ऋग्वैदिक काल के क्षेत्र– ब्रह्मवर्त्त, आर्यावर्त और सप्त सैंधव क्षेत्र
ब्रह्मवर्त्त और ब्रह्मर्षि देश
वैदिक सभ्यता (आर्य सभ्यता) के आरम्भिक काल अर्थात् ऋग्वैदिक काल (1500 ई.पू. से 1000 ई.पू.) में आर्य लोग 'ब्रह्मवर्त्त' (प्राचीन भारत का क्षेत्र) में निवास करते थे। मनुस्मृति में दिये गये विवरण के अनुसार, सरस्वती और दृशद्वती नदियों के मध्य का प्रदेश ब्रह्मवर्त कहलाता था। कुछ अन्य साक्ष्यों के अनुसार, सतलज नदी से यमुना नदी तक का क्षेत्र ब्रह्मवर्त कहलाता था। ब्रह्मवर्त को ऋग्वैदिक सभ्यता का केन्द्र कहा जाता है। ऋग्वैदिक काल में आर्यों ने गंगा और यमुना के दोआब क्षेत्र तथा उसके सीमावर्ती क्षेत्रों को अपने अधिकृत कर लिया था। इसे क्षेत्र को 'ब्रह्मर्षि देश' कहा गया।
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आर्यावर्त
गंगा और यमुना के दोआब क्षेत्र तथा उसके सीमावर्ती क्षेत्रों अर्थात् ब्रह्मर्षि देश को अधिकृत करने के पश्चात् आर्यों ने सम्पूर्ण उत्तर भारत को अपने अधिकृत कर लिया था। अतः सम्पूर्ण उत्तर भारत को 'आर्यावर्त' कहा गया। ऋग्वेद में दिये गये विवरण के अनुसार आर्यों का विस्तार अफगानिस्तान, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक था।
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सप्त सैंधव क्षेत्र
ऋग्वेद में दिये गये विवरण के अनुसार ऋग्वैदिक काल में आर्य लोग मुख्य रूप से सप्त सैंधव क्षेत्र (सात नदियों के क्षेत्र) में निवास करते थे। सप्त सैंधव क्षेत्र की सात नदियाँ निम्नलिखित हैं–
1. सिन्धु (इण्डस)
2. सरस्वती (वर्तमान में विलुप्त हो चुकी है।)
3. शतुद्रि (सतलज)
4. विपासा (व्यास)
5. परुष्णी (रावी)
6. वितस्ता (झेलम)
7. अस्किनी (चिनाब)।
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ऋग्वैदिक काल की नदियाँ
वैदिक संहिताओं में 31 नदियों का उल्लेख मिलता है। इनमें से 25 नदियों का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद के नदी सूक्त में 21 नदियों का वर्णन किया गया है। ऋग्वैदिक काल में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी 'सिन्धु' थी। इस काल में सबसे पवित्र नदी 'सरस्वती' को माना जाता था। इसे 'देवीतमा', 'मातेतमा' और 'नदीतमा' कहा गया है। ऋग्वेद में गंगा नदी का एक बार तथा यमुना नदी का तीन बार नाम लिया गया है। ऋग्वेद में हिमालय पर्वत का उल्लेख मिलता है। साथ ही इसकी एक चोटी 'मुजवंत' का भी उल्लेख मिलता है। सप्त सैंधव क्षेत्र की नदियों के अतिरिक्त ऋग्वैदिक काल की अन्य महत्वपूर्ण नदियाँ निम्नलिखित हैं–
1. गोमल (गोमती)
2. काबुल (कुम्भ/कुम्भा)
3. गंडक (सदानीरा)
4. कुर्रम (कुमु)।
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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