भारत में हिन्दू धर्म– वैष्णववाद, शैववाद, शक्तिवाद, स्मार्तवाद
हिन्दू धर्म
हिन्दू धर्म भारत के विशालतम धर्मों में से एक है। यह विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक है। इस धर्म के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की मत और पन्थ पाये जाते हैं। इस धर्म के मूल सिद्धान्त पूर्व-वैदिक व वैदिक दर्शनों से लिये गये हैं।
'हिन्दू' शब्द की उत्पत्ति
भारत पर सर्वप्रथम आक्रमण करने वाला विदेशी देश ईरान है। प्राचीन काल में लगभग 2800 ईसा पूर्व के दौरान ईरान के पार्शियन सम्राट डेरियस प्रथम ने भारत पर आक्रमण किया था और सिन्धु नदी के आसपास के कुछ क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की थी। उसने इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य का एक प्रान्त बना लिया था। पर्शिया वासी 'स' शब्द का उच्चारण नहीं कर पाते थे। अतः उन्होंने 'सिन्धु' को 'हिन्दू' कहा। आगे चलकर सिन्धु नदी के आसपास निवास करने वाले लोगों को 'हिन्दू' कहा गया और उनका धर्म हिन्दू धर्म कहलाया।
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हिन्दू धर्म की परम्पराएँ
हिन्दू धर्म की परम्पराओं के अनुसार, जीवन के प्रारम्भ में मनुष्य को काम (सुख) और अर्थ (धन) की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिए। इन्हें प्राप्त करने के पश्चात् मनुष्य को धर्म (साधुता) को अपने जीवन का लक्ष्य बना लेना चाहिए।
जीवन की अवस्थाएँ
हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथों उपनिषदों में मनुष्य के जीवन की चार अवस्थाएँ बतायी गई हैं–
1. ब्रम्हचर्य– इसके अन्तर्गत मनुष्य प्रारम्भ में अविवाहित जीवन जीता है।
2. गृहस्थ– युवान होने के पश्चात् व्यक्ति का विवाह करवा दिया जाता है और वह गृहस्थ जीवन व्यतीत करता है।
3. वानप्रस्थ– एक निश्चित आयु के पश्चात् मनुष्य जीवन के सभी मूल उद्देश्यों को पूर्ण कर लेता है। इसके बाद वह वन में जीवन व्यतीत करने लगता है और एकान्तवास को धारण कर लेता है।
4. संन्यासी– जीवन की अन्तिम अवस्था में मनुष्य संन्यासी (तपस्वी) बन जाता है। संन्यासी बन जाने के बाद व्यक्ति मुक्ति या मोक्ष की कामना करता है।
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हिन्दू धर्म के पन्थ
हिन्दू धर्म के अन्तर्गत चार प्रमुख पन्थ हैं। ये निम्नलिखित हैं–
1. वैष्णववाद
2. शैववाद
3. शक्तिवाद
4. स्मार्तवाद।
वैष्णववाद
हिन्दू धर्म के वैष्णववाद पन्थ के अनुयायी भगवान विष्णु को सर्वोच्च मानते हैं। इस परम्परा की उत्पत्ति ईसा पूर्व पहली शताब्दी में भगवद् वाद के रूप में हुई थी। इस पन्थ को 'कृष्णवाद' के नाम से भी जाना जाता है। वैष्णव परम्परा के कई समुदाय (उप-शाखाएँ) हैं।
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शैववाद
हिन्दू धर्म के शैववाद पन्थ के अनुयायी भगवान शिव को सर्वोच्च मानते हैं। शैववाद की उत्पत्ति वैष्णववाद से पहले हुई थी। इसकी उत्पत्ति ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में वैदिक देवता रूद्र के धर्म के रूप में हुई थी।
शक्तिवाद
हिन्दू धर्म के शक्तिवाद पन्थ के अनुयायी देवी (स्त्री) को सर्वोच्च मानते हैं। इस पन्थ को विभिन्न परम्पराओं के लिए जाना जाता है।
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स्मार्तवाद
हिन्दू धर्म का यह पन्थ पुराणों की शिक्षाओं पर आधारित है। इस पन्थ के अनुयायी पाँच देवताओं की उपासना के साथ-साथ पाँच धार्मिक स्थलों की घर में ही पूजा पर विश्वास रखते हैं। इस पन्थ में सभी देवताओं और धार्मिक स्थलों को समान माना जाता है। इस पन्थ के पाँच देवता निम्नलिखित हैं– भगवान शिव, देवी शक्ति, भगवान गणेश, भगवान विष्णु और भगवान सूर्य नारायण। स्मार्तवाद पन्थ में ब्राह्मण की दो विचारधाराएँ स्वीकार की गयी हैं–
1. सगुण ब्राह्मण (गुणयुक्त ब्राह्मण)
2. निर्गुण ब्राह्मण (गुणहीन ब्राह्मण)।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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