शासन व्यवस्था के प्रकार– संसदीय शासन व्यवस्था और राष्ट्रपति शासन व्यवस्था
शासन व्यवस्था और उसके प्रकार
किसी लोकतांत्रिक देश पर शासन करने के लिए 'शासन व्यवस्था' की आवश्यकता होती है। देश की सरकार की कार्यपालिका और विधायिका के अंगों के बीच सम्बन्धों की प्रकृति के आधार पर शासन व्यवस्था का वर्गीकरण किया जाता है। इस आधार पर शासन व्यवस्था को मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है–
1. संसदीय शासन व्यवस्था
2. राष्ट्रपति शासन व्यवस्था।
किसी भी लोकतांत्रिक देश में इनमें से किसी एक प्रकार की शासन व्यवस्था के द्वारा ही सरकार का संचालन किया जाता है।
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संसदीय शासन व्यवस्था
इस शासन व्यवस्था में कार्यपालिका (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद्) अपनी नीतियों और कार्यों के लिए विधायिका (राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा) के प्रति उत्तरदायी होती है। संसदीय शासन व्यवस्था को 'कैबिनेट सरकार', 'उत्तरदायी सरकार' और 'सरकार का वेस्टमिंस्टर स्वरूप' भी कहा जाता है। यह शासन व्यवस्था जापान, कनाडा, भारत आदि देशों में प्रचलित है। आइवर जेनिंग्स ने इस शासन व्यवस्था को कैबिनेट व्यवस्था कहा है। इस व्यवस्था में शक्ति का केन्द्र कैबिनेट होता है। इस व्यवस्था में कैबिनेट (वास्तविक कार्यकारिणी) संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। इस व्यवस्था में कैबिनेट के मंत्रियों का कार्यकाल तब तक चलता रहता है, जब तक कि उन्हें संसद में विश्वास प्राप्त है।
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राष्ट्रपति शासन व्यवस्था
इस शासन व्यवस्था में कार्यपालिका (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद्) अपनी नीतियों और कार्यों के लिए विधायिका (राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा) के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। संवैधानिक रूप से कार्यपालिका (प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद्) अपने कार्यकाल के मामले में विधायिका से स्वतंत्र होती है। राष्ट्रपति शासन व्यवस्था को 'गैर-उत्तरदायी व्यवस्था', 'गैर-संसदीय व्यवस्था' और 'निश्चित कार्यकारी व्यवस्था' भी कहा जाता है। यह शासन व्यवस्था अमेरिका, ब्राजील, रूस, श्रीलंका आदि देशों में प्रचलित है।
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भारत की शासन व्यवस्था
भारत की सरकार संसदीय शासन व्यवस्था के द्वारा संचालित होती है। भारत का संविधान केन्द्र तथा राज्य दोनों में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था करता है। संविधान के अनुच्छेद 74 व 75 में केन्द्र की संसदीय व्यवस्था के बारे में जानकारी दी गई है। साथ ही अनुच्छेद 163 व 164 में राज्यों की संसदीय व्यवस्था के विषय में जानकारी दी गई है। संसदीय शासन व्यवस्था की उत्पत्ति ब्रिटेन की शासन व्यवस्था से हुई है। ब्रिटिश संसद के उद्भव के उपरान्त संसदीय व्यवस्था को 'सरकार का वेस्टमिंस्टर मॉडल' कहा जाने लगा। बीते कुछ वर्षों में ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था में प्रधानमंत्री की शक्तियाँ बढ़ी हैं। प्रधानमंत्री, देश की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने लगा है। अतः क्रॉसमैन और मैकिन्टोश जैसे राजनीतिक विश्लेषकों ने ब्रिटिश सरकार की व्यवस्था को 'प्रधानमंत्री शासित सरकार' कहा है। शासन व्यवस्था की यह स्थिति भारत में भी लागू होती है।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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