगपुर को छोड़कर इस सभ्यता के शेष सभी नगरों के निर्माण के लिए पकी हुई ईटों का प्रयोग किया गया था। सामान्यतः प्रत्येक घर में एक आंगन, एक रसोईघर और एक स्नानागार होता था। अधिकतर घरों में कुओं के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के नगरों में बड़े-बड़े भवन थे।
इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। (Also read these 👇 episodes of History.)
प्राचीन भारत के बारे में यूनान और रोम के लेखकों ने क्या लिखा?
सिन्धु सभ्यता के नगरों के चारों ओर प्राचीर बनाकर किले का निर्माण किया गया था। ऐसी व्यवस्था का उद्देश्य नगर को चोर, लुटेरों, पशु दस्युओं आदि से सुरक्षित रखना था। मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार सिन्धु सभ्यता का अद्भुत निर्माण है। अन्नागार इस सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। (Also read these 👇 episodes of History.)
प्राचीन भारत के राजाओं के जीवन पर लिखी गई पुस्तकें
सिन्धु सभ्यता के घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ मुख्य सड़क पर न खुलकर गलियों की ओर खुलते थे, किन्तु लोथल इसका अपवाद है। इस नगर के दरवाजे और खिड़कियाँ मुख्य सड़कों की ओर खुलते थे। मकान का निर्माण करने के लिए कई प्रकार की ईटों का प्रयोग किया जाता था। इनमें 4:2:1 (लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई का अनुपात) के आकार की ईटें सबसे अधिक प्रचलित थी।
इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। (Also read these 👇 episodes of History.)
प्राचीन भारत का इतिहास जानने के साहित्यिक स्त्रोत– बौद्ध साहित्य और जैन साहित्य
सिन्धु सभ्यता में स्वच्छता को विशेष महत्व दिया गया है। सिन्धु सभ्यता के नगरों की सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। सड़कों के किनारे स्थित नालियाँ ऊपर से ढकी होती थीं। घरों से निकलने वाला गन्दा पानी इन्हीं नालियों से होता हुआ नगर को मुख्य नाली में गिरता था।
"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। (Also read these 👇 episodes of "Indian Art and Culture".)
1. मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली | Post-Mauryan Sculpture– Gandhara, Mathura And Amravati Style
2. मूर्तिकला शैली - गांधार, मथुरा तथा अमरावती शैलियों में अंतर | Sculptural Style – Difference Between Gandhara, Mathura And Amravati Styles
3. यूनानी कला एवं रोमन मूर्ति-कला | Greek Art And Roman Sculpture
4. शरीर की विभिन्न मुद्राएँ - महात्मा बुद्ध से संबंधित | Various Body Postures Related To Mahatma Buddha
5. हिन्दू मंदिरों के महत्वपूर्ण अवयव- गर्भगृह, मंडप, शिखर, वाहन | Hindu Temples– Sanctum Sanctorum, Pavilion, Peak, Vehicle
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
Comments